1 Best Environmental Essay in Hindi | पर्यावरण पर निबंध और उसकी देखरेख

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध और उसकी देखरेख | Environmental Essay in Hindi पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

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पर्यावरण पर निबंध और उसकी देखरेख | Environmental Essay in Hindi

आपके आसपास की सभी चीजें मिलाकर आपका पर्यावरण बनाती हैं। इसमें शामिल हैं-आसपास की मिट्टी, हवा, पानी, पेड़-पौधे, जानवर, अन्य जीवन-जन्तु और बाकी सभी लोग और उनके अलग-अलग संगठन। दरअसल, पूरा समाज ही पर्यावरण का एक हिस्सा है। पर्यावरण की सभी चीजें एक-दूसरे के साथ आपस में मिली-जुली हैं। जीव पदार्थ मिट्टी, हवा, पानी के बिना जिंदा नहीं बच पाते। हम लोग भी इन चीजों के बिना जीवित नहीं रह पाते।

पर्यावरण में सभी चीजें एक सीमित मात्रा में ही मौजूद हैं। जो रिश्ते और संबंध इस सच्चाई को स्वीकार करेंगे वही जिंदा रह पाएंगे। उदाहरण के लिए जीवन और भौतिक प्रक्रियाओं-दोनों में ही ऊर्जा व्यय होती है और खाने की क्रिया के दौरान पदार्थों में परिवर्तन आता है। इसके कारण, हरेक जीव केवल तब तक जिन्दा रहता है जब तक उसे ईंधन और खाना मिलता रहे।

लोगों के संगठनों (जिन्हें हम समाज कहते हैं) का प्रमुख उद्देश्य ही यह होता है कि लोगों मे सीमित साधनों का संतुलित बंटवारा हो, जिससे कि लोग एक लंबे अर्से तक जीवित रह सकें। यह सारा मुश्किल सा ताम-झाम आपस की बातचीत यानी संप्रेषण पर आधारित है। इसमें पर्यावरण के सभी हिस्सों का एक-दूसरे के साथ रिश्ता है भौतिक पदार्थ, जिंदा चीजें और लोग।

यहां हरेक प्राकृतिक घटना या लोगों की पहल एक तरह का सवाल है। यहां हर सवाल एक जवाब को जन्म देता है। पर्यावरण के अलग-अलग हिस्सों की प्रतिक्रियाएं भिन्न-भिन्न हो सकती है। मिसाल के लिए प्राकृतिक घटनाएं या आपदाएं लोगों की जिन्दगी पर भारी असर डाल सकती हैं। दूसरी ओर इन्सानों की करतूतों और तौर-तरीकों से आपस का माहौल तबाह हो सकता है।

पर्यावरण संबंधी इस संगोष्ठी में न तो मिट्टी कोई रोशनी डाल सकती है, और न जानवर यहां चर्चा में भाग ले सकते हैं। सिर्फ इन्सान ही इस मसले पर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं। हां, लोग इनके दुष्प्रभावों के बारे में कभी-कभी जरूर चिंतित होते हैं।

जिस नाव पर हम सवार हैं, कम-से-कम हम उसके पेंदे में तो छेद न करें। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें अलग-अलग संचार के माध्यम अपनाने पड़ेंगे।

पर्यावरण हमारे लिए महत्वपूर्ण है, इस बात को हम कभी न भूलें। हम ऐसा भी कुछ न करें जिसके खराब परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतान पड़ें।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण को स्वच्छ रखें – Paryavaran Par Nibandh

प्रकृति हमें क्या नहीं देती! वह देती है हमें सांस लेने के लिए साफ हवा, पीने के लिए साफ-स्वच्छ पानी, और एक साफ सुथरी जमीन जो अपनी उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने में सक्षम है। हमारे सांस छोड़ने से हवा, पहले के मुकाबले थोड़ी सी गंदी तो होती ही

