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All Maths Formula in Hindi (Basics to Advance) | Ganit Ke Sutra
गणित हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और सभी प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक होता है। हम आपको इस लेख में सभी महत्वपूर्ण Ganit Ke Sutra (Math formula in hindi) का सरल विवरण प्रस्तुत करेंगे जो कि आपके गणित के ज्ञान को मजबूती से बनाए रखेगा।
ये सूत्र अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, और त्रिकोणमिति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से प्रयोग होते हैं। गणित के सूत्रों के माध्यम से हम विभिन्न गणितिक प्रॉब्लम्स का समाधान निकालते हैं, जिनमें अंकों, आकृतियों, और संख्याओं की प्रकृति के साथ-साथ उनके आपसी संबंध को समझना शामिल होता है।
संकेत सूची (NOTATION INDEX)
कुछ उपयोगी संकेत और उनके नाम ( Some useful Notation and their names)
संकेत (Notation) | हिन्दी (Hindi Names) | अंग्रेजी (English Names) |
---|---|---|
+ | जोड़ / जोड़ना | Sum/ Addition |
– | घटाना | Minus/ Subtraction |
x | गुणा | Multiplication |
÷ | भाग | Division |
∵ | इसलिए | Therefore |
∴ | क्योंकि / चूँकि | Because/Since |
/ | प्रति | Per |
% | प्रतिशत/प्रति सैकड़ा | Percent |
; or | जैसाकि | Such that |
: | अनुपात | Ratio |
: : | इस प्रकार | Such as |
√ | वर्गमूल | Square root |
³√ | घनमूल | Cube root |
n√ | n वाँ मूल | nth root |
f | फलन | Function |
‘ | मिनट/कला | Minute (time/angle) |
“ | सेकण्ड / विकला | Second (time/angle) |
≈ | लगभग | Approximate |
n! | क्रम गुणन | Factorial |
| | | मापांक | Modul |
d/dx | अवकलन | Differential |
∫ | समाकल | Integral |
def | परिभाषा | Definition |
士 | जोड़ अथवा घटाव | Plus or Minus |
干 | घटाव अथवा जोड़ | Minus of Plus |
= | बराबर / बराबर है | Equal/Equal to |
≠ | बराबर नहीं है | Not equal to |
> | से बड़ा है | Greater than |
< | से छोटा है | Less than |
≥ | से बड़ा या बराबर है | Greater than or equal |
≤ | से छोटा या बराबर है | Less than or equal to |
≯ | से बड़ा नहीं | Not greater than |
≮ | से छोटा नहीं | Not less than |
∠ | कोण | Angle |
∠s | कोणों | Angles |
⊥ | लम्ब | Perpendicular |
∟ | समकोण | Right Angle |
|| | सामानांतर | Parallel |
~ | समरूप | similar to |
W | पूर्ण संख्याओं का समुच्चय | The set of whole numbers |
O | विषम संख्याओं का समुच्चय | The set of odd numbers |
E | सम संख्याओं का समुच्चय | The set of even numbers |
I+ | धन पूर्णांकों का समुच्चय | The set of positive integers |
I- | ऋण पूर्णांकों का समुच्चय | The set of negative integers |
≅ | सर्वांगसम | Congruent to |
![]() ![]() ![]() | चाप | Arc |
बीजगणित (ALGEBRA) Bijganit ke Sutra
- (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 = (a – b)2 + 4ab
- (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 = (a + b)2 – 4ab
- a2 + b2 = (a + b)2 – 2ab = (a – b)2 + 2ab
- a2 – b2 = (a + b) (a – b)
- (a – b)3 = a3 – b3 – 3a2b + 3ab2 = a3 – b3 – 3ab (a – b)
- a3 + b3 = (a + b)3 – 3ab (a + b) = (a + b)(a2 – ab + b2)
- a3 – b3 = (a – b)3 + 3ab (a − b) = (a − b)(a2 + ab + b2)
- a3 + b3 + c3 – 3abc = (a+b+c) [(a − b)2 + (b − c)2 +(c – a)2]
- a3 + b3 + c3 – 3abc = (a + b + c) (a2 + b2 + c2 – ab – bc – ca)
- (a + b)3 = a3 + b3 + 3a2b + 3ab2 = a3 + b3 + 3ab (a + b)
- a4 – b4 = (a2 + b2) (a + b) (a – b)
- (a + b + c)2 = a2 + b2 + c2 + 2ab + 2bc + 2ca
- (a− b + c)2 = a2 + b2 + c2 – 2ab – 2bc + 2ca
- (a + b – c)2 = a2 + b2 + c2 + 2ab – 2bc – 2ca
- (a – b – c)2 = a2 + b2 + c2 – 2ab + 2bc – 2ca
- (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab
- (x – a) (x – b) = x2 – (a + b)x + ab
- a2 (b + c) + b2(c – a) + c2(a + b) + 2abc = (a + b) (b + c) (c + a)
- a2 (b2 – c2) – b2 (c2 – a2) + c2 (a2 – b2) = (a – b) (b – c) (c – a)
- ab (a – b) + bc (b – c) + ca (c – a) = -(a – b) (b – c) (c – a)
- (a + b)2 + (a – b)2 = 2(a2 + b2)
- (a + b)2 – (a – b)2 = 4ab
- (a + b + c) = a3 + b3 + c3 + 3 (a + b) (b + c) (c + a)
- 2a2b2 + 2b2c2 + 2c2a2 – a4 – b4 – c4 = (a + b + c) (a – b + c) (b + c – a) (a + b – c)
- (a + b + c)3 – a3 – b3 – c3 = 3(a + b) (b + c) (c + a)
औसत (AVERAGE) ke Sutra
परिचय (Introduction):
औसत (Average) : एक ही प्रकार के राशियों के योगफल को उन राशियों की संख्या से भाग करने पर प्राप्त भागफल उन राशियों का औसत कहलाता है।
औसत = राशियों का योग / राशियों की संख्या
उदाहरण: 12, 13, 15, 17 और 18 का औसत (Average) क्या होगा?
Average = (12 + 13 + 15 + 17 + 18)/5 = 75/5 = 15
कुछ महत्त्वपूर्ण औसत (Average) के सूत्र
- लगातार n तक की प्राकृत संख्याओं का औसत = (n + 1)/2
- लगातार n तक की प्राकृत संख्याओं के वर्गों का औसत = (n+1) (2n+1)/6
- लगातार n तक की प्राकृत संख्याओं के घनों का औसत n(n+1)2/4
- लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं का औसत = n/2
- लगातार n पूर्ण संख्याओं का औसत = n – 1/2
- लगातार n पूर्ण संख्याओं के वर्गों का औसत = (n-1)(2n-1)/6
- लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं के वर्गों का औसत = n(2n + 1)/6
- लगातार n पूर्ण संख्याओं के घनों का औसत n(n-1)2/4
- लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं के घनों का औसत = n2(n + 1)/4
- लगातार n सम संख्याओं का औसत = n + 1
- लगातार n तक की सम संख्याओं का औसत = (n/2) + 1
- लगातार n सम संख्याओं के वर्गों का औसत = 2 (n+1)(2n+1)/3
- लगातार n तक की सम संख्याओं के वर्गों का औसत = (n+1)(n+2)/ 3
- लगातार n तक की विषम संख्याओं का औसत = (n + 1)/2
- लगातार n तक की विषम संख्याओं के वर्गों का औसत = n(n + 2)/3
- कोई संख्या a के प्रथम n गुणज का औसत = a(n + 1)/ 2
- औसत चाल कुल लगा समय कुल तय की गई दूरी = कुल तय की गई दूरी / कुल लगा समय
- अगर दो असमान चाल x तथा y से समान दूरियाँ तय की गई हों, तो औसत चाल = (2xy) / (x + y)
- अगर तीन असमान चाल x, y तथा z से समान दूरियाँ तय की गई हों, तो औसत चाल = (3xyx)/(xy + yz+ zx)
- लगातार संख्याओं का औसत = पहली संख्या + अन्तिम संख्या
- उदाहरण: 6, 7, 8, 9 और 10 का औसत क्या होगा?