नहाते समय हम अपने शरीर के मैल से पानी को भी थोड़ा गंदा अवश्य करते हैं। जिंदगी जीने के लिए हम बहुत सारा कचरा पैदा करते हैं। इस कूड़े कचरे से जमीन खराब होती है। जिंदगी जीने मात्र से ही हवा, पानी और जमीन दूषित होते हैं।

अगर किसी जगह पर कोई इन्सान एकदम अकेला रह रहा हो तो शायद उससे वहां की हवा, पानी, और जमीन दूषित नहीं होगी। परंतु अगर लाखों-करोड़ों लोग एक-साथ हवा, पानी और जमीन को दूषित करेंगे तो उससे मामला काफी गंभीर हो जाएगा। इन लाखों-करोड़ों लोगो की सेवा में धुओं उगलती मोटरकारें, चिमनियां और मशीनें भी प्रदूषण को बढ़ाती हैं।

प्रदूषण से हवा, पानी और जमीन की जीवन दायिनी क्षमता कम हो जाती है। प्रदूषित हवा हमारें जीवन के लिए अत्यन्त जरूरी पेड़-पौधों और जानवरों को खत्म कर देती हैं। गंदी हवा से लोग बीमार पड़ सकते हैं और निर्जीव चीजों जैसे-लोहे, पत्थर और लकड़ी को भी नुकसान हो सकता है। वैसे तो गंदे कपड़ो की घुलाई-सफाई ही एक कठिन काम है।

परंतु हवा, पानी और जमीन की सफाई करना इससे भी कहीं अधिक कठिन काम है। कपड़ों को अगर हम गंदा न करें तो फिर उन्हें धोने की जरूरत ही न पड़े। हवा के लिए भी यही बात सच है और पानी के लिए भी और जमीन के लिए भी। इसलिए इन्हें दूषित होने से बचाने में ही समझदारी है, क्योंकि इन्हें बाद में साफ करना बहुत ही कठिन और कष्टदायक होगा। अपने पर्यावरण को साफ रखने के लिए आप खुद काफी कुछ कर सकते हैं।

अगर आप संगठित होकर अधिकारियों पर दबाब डालेंगे तो वे कारखानों से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए कुछ कदम जरूर उठाएंगे। जब आप प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों का माल खरीदना बंद कर देंगे तभी ये दुष्ट कंपनियां आपकी आवाज को गंभीरता से लेंगी। जब आप और अन्य लोग पर्यावरण को प्रदूषित करना बंद करेंगे (और साथ में कंपनियों पर भी दबाव बनाएं रखेंगे) तभी आप अपने आसपास की हवा, पानी और मिट्टी को साफ रख पाएंगे।

इसके लिए गंदगी और कचरे को तालाबों और खेतों में न फेंके। और अगर कंपनियां वहां अपनी गंदगी फेंक रही हो तो उनका जोरदार विरोध करें। अगर आप या कोई फैक्ट्री किसी प्रकार के कचरे को जलाए तो यह सुनिश्चित करें कि उसमें से निकला धुंआ आपके और अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक न हो।

आजकल उद्योग-धंधे ताकतवर लोगों के हाथों में हैं। इसलिए हर समय उनके प्रदूषण को रोक पाना संभव नहीं होगा। पर अपने प्रयासों द्वारा आप प्रदूषण को एक निश्चित सीमा के अंदर रख पाएंगे। हवा, पानी और मिट्टी के साफ रहने से पेड़, जानवर और इन्सान एक जीवनदायी माहौल में पलते-पनपने की इससे वे अपनी परवरिश खुद अपने आप कर सकते हैं। कम-से कम अपने आसपास के इलाकों को तो साफ रख ही सकते हैं।

आपकी सेहत अच्छी रहे यह आपके लिए बहुत जरूरी है। अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखकर आप खुद अपनी सेहत की हिफाजत कर सकते हैं।

कूड़े कचरे की सफाई Paryavaran Par Nibandh

सड़क पर फैले कचरे के कारण सारी बस्ती बदसूरत और घिनौनी दिखती है। यह गंदगी आपकी खुद की सेहत के लिए खतरा बन सकती है। गंदगी और बदबू के कारण वहां मक्खियों और चूहों की भरमार हो सकती है। इस कारण सड़क पर चलना भी दूभर और खतरनाक बन जाता है। हमें सड़क को कूड़े-कचरे से साफ रखना चाहिए।

परंतु अपने घर के कचरे को आप इस कूड़ेदान तक कैसे लेकर जाएंगे? इसके लिए आप हरेक गली में अलग-अलग कूड़ेदान बनाएं। कूड़ेदान के लिए आप खाली ड्रम या कनस्तरों का उपयोग कर सकते हैं। कूड़ादान अगर दो ड्रमों का होगा तो अच्छा होगा। एक ड्रम में आप दुबारा इस्तेमाल न आने वाले कूड़े को डालें। दूसरे ड्रम में दुबारा उपयोग में लाए जाने वाले कचरे (जैसे बोतलें, डिब्बे आदि) को डालें। – इन ड्रमों को आप मलबा फेंकने वाले स्थान तक कैसे ले जाएंगे? कूड़े-कचरे से भरे ड्रम को सुबह-शाम ढोने के लिए आप किसी ठेलागाड़ी, या तीन पहियों वाली साइकिल रिक्शा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

आपको अपनी गली-मौहल्ले के कूड़े की सफाई करने में शुरू में जरूर कुछ परेशानी उठानी पड़ेगी। अगर आपने यह काम खुद अपने आप नहीं किया तो शहर की म्यूनिसिपेलटी आपको इस काम के लिए बरसों इंतजार कराएगी।

गरीबों का पर्यावरण – Environmental Essay in Hindi

पर्यावरण सभी इन्सानों का होता है- चाहें वो गरीब हों या अमीर हों। पर जिस सुंदर माहौल में धनी जीना चाहते हैं, वे अक्सर गरीब लोगों के लिए एक प्रदूषित माहौल पैदा करता है। इस प्रदूषण के कारण ही कुछ अमीर खुशहाल रह पाते हैं।

जो लोग झुग्गियों और तंग बस्तियों के गंदे माहौले में रहते हैं। वे अपनी गरीबी के कारण वहां जीने को मजबूर हैं। गरीबों के पास अपनी स्थिति को बदलने के लिए साधन और सामर्थ नहीं होते। वे अपनी हालात को और खराब होने से भी नहीं रोक पाते हैं।

इस तरह गरीबों का पर्यावरण बद-से-बदतर होता जाता है। पर थोड़ी समझ से इस पर काबू पाया जा सकता है। पर्यावरण को बहुत कम लागत से भी बेहतर बनाया जा सकता है। परंतु इसके लिए बस्ती के सभी लोगों को श्रमदान करना होगा। इसके लिए लोग थोड़ा सा आत्म-संयम बरतें। अपने पर्यावरण को थोड़ी इज्जत बख्शे और उसकी देखभाल करें। अक्सर गरीब बस्तियों में रहने वाले लोगों को अपने हालात और माहौल को बदलने का हक ही नहीं होता है। उनके यहां अन्य इलाकों का कूड़ा-कचरा लाकर पटक दिया जाता है और जैसे ही बस्ती के हालात कुछ सुधरते हैं वहीं जमीन के दलाल आकर गरीबों को वहां से उखाड़ देते हैं।

बेहतर पर्यावरण का मतलब यह नहीं कि वे सिर्फ देखने में ही अच्छा लगे। बेहतर पर्यावरण का मतलब है कि वहां का माहौल अधिक सेहतमंद बने और वहां के लागों के हित में हो। पर्यावरण को बेहतर बनाने का प्रमुख तरीका है उसमें पेड़ और पौधे लगाना। पेड़ों के कई लाभ है: उनसे बच्चों को फल खाने को मिलते हैं। पेड़ों से घर बनाने और उनकी मरम्मत करने के लिए लकड़ी (जैसे बांस, बल्ली) मिलती है।