- हल : औसत = (6+10) / 2 = 8
- यदि कुछ संख्याओं का औसत a हो और यदि सभी संख्याओं में y जोड़ा या घटाया या गुणा या भाग दिया जाए, तो प्राप्त नई संख्याओं का औसत a + y, a- y, a x y तथा होगा a/y
- उदाहरण : यदि 9 संख्याओं का औसत 25 हो और सभी संख्याओं को 5 से भाग दिया जाए, तो प्राप्त संख्याओं का औसत क्या होगा?
- हल : अभीष्ट औसत = 25/5 = 5
- यदि m व्यक्तियों का औसत a,n व्यक्तियों का औसत a1 तथा शेष व्यक्तियों (m-n) का औसत a2 हो, तो m = n(a1 और a2 में अंतर ) / (a और a2 में अंतर)
- उदाहरण : किसी ऑफिस में कार्यरत सभी कर्मचारियों का औसत वेतन 5650 रुपये है। इनमें से 7 कर्मचारियों का औसत वेतन 5000 रूपये है तथा शेष कर्मचारियों का औसत वेतन 6000 रुपये है, तो उस ऑफिस में कार्यरत कुल कर्मचारियों की संख्या क्या है?
- हल : कुल कर्मचारियों की संख्या =7(6000-5000) / (6000-5650) = 20
प्रतिशत (PERCENTAGE) ke Sutra
आवश्यक तथ्य एवं प्रतिशत (PERCENTAGE) के सूत्र :
- प्रतिशतताः प्रतिशत वह भिन्न है जिसका हर 100 हो ।
- x प्रतिशत का अर्थ है, किसी वस्तु के 100 बराबर भागों में से x भाग। इसे x% से व्यक्त करते हैं, स्पष्ट है कि, x % = x/100
- उदाहरण:
- 24% = 24/100 = 6/25
- 0.8 % = 0.8 / 100 = 8/1000 = 1/125
- भिन्न a/b को प्रतिशत में व्यक्त करने के लिए सूत्र :
a/b = ( a/b x 100) %
उदाहरण :
- 5/8 = (5/8 x 100) % = (125 / 2) % = 62 (1/2)
- 0.4 = 4/10 = (4/10 x 100) % = 40%
दो आवश्यक नियम (संक्षिप्त विधि ) :
- यदि A का मान B से R% अधिक हो, तो B का मान A से कम है = ((R/(100 + R)) x 100) %
- यदि A का मान B से R% कम हो, तो
B का मान A से अधिक है = ((R/(100 – R)) x 100) % - किसी वस्तु के भाव में R% वृद्धि हो जाने पर इस मद पर खर्च न बढ़े, इसके लिए वस्तु की खपत में कमी = ((R/(100 + R)) x 100) %
- किसी वस्तु के भाव में R% कमी आ जाने पर इस मद पर खर्च कम न हो, इसके लिए वस्तु की खपत में वृद्धि = ((R/(100 – R)) x 100) %
जनसंख्या पर आधारित प्रश्नों के लिए सूत्र
माना किसी शहर की जनसंख्या P है तथा यह R% वार्षिक दर से बढ़ती है।
- n वर्ष बाद जनसंख्या = P(1 + (R/100))n
- n वर्ष पूर्व जनसंख्या = P/(1 + (R/100))n
- माना किसी शहर की जनसंख्या P थी तथा इसमें पहले, दुसरे व तीसरे वर्ष में क्रमश: R%, R % तथा R % वृद्धि होती है तब 3 वर्ष बाद जनसंख्या = P(1 + (R1/100))(1 + (R2/100))(1 + (R3/100))
मशीनों के अवमूल्यन पर आधारित प्रश्नों के लिए महत्वपूर्ण सुत्र
- n वर्ष बाद मशीन का मूल्य = P(1 – (R/100))n
- n वर्ष पूर्व मशीन का मूल्य = P/(1 – (R/100))n
लाभ तथा हानि (PROFIT AND LOSS) के सूत्र
- क्रय-मूल्य : जिस मूल्य पर कोई वस्तु खरीदी जाती है, वह मूल्य इस वस्तु का क्रय-मूल्य कहलाता है।
- विक्रय-मूल्य : जिस मूल्य पर कोई वस्तु बेची जाती है, वह मूल्य इस वस्तु का विक्रय-मूल्य कहा जाता है।
- लाभ = (विक्रय मूल)- (क्रय मूल्य)
- हानि = (क्रय मूल्य)-(विक्रय मूल)
- नोट : लाभ अथवा हानि सदैव क्रय-मूल्य पर गिने जाते हैं।
- यदि क्रय-मूल्य = x रु० तथा लाभ = 20%, तो विक्रय-मूल्य (x रु० का 120%).
- यदि क्रय-मूल्य = x रु० तथा हानि = 20%, तो विक्रय-मूल्य (x रु० का 80%).
- लाभ % = ((लाभ / क्रय मूल्य) x 100) %
हानि % = ((हानि / क्रय मूल्य) x 100) % - यदि विक्रय-मूल्य = y रु० तथा लाभ = 20%, तो क्रय-मूल्य = (( 100/ 120) x y) %
- यदि विक्रय-मूल्य = y रु० , तथा हानि = 20%, तो क्रय-मूल्य = ((100/80) x y) ₹
- बट्टा सदैव अंकित मूल्य पर होता है।
शेयर, लाभांश तथा ऋणपत्र (F) (SHARE, DIVIDEND AND DEBENTURES) के सूत्र
- स्टॉक पूँजी (Capital stocks) : कम्पनी चलाने के लिए कम्पनी को जितनी धन की आवश्यकता होती है, उसे उसकी स्टॉक पूँजी या पूँजी कहते हैं।
- शेयर (Share) : कम्पनी पूँजी को सुविधानुसार समान मूल्य के बहुत-से भागों में बाँट देती है, जिसे शेयर (Share) या स्टॉक (stock) कहते हैं।
- शेयर दो प्रकार के होते हैं :
- अधिमान (Preferred)
- सामान्य (Common)
- शेयर दो प्रकार के होते हैं :
- लाभांश (Dividend) : कम्पनी अपने लाभ का जो हिस्सा शेयरधारियों को बाँटती है, लाभांश, कहलाता है।
- दलाली (Brokerage) : शेयर की खरीद-बिक्री जिसके द्वारा होता है, उसे दलाल (commission agent) कहते हैं। दलाली (brokerage) के द्वारा खरीदने वाला और बेचनेवालों से ली गई कमीशन दलाली कहलाता है।
- सममूल्य (Parvalue) : शेयर सर्टिफिकेट पर अंकित मूल्य को सममूल्य कहते हैं।
- बाजार मूल्य (Market value) : शेयर बाजार में शेयर जिस मूल्य से खरीदी या बेची जाती है, बाजार मूल्य कहलाता है। (शेयर का बाजार मूल्य सममूल्य से कम या अधिक भी हो सकता है।)
- ऋणपत्र (Debentures) : कम्पनी शेयरधारियों से एक निश्चित समय के लिए एक निश्चित ब्याज दर पर ऋण लेने के लिए एक पत्र जारी करती है, जिसे ऋणपत्र कहते हैं।
महत्त्वपूर्ण शेयर, लाभांश तथा ऋणपत्र (F) (SHARE, DIVIDEND AND DEBENTURES) के सूत्र (IMPORTANT FORMULAE) :
- बाजार मूल्य = सममूल्य + अधिमूल्य (Premium)
- बाजार मूल्य = सममूल्य – बट्टा (discount)
- निवेश = बाजार मूल्य प्रति शेयर × शेयरों की संख्या
- लाभांश (आय) = (प्रतिशत लाभांश × सममूल्य प्रति शेयर × शेयरों की संख्या) / 10
- शेयरों की संख्या = निवेश पूँजी / बाजार मूल्य
- प्रति शेयर लाभांश = कुल लाभाश / शेयरों की संख्या
- वास्तविक प्रतिशत लाभांश = (% लाभांश × सममूल्य) / बाजार मूल्य
- यदि शेयर खरीदने पर दलाली दी जाती है, तो निवेश = प्रति शेयर => (बाजार मूल्य × शेयरों की संख्या + दलाली)
- यदि शेयर बेचने पर दलाली दी जाती हो, तो शेष बेचने से प्राप्त राशि = प्रति शेयर => (बाजार मूल्य × शेयरों की संख्या – दलाली)
- ऋणापत्र से आय = ऋणपत्र पर
अंकित मूल्य × ऋणपत्रों की संख्या × ((ब्याज – दर) /10)
समय और दूरी (TIME AND DISTANCE) के सूत्र
चाल (Speed) = किसी पिंड द्वारा प्रति एकांक समय में तय दूरी चाल दूरी (distance) कहलाती है।
चाल = दूरी/समय , Speed = Distance/Time
वेग (Velocity) = एक निश्चित दिशा में किसी पिंड द्वारा इकाई समय में विस्थापन (displacement) तय की गई दूरी वेग कहलाता है। वेग = विस्थापन /समय , Velocity = Displacement/Time
आवश्यक तथ्य एवं सूत्र :
- समय = दूरी/चाल, Time = Distance / Speed
- दूरी = चाल × समय , Distance = Speed x Time
- A किमी०/घण्टा = (A x (5/18)) मीटर/सेकण्ड
- B मीटर/सेकण्ड = (B x (18/5)) किमी०/घण्टा
- यदि A तथा B की चालों का अनुपात a: b हो, तो एक ही दूरी तय करने में इनके द्वारा लिये गये समय का अनुपात = b : a
अंक गणित (ARITHMETIC) Math Formulas in Hindi
संख्या Number
संख्या-पद्धति हैं (Number System) :
संख्या (Number) = जो वस्तु के परिमाण अथवा इकाई का अपवर्त्य अथवा प्रश्न कितने? का जवाब किताब, देता है, संख्या कहलाता है। जैसे – 5 किताब, यहाँ 5 एक संख्या है।
जैसे- 5 आपका वजन कितना है ? Ans. 50 kg – यहाँ 50 एक संख्या है।
संख्या का संकेत No क्यों ? = संख्या लैटिन शब्द Numerology से लिया गया। चूँकि किसी का संकेत इस शब्द के प्रथम अक्षर अथवा प्रथम व अंतिम अक्षर से किया जाता है। Numero का पहला अक्षर N और अंतिम अक्षर 0 है, इसलिए इसका संकेत No होता है।
अंक (digit) = किसी अंकन पद्धति में जिससे संख्या बनाया जाता है अंक कहलाता है। दशमलव अंकन पद्धति में दस अंकों 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 का प्रयोग किया जाता है।
संख्यांक (Numerals) = संख्या को निर्देशित करने वाले अंकों अथवा संकेतों के समूह को संख्यांक कहते हैं।
प्राकृत संख्या (Natural Number) = गिनती की संख्या अथवा शून्य से बड़े प्रणांक को प्राकृत संख्या कहते हैं। इसे धनपूर्णांक (Positive Integer) भी कहते है। जैसे-1, 2, 3, 4, 5, प्राकृत संख्या।
पूर्ण संख्या (Whole Number) = शून्य सहित प्राकृत संख्या को पूर्ण संख्या कहते हैं। इसके समुच्चय [ W = {0, 1, 2, 3, Q}] को W से व्यक्त किया जाता है।
पूर्णांक (Integers) = 4, -3,-2,-1, 0, 1, 2, 3, 4, को पूर्णांक कहते हैं। इसके समुच्चय को Z से व्यक्त किया जाता है। = {,3,-2,-1, 0, 1, 2,3,…}
शून्य (Zero) = 0 को शून्य पूर्णांक कहते हैं। इसका एक अन्य नाम Nought हैं इसलिए a0 को a Naught पढ़ा जाता है, (0) यह न तो धनात्मक ओर न ही ऋणात्मक होता है।
विशिष्ट पूर्णांक (Specific Number) = वह धन पूर्णांक जिसका केवल एक अपवर्त्तक हो, विशिष्ट पूर्णांक कहलाता है। जैसे- ‘1’
अभाज्य संख्या (Prime Number) = वह संख्या जिसका केवल दो अपवर्त्तक हो, अभाज्य संख्या कहलाता है। इसे रूढ़ संख्या भी कहते हैं, जैसे- 2,3,5,…
भाज्य संख्या (Composite Number) = वह संख्या जिसका दो से अधिक अपवर्तक हो, भाज्य संख्या कहलाता है। जैसे- 4, 6, 8, 9, … ।
सह-अभाज्य संख्याएँ (Co-prime Numbers) = वैसी दो या दो से अधिक संख्याएँ जिनका उभयनिष्ठ अपवर्त्तक केवल 1 हो, यानी महत्तम समापवर्त्तक । है, सह-अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं; जैसे- (5, 7), (6, 7) सह-अभाज्य संख्याएँ हैं।
द्वि-अभाज्य संख्या (जुड़वाँ अभाज्य संख्या) (Twin Prime Numbers) = अभाज्य संख्याओं का वैसा जोड़ा जिनके बीच का अंतर 2 हो, द्वि-अभाज्य संख्या कहलाता है; जैसे- (3, 5), (5, 7) इत्यादि जुड़वाँ अभाज्य संख्याएँ हैं।
सम संख्या (Even Number) = वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभक्त हों, सम संख्याएँ कहलाती हैं; जैसे- 2, 4, 6.