पेड़ों की टहनियों और उनकी छोटी लकड़ियों को जलाने के काम में लाया जाता है। पेड़ो की पत्तियां घरेलू जानवरों के चारे के काम आती हैं। जब आप अपनी बस्ती के आसपास पेड़ लगाएं तब आप उन पत्तियों और अन्य प्राकृतिक कूड़े को एक जगह इकट्ठा करें, जिससे उसकी खाद बन सके और खाद पेड़ो की जड़ों में डाली जा सके।

फैक्ट्री आदि के कचरे (गत्ता, प्लास्टिक, लोहा आदि को छांट कर अलग रखें। इनसे बस्ती के कारीगर कुछ बना सकते हैं। सड़कों के बीचों-बीच पेड़ लगाकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सड़क पर केवल लोग पैदल ही आ-जा सकें। बस्ती के चारों ओर पेड़ लगाना खासतौर पर अच्छा होगा। इससे बाहरी लोगों के साथ-साथ तेज हवा और तूफानों से भी सुरक्षा मिलेगी।

बाढ़ वाले इलाकों में बस्ती के चारों और एक ऊंची मेढ़ बनाएं और उस पर पेड़ लगाएं, जिससे कि बस्ती बाढ़ के पानी से सुरक्षित रह सके। अगर गरीब बस्ती के लोगों को अपने आसपास के इलाकों को सुधारने का अधिकार नहीं हैं, तो कम-से-कम वे बस्ती के अंदर के हालात तो सुधार ही सकते हैं। बाहर की सड़न को अंदर आने से रोकने के लिए वो पेड़ों की एक चारदीवारी बना सकते हैं।

जलकुम्भी का सदुपयोग Paryavaran Par Nibandh

ताल-तालाब और नदियों की सतह अक्सर पानी के खरपतवार जैसे – जलकुम्भी से ढकी रहती है। कभी थोड़ी, और कभी पूरी तरह। ज्यादातर लोग और अधिकांश अधिकारी जल खरपतवार के विनाशकारी प्रकोप से घबराते हैं। खरपतवार के कारण नावों के आने-जाने में बेहद मुश्किल आती है। अनुकूल परिस्थितियों में खरपतवार में, मच्छरों के साथ-साथ तमाम कीड़े – मकौड़े भी पैदा होते हैं।

खरपतवार में कई हानिकारक जीव-जन्तु भी अपना घर बना सकते हैं। आमतौर पर खरपतवार कई दिक्कतें खड़ी कर देती है। परंतु हम चाहें तो जल खरपतवार का सदुपयोग भी कर सकते हैं।

खरपतवार भी अन्य पेड़-पौधों की तरह ही लाभदायक हो सकती हैं। खरपतवार बड़े काम की चीज है और उसके अनेकों उपयोग हैं। मेहनत और जमीन का उपयोग किए बिना ही, खरपतवार की जोरदार फसल पैदा होती है। उदाहरण के लिए जलकुम्भी को ही लें, इसे जानवरों के चारे के काम में लाया जा सकता हैं। इससे जमीन को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए खाद के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। जलकुम्भी को सुखाकर चौके-चूल्हे के लिए ईधंन भी मिल सकता है इससे बायोगैस भी पैदा की जा सकती है।

जलकुम्भी हर जगह उगती है। चाहे पानी छिछला हो या गहरा जलकुम्भी हमेशा फलती-फूलती है। जलकुम्भी एक प्रकार का तैरता पौधा है। उसकी जड़ें जमीन में जाकर गढ़ती नहीं हैं। इसलिए जलकुम्भी की फसल को काटना और बटोरना आसान होता है। जलकुम्भी के पौधों को नाव या डोंगी पर बैठकर या सीधे पानी में उतर कर आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है।