विषम संख्या (Odd Number) = वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभक्त नहीं हो, विषम संख्याएँ कहलाती हैं। जैसे-3, 5, 7, 1.
संपूर्ण संख्याएँ (Perfect Numbers) = वैसी संख्याएँ जिनकी समस्त अपवर्तकों (गुणनखण्डों) का योग उस संख्या का दुगना हो, संपूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं।
जैसे –
6=>1+2+3+6=12=2×6
28 => 1+2+4+7+14+28 = 56 = 2×28
परिमेय संख्या (Rational Number) = वैसी वास्तविक संख्या जो p/q लघुतम रूप में हो, p और q पूर्णांक हो, q≠ 0 हो, परिमेय संख्या कहलाती है। जैसे = 3/4, 5/7}
अपरिमेय संख्या (Irrational Number) = वैसी वास्तविक संख्या जो परिमेय नहीं हो, अपरिमेय संख्या कहलाती है। जैसे-√2, √3 इत्यादि ।
Note: प्रत्येक परिमेय संख्या भिन्न के रूप में लिखा जा सकता है, लेकिन प्रत्येक भिन्न परिमेय संख्या नहीं होती है; जैसे 16/18 भिन्न है, लेकिन परिमेय संख्या नहीं है।
चूँकि 16/18 = 8/9 यहाँ 8/9 – परिमेय संख्या और भिन्न दोनों है।
महत्त्वपूर्ण सूत्र :
- भाज्य = भाजक × भागफल + शेषफल
- भागफल = भाज्य – शेषफल/भाजक
- भाजक = भाज्य – शेषफल/भागफल
- शेषफल = भाज्य – (भाजक × भागफल)
- भाज्य (Divident) = भाजक (Divisor) × भागफल (Quotient) + शेषफल (Remainder).
विभाजकता की जाँच (Test of Divisibility)
- 2 से विभाजकता की जाँच- जिस संख्या का इकाई अंक 0, 2, 4, 6, 8 में से कोई हो, तो वह संख्या 2 से विभाज्य होगी। जैसे- 52, 100, 154,4868 इत्यादि 2 से विभाज्य हैं।
- 3 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या के अंकों का योग 3 से विभाज्य हो, वह संख्या 3 से विभाज्य होगी। 1473 के अंकों का योग 1+4+7 + 3 = 15 है, जो 3 से विभाज्य है, इसलिए 1473.3 से विभाज्य होगा।
- 4 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या के अंतिम दो अंक 4 से विभाज्य हों, तो वह संख्या 4 से विभाज्य होगी। जैसे-17800, 4632, 4828, इत्यादि।
- 5 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या के अंतिम दो अंक 0 या 5 हों, तो वह संख्या भी 5 से विभाज्य होगी। जैसे-80, 125, 1525, 4080, इत्यादि ।
- 6 से विभाजकता की जाँच-जो संख्या 2 और 3 से विभाज्य होती है वह संख्या 6 से विभाज्य होगी। जैसे-24, 48, 72, इत्यादि ।
यहाँ संख्याएँ 24, 48 और 72 में से प्रत्येक संख्या 2 और 3 से विभाज्य होंगे, इसलिए ये 6 से भी विभाज्य होंगे। - 7 से विभाजकता की जाँच
- दो अंकों की संख्या के लिए-जिस संख्या के दहाई अंक के तिगुने में इकाई अंक को जोड़ने पर प्राप्त संख्या 7 से विभाजित हो, तो वह संख्या निश्चित रूप से 7 से विभाज्य होगी।
जैसे => 84 में 8×3+4=24+4 = 28 जो 7 से पूर्णतः विभक्त है, इसलिए 84 भी 7 से विभाज्य है। - 3 या 3 से अधिक अंकों की संख्या के लिए-किसी भी संख्या के अंतिम दो अंकों के छोड़कर शेष अंकों से बनी संख्या के दुगुने में अंतिम दो अंकों से बनी संख्या को जोड़ने पर प्राप्त संख्या यदि 7 से विभाजित है, तो वह संख्या भी 7 से विभाज्य होगी। जैसे => 112 → 1 ×2 + 12 = 2 + 12 = 14 जो 7 से विभाज्य है।
∴ 112 भी 7 से विभाज्य है।
Note : किसी भी अंक के 6 बार की पुनरावृत्ति से बनी संख्या हमेशा 7 से विभाज्य होती है। जैसे-111111, 222222, आदि।
- दो अंकों की संख्या के लिए-जिस संख्या के दहाई अंक के तिगुने में इकाई अंक को जोड़ने पर प्राप्त संख्या 7 से विभाजित हो, तो वह संख्या निश्चित रूप से 7 से विभाज्य होगी।
- 8 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या का अंतिम तीन अंक शून्य (0000 हो या 8 से विभाज्य हो, तो वह संख्या भी 8 से विभाज्य होगी। जैसे-1000, 142000, 84512, इत्यादि ।
- 9 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या अंकों का योगफल 9 से विभाज्य हो तो वह सहख्यां 9 से भी विभाज्य होगी। जैसे-1081+0 + 8 = 9. यह संख्या 9 से विभाज्य है।
∴ 108 भी 9 से विभाज्य है। - 10 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या अंतिम अंक शून्य हो, तो वह संख्या 10 से विभाज्य होती है।
जैसे => 10, 20 इत्यादि । - 11 से विभाजकता की जाँच-जिस संख्या के सम और विषम स्थानों के अंकों का योग और दोनों योगों का अंतर शून्य हो या 11 से विभाज्य हो, तो वह संख्या निश्चित रूप से 11 से विभाजित होगी।
जैसे => संख्या 1331 में सम स्थानों के अंकों का योग = 3+1 = 4
विषम स्थानों के अंकों का योग = 1 + 3 = 4
अत: अंतर = 4-4-0
∴ संख्या 1331,11 से विभाज्य है।
वर्ग और वर्गमूल (SQUARE & SQUAREROOT) Math Formula in Hindi
वर्ग (Square) = जब किसी संख्या को उसी संख्या से दो बार गुणा किया जाता है, तो प्राप्त संख्या उस संख्या का वर्ग कहते है। जैसे (4)2 = 4 x 4 = 16 ; (−4)2 = (−4) x (−4) = 16 यहाँ 16, 4 और -4 का वर्ग हुआ।
वर्ग का ज्यामितीय अर्थ = वैसा चतुर्भुज, जिसके चारों भुजाएँ बराबर हों तथा प्रत्येक कोण समकोण हो, वर्ग कहलाता है।
वर्ग की भुजा a हो, तो उसका क्षेत्रफल = a2 होता है।
महत्वपूर्ण :
- A×A = A2
- पूर्ण वर्ग-संख्या 2, 3, 7 या 8 से अंत नहीं होती है।
- सम संख्या का वर्ग हमेशा सम होता है।
- विषम संख्या का वर्ग हमेशा विषम होता है।
- m प्राकृत संख्या है तथा m> 1, हो तो (2m, m2 – 1, m2 + 1) हमेशा एक पाइथागोरियन त्रिक् होगा।
- a और b धनात्मक संख्या हो, तो (i) √ab = √a x √ b (ii) la Ja b √b.