जलकुम्भी जानवरों के लिए एक अच्छा चारा है। चारे के लिए जलकुम्भी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटना होगा और फिर उसे सड़ने पकने के लिए छोड़ दें और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद ढेर को उलटते-पलटते रहें। जलकुम्भी को बायोगैस प्लांट में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जलकुम्भी के टुकड़ों को एक सीलबंद गडढे में सड़ने दें।

गड्ढे को बांस की बनी गुम्बदनुमा छत से ढंक दें जिससे कि गड्ढे में हवा बिल्कुल भी न घुस पाए। इसके लिए आप गुम्बद पर एक प्लास्टिक की शीट चढ़ा दें। इस प्रकार पैदा की गई बायोगैस को भोजन पकाने और बत्ती जलाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। और बची हुई सड़ी लुग्दी को खाद जैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। आप चाहें तो जलकुम्भी को काट कर धूप में सूखा सकते हैं।

जलकुम्भी के पौधों का 9/10 वां भाग पानी होता है। पानी सूखने पर बचा हुआ पौधा एकदम हल्का हो जाता है। इन सूखे पौधों को जलाकर आप उन पर खाना पका सकते हैं। आप जलकुम्भी की सूखी टहनियों को आपस में बुनकर उनसे चटाई, टोकरियां और अन्य बहुत सी चीजें बना सकते हैं। जलकुम्भी तालाब के पानी को पूरी तरह ढक लेती है।

जलकुम्भी के पत्ते की छाया के कारण, ताल-तालाब का पानी तेजी से भाप बनकर उड़ता नहीं है और अगर पानी से ढकी जलकुंभी में बहुत से मच्छर अपना घर बना लें, तो आप पानी में कुछ ऐसी मछलियां छोड़ दें जो मच्छरों के अण्डों और बच्चों को पचा पाए। उससे मच्छरों की समस्या दूर हो जाएगी।

कूड़े कचरे का सदुपयोग – पर्यावरण पर निबंध

हरेक जीवित प्राणी अपने भोजन के एक हिस्से को मल-मूत्र के रूप में त्याग देता है। इस मल-मूत्र से अच्छी खाद बनती है, जो जमीन को उपजाऊ बनाती है और पेड़-पौधों में नई जान फूंकती है।

मल-मूत्र से कई तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है। मिसाल के तौर पर मक्खी और अन्य कीड़े बीमारी सामूहिक शौचालय का पूरा लाभ तभी मिलता है जब इन्हें किसी एक निश्चित स्थान पर स्थाई रूप से नहीं बनाया जाए।

शौचालय ऐसा हो जिससे कि उसे बस्ती में एक जगह से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सके। पहले स्थान पर तो वह एक शौचालय का काम करेगा और वहां से हटा लिए जाने के बाद वो स्थान एक खाद का गड्ढा बन जाएगा।

इसके लिए शौचालय का ढांचा एकदम हल्का होना चाहिए ताकि कुछ लोग उसे आसानी से उठाकर, मल-मूत्र जमा होने वाले गड्ढे के ऊपर रख सकें। इस चलते-फिरते शौचालय का गड्ढा कुछ दिनों में भर जाएगा। भरने की अवधि गड्ढे की गहराई पर निर्भर करेगी।

जब गडढा मल-मूत्र से पूरी तरह भर जाए तो उसे कुछ समय के लिए ऊपर से ढंक दें और शौचालय के ढांचे को किसी दूसरी जगह एक नए गड्ढे के ऊपर जाकर रख दें। इस तरह पूरे साल के दौरान शौचालय का कई दफा एक जगह से दूसरी जगह तबादला होगा।

इस मिश्रण पर पानी छिड़क कर उसे बार-बार मिलाएं और फिर सूखने दें। इस तरह यह चलता-फिरता शौचालय बस्ती की गंदगी को दूर रखेगा, और साथ में अच्छी खाद भी देगा। इससे बस्ती के लोगों की सेहत अच्छी रहेगी और मुफ्त में मिली खाद से सारी बस्ती को थोड़ी आमदनी भी होगी।


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