- एक शून्य से अंत होनेवाली संख्या का वर्ग दो शून्य से अंत होता है।
- जैसे- (20)2 = 400, (30)2 = 900.
- एक संख्या के अंत में जितना शून्य होगा, उस संख्या के वर्ग में उस संख्या के शून्य से दुगुना शून्य में होगा। जैसे- (300) 2 = 90000, (4000) 2 = 16000000
- प्रथम n सम प्राकृत संख्या का योग = n (n + 1) होता है।
- प्रथम n विषम प्राकृत संख्या का योग = n2 होता है।
- a का वर्गमूल = a या व होता है।
- पूर्ण वर्ग = संख्या का वर्गमूल एक परिमेय संख्या होती है।
- अपूर्ण वर्ग = संख्या का वर्गमूल हमेशा एक अपरिमेय संख्या होती है।
जैसे- √2 एक अपरिमेय संख्या है। - अपूर्ण वर्ग = संख्या का वर्गमूल असांत अनावर्त (Non-terminating non-recurring) होता है। √2= 1.414… √3 = 1.732…
- जिस संख्या के इकाई अंक के रूप में 2, 3, 7 या 8 हों, वे निश्चित रूप से पूर्ण वर्ग संख्या नहीं होंगे और उसका वर्गमूल पूर्णांक नहीं होगा। जेसे- 22, 33, 47, 58 इत्यादि पूर्ण वर्ग संख्या नहीं हैं इसलिए इनके वर्गमूल पूर्णांक नहीं है।
- जिस संख्या के इकाई अंक 0, 1,4,5,6 या 9 हो तो वे संख्या पूर्ण वर्ग-संख्या हो सकते हैं और नहीं भी। इसलिए उसका वर्गमूल पूर्णांक हो सकता है और नहीं भी। जैसे-25= 52 एक पूर्ण वर्ग-संख्या है इसलिए इसका वर्गमूल = 5 पूर्णांक है। वही 35 पूर्ण वर्ग-संख्या नहीं है, इसलिए इसका वर्गमूल √35 पूर्णांक नहीं है।
- जिस संख्या के अंत में शून्य की संख्या विषम में हो, वे संख्या निश्चित रूप से पूर्ण वर्ग-संख्या नहीं भी और उनका वर्गमूल पूर्णांक नहीं होगा। जैसे- 10, 1000, 2000, 4000 इत्यादि पूर्ण वर्ग-संख्या नहीं है। इसलिए इनका वर्गमूल पूर्णांक नहीं होंगे।
प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं का वर्ग और वर्गमूल (Square and Square Root of First 10 Natural Numbers)
वर्ग | वर्गमूल |
---|---|
12 = 1 | √1 = 1 |
22 = 4 | √4 = 2 |
32 = 9 | √9 = 3 |
42 = 16 | √16 = 4 |
52 = 25 | √25 = 5 |
62 = 36 | √36 = 6 |
72 = 49 | √49 = 7 |
82 = 64 | √64 = 8 |
92 = 81 | √81 = 9 |
102 = 100 | √100 = 10 |
वर्ग (SQUARE) के सूत्र
- वर्ग का क्षेत्रफल = (एक भुजा)2
- वर्ग का क्षेत्रफल = (परिमिति)2 / 16
- वर्ग का क्षेत्रफल = (विकर्ण)2 / 2
- वर्ग की परिमिति = 4 x एक भुजा
- वर्ग की परिमिति = 4 x √क्षेत्रफल AB = BC = CD = DA
- वर्ग की परिमिति = विकर्ण x 2√2 A = ZB = ZC = <D = 90° ZA=LB=LC=LD=90°
- वर्ग की विकर्ण = भुजा × 2√2 AB = ||CD, AD =||BC
- वर्ग की विकर्ण = क्षेत्रफल AC = BD
- वर्गाकार क्षेत्र के बाहर चारों ओर रास्ता बना हो, तो रास्ते का क्षेत्रफल = 4 × रास्ते की चौड़ाई (वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा + रास्ते की चौड़ाई) ।
- वर्गाकार क्षेत्र के अन्दर चारों ओर रास्ता बना हो, तो रास्ते का क्षेत्रफल = 4 × रास्ते की चौड़ाई (वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा – रास्ते की चौड़ाई)
- वर्गाकार क्षेत्र के बीच में दो समान चौड़ाई के रास्ता हों, जो ठीक बीच में एक-दूसरे पर लम्बवत् हों, तो दोनों रास्ते का कुल क्षेत्रफल = रास्ते की चौड़ाई (2 × वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा – रास्ते की चौड़ाई)
- यदि वर्ग की प्रत्येक भुजा को × गुणित किया जाये, तो परिमिति × गुणित तथा क्षेत्रफल × 2 गुणित हो जाता है।
महत्तम समापवर्तक एवं लघुत्तम समापवर्त्तक (H.C.F. & L.C.M.)
महत्तम समापर्तक (H.C.F.) : दो या दो से ज्यादा संख्याओं का महत्तम समापवर्तक बड़ी से बड़ी वह संख्या है, जो प्रतयेक दी गई संख्या को पूर्णतया विभाजित करें। तो वह संख्या उन दोनों संख्याओं का म.स.प. (महत्तम समापवर्तक) कहलाती है, जैसे-संख्याएँ 10, 20, 30 का महत्तम समापवर्तक 10 है।
समापवर्तक (Common Factor) = ऐसी संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में से प्रत्येक को पूरी-पूरी विभाजित करे, जैसे-10, 2030 का समापवर्तक 2,5, 10 है।
लघुत्तम समापवर्त्य (L.C.M.) = वही छोटी से छोटी संख्या जो प्रत्येक दी गई संख्या द्वारा पूर्णत: विभाजित हो जाए, वह संख्या दी गई संख्या का लघुत्तम समापवर्त्य कहलाएगी। जैसे-3,5,6 को लघुत्तम समापवर्त्य 30 क्योंकि 30 को ये तीनों संख्याएँ क्रमशः विभजित कर सकती हैं।
समापवर्त्य (Common Multiple) = एक संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में से प्रत्येक से पूरी-पूरी विभाजित होती है, तो वह संख्या उन संख्याओं की समापवर्त्य कहलाती है, जैसे-3,5,6 का समापवर्त्य 30, 60, 90 आदि हैं।
अपवर्त्तक एवं अपवर्त्य (Factor and Multiple) = यदि एक संख्या m दूसरी संख्या n को पूरी-पूरी काटती है, तो m को अपवर्तक (Factor) तथा n को m का अपवर्त्य (Multiple) कहते हैं।
महत्तम समापवर्तक एवं लघुत्तम समापवर्त्तक (H.C.F. & L.C.M.) महत्त्वपूर्ण सूत्र (Important Formula)
- पहली संख्या × दूसरी संख्या = म० स० × ल० स०
- पहली संख्या = ल० स० × म० स० / दूसरी सं०
- दूसरी सं० = ल० स० × म० स०/ पहली. सं०
- ल० स० (L.C.M) = पहली संख्या × दूसरी संख्या /म० स०(H.C.F)
- म०स० (H.C.F.)= पहली संख्या × दूसरी संख्या /ल० स० (L.C.M)
- भिन्नों का ल०स० = अंशों का ल० सं० / हरों का म० स०
- भिन्नों का म० स० = अंशों का म० सं०/हरों का ल० स०
घन एवं घनमूल (CUBE AND CUBIC ROOT)
परिचय (INTRODUCTION)
किसी संख्या को आपस में तीन बार गुणा करने पर जो गुणनफल प्राप्त होता है, उस गुणनफल को उस संख्या का घन कहते हैं तथा गुणनफल के लिए वह संख्या उसका घनमूल कहलाती है। इसे (³√) चिन्ह से दर्शाते हैं। a का घन a×a ×a, a×a×a को a3 के रूप में व्यक्त करते हैं।
Example: a को a’ के रूप में व्यक्त करते हैं। (a×a×a)
- 13=1×1×1=1
- (-13)=-1×-1×-1=-1
- 23=2×2×2=8
- (-23)=-2×-2×-2=-8
घन-संख्या का घन धन तथा ऋण-संख्या का घन ऋण-संख्या होती है, जबकि ऋण-संख्या का वर्ग घन-संख्या होती है।
प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं के घनमूल (cube root) का निकटतम मान
- ³√1=1
- ³√5=1.7099759
- ³√9=2.0800838
- ³√2=1.2599210
- ³√6 = 1.8171205
- ³√3 = 1.4422495
- ³√7 = 1.912931
- ³√10 = 2.154434
- ³√4=1.5874010
- ³√8=2
प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं के घन और घनमूल (Cube and Cube root of First 10 Natural Numbers)
घन | घनमूल |
---|---|
13 = 1 | 3√1 = 1 |
23 = 8 | 3√8 = 2 |
33 = 27 | 3√27 = 3 |
43 = 64 | 3√64 = 4 |
53 = 125 | 3√125 = 5 |
63 = 216 | 3√216 = 6 |
73 = 343 | 3√343 = 7 |
83 = 512 | 3√512 = 8 |
93 = 729 | 3√729 = 9 |
103 = 1000 | 3√1000 = 10 |
घन (CUBE)
- घन का आयतन = (एक भुजा)
- घन की एक भुजा = ³√आय तन
- घन का विकर्ण = √3 × एक भुजा
- घन की एक भुजा = विकर्ण / √3
- घन के सम्पूर्ण पृष्ठों का क्षेत्रफल = 6 × (एक भुजा)
सरलीकरण (SIMPLIFICAITON) ke Sutra
सरलीकरण का एक महत्त्वपूर्ण नियम ‘BODMAS’ हैं ।
BODMAS का परिचय :
B-Bracket = कोष्ठक
कोष्ठक चार प्रकार के होते हैं। क्रिया करने के आधार पर वरीयता श्रेणी और नाम निम्नांकित प्रकार हैं :
- ‘-‘ रेखा कोष्ठक (Line bracket)
- () छोटा कोष्ठक (Parenthesis or small bracket or circular brackets)
- { } मँझली कोष्ठक (Braces or Curly brackets)
- [ ] बड़ी कोष्ठक (Square brackets or brackets)
O – Of – का
D – Division – भाग
M – Multiplication — गुणा
A – Addition – जोड़
S—Substraction- घटाव
सबसे पहले bracket की क्रिया की जाती है, उसके बाद of (का), भाग, गुणा, जोड़ और घटाव की क्रिया क्रमशः की जाती है।
(-) → ()→ {} → []
Line small braces square
bracket bracket bracket bracket
O → D → M → A → S
Of Division Multiplication Addition Substraction
सरलीकरण के संदर्भ में प्रचलित कहावत :
पहले (का) करों पीछे (भाग) तब (गुणा) तब (जोड़) एवं (घटाव)।
घातांक, करणी और लघुगणक (EXPONENT, SURD AND LOGARITHMS)
घातांक (EXPONENT) महत्वूपर्ण सूत्र
- Exponential identity (a raised to the power of 0 is 1) : a0 = 1
- Exponential identity (a raised to the power of 1 is itself): a1 = a
- Exponential identity (product of like bases with different exponents): am x an = am+n
- am ÷ an = am-n
- (am)n = amn
- am ÷ a-n = am+n
- am x an x ap = am+n+p
- am x bm = (ab)m
- (a/b)-m = (b/a)m
- a-m = (1/a)m
- (am)1/n = ( a1/n )m = am/n
- am = b ∴ a = (b)1/m
ax = N, यहाँ a = आधार [a * 0,a #1, a > 0]
x = घातांक, N = परिणाम
ax = N लिखने में आधार और परिणाम का आकार बराबर होता है, लेकिन घातांक का आकार थोड़ा छोटा तथा आधार के विकर्णत: शीर्ष पर होता है।
करणी (SURDS) महत्वूपर्ण सूत्र
यदि n = प्राकृत संख्या और a = परिमेय संख्या हों तथा n√a = एक अपरिमेय संख्या हो, तो n√a को करणी (Surd) कहते हैं।
n को करणीघात (Power of Surd) कहते हैं।
a को करणीगत (Radicand) कहते हैं।
जैसे : 3√5 = एक करणी है जिसमें 5 करणीगत और 3 करणीघात है। इसका घातांकीय रूप (5)1/3 होता है।
लघुगणक Logarithm का आविष्कार
लघुगणक का आविष्कार 1612 ई० में हेनरी ब्रीग्स ने किया, जिसका आधार 10 के रूप में लिया गया, जिसे सामान्य लघुगणक कहते हैं। हेनरी ब्रीग्स के समकालीन गणितज्ञ जॉन नेपीयर ने लघुगणक का विकास आधार e पर किया। आधार e वाले लघुगणक को प्राकृतिक लघुगणक तथा नेपीयर के सम्मान में नेपीरियन लघुगणक (Napierian Logarithm) कहा जाता हैं।
कुछ महत्त्वपूर्ण लघुगणक (LOGARITHMS) सूत्र :
- ∴ ax = N, ∴ loga N = x (a≠ 0, a > 0, a≠ 0)
जहाँ N = धनात्मत्मक मान - loga 1 = 0 ∴ log10 1 = 0
- loga a = 1 ∴ log10 10 = 1
- log m x n = loga m + loga n
- loga m x n x p = loga m + loga n + loga P
- loga m/ n = loga m – loga n
- loga mn = n loga m
- loga m = logb m x loga b
- loga b = 1 / logb a
- यदि loga bx = loga by, तो x = y
- संख्या n का मानक रूप = m x 10p है। [∵ 1 ≤ m < 10 और p कोई पूर्णांक है]
∴ log n = p + logm
यहाँ p को Characteristic तथा log m को Mantissa कहते हैं।
माप और तौल (Measures & Weights)
लम्बाई
10 मिलीमीटर | 1 सेण्टीमीटर |
10 सेण्टीमीटर | 1 डेसीमीटर |
10 डेसीमीटर | 1 मीटर |
10 मीटर | 1 डेकामीटर |
10 डेकामीटर | 1 हेक्टोमीटर |
10 हेक्टोमीटर | 1 किलोमीटर |
12 इंच | 1 फुट |
3 फुट | 1 गज |
220 गज | 1 फलांग |
1760 फर्लांग | 1 मील |
5280 फुट | 1 मील |
मैट्रिक प्रणाली में | बिटिश प्रणाली में |
---|---|
1 सेण्टीमीटर | 0.3937 इंच |
1 मीटर | 39.37 इंच |
1 मीटर | 3.28 फुट |
1 मीटर | 1.09 गज |
1 मीटर | 0.6214 मील |
1 इंच | 2.54 सेमी |
1 गैलन | 4.546 लिटर |
1 किमी | 5/8 मील |
1 शिलिंग | 12 पैंस |
1 मील | 1.6093 किमी |
16 औंस | 1 पाउण्ड |
1 हेंडरवेट | 112 पाउण्ड |
20 हेंडरवेट | 1 टन = 2240 पाउण्ड |
1 क्राउन | 5 शिलिंग |
1 स्टोन | 14 औंस |
1 फ्लोरिन | 2 शिलिंग |
1 सावरन | 20 शिलिंग = 1 पाउंड |
1 गिनी | 21 शिलिंग |
30.25 वर्गगज | 1 वर्गपोल |
40 वर्गपोल | 1 रुढ़ |
40 रुढ़ | 1 एकड़ |
22 गज | 1 चेन |
40 एकड़ | 64 बीघा |
200 गज | 1 वर्ग |
1 वर्गमील | 2.56 वर्गकिमी |
5 मील | 8 किलोमीटर |
1.6 बीघा | 1 एकड़ |
1760 गज | 1 मील |
1 लग्गी | 8.25 फीट |
18 इंच | 1 हाथ |
1361.25 वर्गफीट | 1 कट्ठा |
क्षेत्रफल (Area)
1 अर | 1 वर्ग डेकामीटर |
1 अर | 100 वर्गमीटर |
1 हैक्टेयर | 10,000 वर्गमीटर |
1 एकड़ | 4840 वर्गगज |
20 धुरकी | 1 धूर |
20 धूर | 1 कट्ठा |
20 कट्ठा | 1 बीघा |
आयतन (Volume)
1 गैलन | 4.55 लीटर |
1000 घनसेंटीमीटर | 1 लीटर |
1000 लीटर | 1 घनमीटर |
1 लीटर | 6.1024 घनइंच |
1 लीटर | 1.759 पाइंट |
1 लीटर | 0.22 गैलन |
1 घनइंच | 16.3862 घन सेंटीमीटर |
1000 घन मिलिमीटर | 1 घन सेंटीमीटर |
1000 घन सेंटीमीटर | 1 घन डेसीमीटर |
1000 घन डेसीमीटर | 1 घन मीटर |
1000 घन मीटर | 1 घन डेकामीटर |
1000 घन डेकामीटर | 1 घन हेक्टोमीटर |
1000 घन हेक्टोमीटर | 1 घन किलोमीटर |
1000 घन किलोमीटर | 1 घन मिरियामीटर |
TRICK:
- Left वाला को right में बदलने के लिए 10 के ऋणात्मक घात से गुणा करते हैं। जैसे – 1 m = 10-3 km.
- Right वाला को Left में बदलने के लिए 10 के धनात्मक घात से गुणा करते हैं। जैसे- 1 km = 103m.
समय (Time)
60 सेकण्ड | 1 मिनट |
60 मिनट | 1 घंटा |
24 घंटा | 1 दिन |
7 दिन | 1 सप्ताह |
15 दिन | 1 पक्ष |
30 या 31 दिन | 1 माह |
365 दिन | 1 वर्ष |
366 दिन | 1 अधिवर्ष [Leap year] |
50 वर्ष | 1 युग [One Era] |
100 वर्ष | 1 शताब्दी [Century] |
1000 वर्ष | 10 शताब्दी = 1 मिलिनियम |
Note – फरवरी 28 दिन; लीप वर्ष (leap year) में फरवरी 29 दिन का होता है।
महत्वपूर्ण एकल इकाई रूपान्तरण लम्बाई एवं क्षेत्रफल
1 इंच | 2.54 सेमी |
1 फुट | 30.48 सेमी |
1 गज | 91.4399 सेमी = 3 फुट |
1 चैन | 20.116 मीटर |
1 फर्लांग | 10 चैन = 201.16 मीटर |
1 मील | 1609.3 मीटर |
1 बीघा | 2304.576036 वर्गमीटर (भिन्न जगहों पर बदलता है) |
1 एकड़ | 4046.80 वर्गमीटर 32 कट्ठा 4840 वर्ग गज |
1 हेक्टेयर | 100 एअर 10000 वर्गमीटर 11955 वर्ग गज |
1 डेसीमल | 40 वर्गमीटर |
1 पारसेक | 3.26 प्रकाशवर्ष |
1 कट्ठा | 1361.25 वर्ग फीट |
1 वर्गमीटर | 1.196 वर्ग गज |
1 वर्ग गज | 0.836126 वर्ग मीटर |
1 वर्ग मील | 2.59 वर्ग किमी |
भार एवं वजन
1 तोला | 12 मासा 11.664 ग्राम |
1 रेत्ती | 2 जव |
1 मासा | 5 रत्ती |
1 पाव | 4 छटांक |
1 छटॉक | 12 घटक 5 तोला |
1 पसेरी | 5 सेर |
1 सेर | 933 ग्राम |
1 मन कच्ची | 8 पसेरी 40 सेर 37.32 किलोग्राम |
1 पाउण्ड | 453.592 ग्राम |
1 टन | 1016 किग्रा |
1 ग्रेन | 0.0648 ग्राम |
1 ड्राम | 1.772 ग्राम |
1 आउन्स | 28.350 ग्राम |
आयतन परिवर्तन सारणी
1 घन इंच | 16.39 घन सेमी |
1 घन गज | 0.764 घन मी |
1 घन सेमी | 0.061 घन इंच |
1 घन फुट | 28.32 मीटर |
1 घन फुट | 0.0283 घन मी |
1 घन मी | 35.314 घन फुट 1.308 घन गज 6102 घन इंच |
तौल की तालिका
तौल की इकाई एक ग्राम है, जो 1° सेण्टीग्रेट तापक्रम पर 1घन सेण्टीमीटर शुद्ध जल का भार है।
1 डेकाग्राम | 10 ग्राम |
1 डेसीग्राम | 1/10 ग्राम |
1 हेक्टोग्राम | 100 ग्राम |
1 सेण्टीग्राम | 1/100 ग्राम |
1 किलोग्राम | 1000 ग्राम |
1 मिली ग्राम | 1/1000 ग्राम |
1 मिरियाग्राम | 1000 ग्राम |
1 टन | 1000 किलोग्राम |
1 मन | 40 किलोग्राम |
1 क्विंटल | 100 किलोग्राम |
Greek Alphabet ( यूनानी वर्ण )
चिह्न | हिन्दी | अंग्रेजी |
α | अल्फा | Alph |
β | बीटा | Beta |
γ | गामा | Gamma |
δ | डेल्टा | Delta |
ε | एपसाइलन | Epsilon |
ζ | जीटा | Zeta |
η | ईटा | Eta |
Ө | थीटा | Theta |
ι | आयोटा | Iota |
K | कप्पा | Kappa |
λ | लेम्डा | Lambda |
μ | म्यू | Mu |
ρ | रो | Rho |
τ | टाउ | Tau |
φ | फाई | Phi |
Ψ | साई | Psi |
υ | न्यू | Nu |
ξ | जाई | Xi |
ο | ओमीक्रोन/सिम्मा | Omecron |
π | पाई | Pi |
σ | सिग्मा | Sigma |
u | अप्साइलोन | Upsilon |
χ | काई | Chi |
ω | ओमेगा | Omega |
अनुपात एवं समानुपात (RATIO & PROPORTION)
परिचय (Introduction) :
अनुपात (Ratio) : अनुपात दो सजातीय राशियों के यह बताती है कि एक राशि दूसरी राशि से कितनी गुनी हैइसे दो राशियों के बीच (:) चिह्न रखकर सूचित करता है। a/b को a तथा b का अनुपात कहते हैं तथा इसे a: b से सूचित करते हैं।
अनुपात के प्रथम राशि को प्रथम पद (Antecedent) तथा दूसरे को द्वितीय पद (Consequent) कहते हैं। इसलिए a को प्रथम पद तथा b को द्वितीय पद कहेंगे । समानुपात (Proportion) चार राशियों में से जब पहली और दूसरी राशि का अनुपात, तीसरी और चौथी अनुपात के बराबर हो, तो वह समानुपात कहलाता है। इसे दो अनुपात के बीच (::) चिह्न रखकर सूचित किया जाता है। यदि दो अनुपात a: b और c : d बराबर हों, तो इसे a: b :: c: d समानुपात के रूप में लिखते हैं।
महत्वपूर्ण बिन्दू (IMPORTANT POINTS)
1. समानुपाती (Mean Proportional) :
a: x : x : : b या, a/x = x/b या, x2 = ab या, √ab यानि x = a तथा b का मध्य समानुपाती = √ab
2. जटिल अनुपात (Compound Ratio) :
जटिल अनुपात = दिये हुए सभी अनुपातों के पूर्व पदों का गुणफल / दिये हुए सभी अनुपातों के अन्तिम पदों का गुणनफल
a: b:c: d, e: f का अनुपात = (a x c x e) / (b x d x f)
3. द्विघाती अनुपात (Duplicate Ratio) = a: b का द्विघाती अनुपात a2: b2 तथा a : b का Sub duplicate Ratio √a: √b होगा।
4. त्रिघाती अनुपात (Triplicate ratio) = a: b का त्रिघाती अनुपात a3 : b3 तथा a : b का Subtriplicate Ratio Va: 3/6 होगा।
(5) विलोमानुपात (Inverse or Reciprocal Ratio) = a: b का विलोमानुपात 1/a : 1/b होगा।
(6) मध्य समानुपात (Mean Proportion) = a तथा b का मध्य समानुपात = √ab
(7) तृतीयानुपात (Third Proportion) = a तथा b का तृतीयानुपात = b2/a
(8) यदि a: b :: c: d हो, तो
- b: a : : d : c
- c : a : : d : b
- a : c : : b : d
- (a+b) : a : : (c+d) : c
- (a – b) : a : : (c-d) : c
- (a + b) : (a-b) : : (c+d) : (c-d)
- (a + b) : (c+d) : : (a – b) : (c-d)
- (a + c) : (b+d) : : (a-c) : (b-d)
SOME SPECIAL TRICKS :
- पहली संख्या = दूसरी x तीसरी / चौथी
- दूसरी संख्या = पहली x चौथी / तीसरी
- तीसरी संख्या = पहली × चौथी / दूसरी
- चौथी संख्या = दूसरी × तीसरी / पहली
- यदि A : B = x : y, B : C = y : z हो, तो A: C = (A/B) × (B/C) = (x/y) × (y/z) = x:z
कैलेण्डर (CALENDAR)
इस अध्याय में हम मुख्य रूप से ऐसी विधि विकसित करेंगे जिसके अन्तर्गत किसी भी वर्ष के किसी भी दिन सप्ताह का कौन-सा दिन होगा, यह ज्ञात कर सकेंगे।
ध्यान देने योग्य बातें :
- अतिरिक्त दिन (Odd days): किसी दिए हुए अन्तराल में ऐसे दिनों की संख्या जो पूर्ण-सप्ताहों की संख्या से अधिक हों, अतिरिक्त दिन कहलाते हैं।
- लीप वर्ष : प्रत्येक ऐसा वर्ष (शताब्दी न हो), जो 4 से पूर्णतया विभक्त हो तथा प्रतयेक वह शताब्दी जो 400 से पूर्णतया विभक्त हो, लीप वर्ष कहलाता है, स्पष्ट है कि जो शताब्दी 400 से विभक्त न हो, लीप वर्ष नहीं होगी।
- उदाहरण :
- वर्ष 1620, 1860, 1940, 1984, 1996, 2004, 2008 आदि सभी लीप वर्ष हैं।
- वर्ष 400, 800, 1200, 1600, 2000, 2400 आदि सभी लीप वर्ष हैं।
- वर्ष 1726, 1982, 1800, 2100 आदि लीप वर्ष नहीं हैं।
- 1 साधारण वर्ष = 365 दिन तथा 1 लीप-वर्ष = 366 दिन ।
- अतिरिक्त दिनों की गिनती करना :
- 1 साधारण वर्ष = 365 दिन = (52 सप्ताह) + (1 दिन) अतः 1 साधारण वर्ष में 1 अतिरिक्त दिन होता है।
- 1 लीप वर्ष = 366 दिन = (52 सप्ताह) + (2 दिन) अतः 1 लीप वर्ष में 2 अतिरिक्त दिन होता है।
- 100 वर्ष 100 वर्ष = 76 साधारण वर्ष + 24 लीप वर्ष
= 76 अतिरिक्त दिन + (24 x 2) अतिरिक्त दिन
= 124 अतिरिक्त दिन + (17 सप्ताह + 5 दिन)
= 5 अतिरिक्त दिन - 100 वर्ष के अतिरिक्त दिन = 5
- 200 वर्ष के अतिरिक्त दिन = 10 अर्थात् (1 सप्ताह 3 दिन) = 3 दिन.
- 300 वर्ष के अतिरिक्त दिन = 15 अर्थात् (2 सप्ताह 1 दिन) = 1 दिन.
- 400 वर्ष के अतिरिक्त दिन = (20 + 1) = 21 अर्थात् 0
- 800 वर्ष, 1200 वर्ष, 1600 वर्ष, 2000 वर्ष आदि के अतिरिक्त दिन = 0
दिन | अतिरिक्त दिनों की संख्या |
---|---|
रवि | 0 |
सोम | 1 |
मंगल | 2 |
बुध | 3 |
वृह० | 4 |
शुक् | 5 |
शनि | 6 |
इस लेख में, हमने सभी महत्वपूर्ण Ganit Ke Sutra (Math formula in hindi) का सरल विवरण प्रस्तुत किया है। गणित सूत्रों का अध्ययन करना हमारे गणित के ज्ञान को मजबूती से बनाए रखता है और हमें अधिक तरीकों से समस्याओं का समाधान निकलने में मदद करता है।