1 Best Essay on Mehangai (Inflation) in Hindi | महंगाई पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Mehangai (Inflation) Par Nibandh in hindi पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

क्या आप खुद से अच्छा निबंध लिखना चाहते है – Essay Writing in Hindi


महंगाई पर निबंध – Mehangai Par Nibandh

प्रस्तावना

यद्यपि प्रत्येक सामान्य जन के जीवन में अनेक कठिनाइयाँ हैं किन्तु बद से बदतर जीवन जी रहे अति-निम्न आय के व्यक्ति के लिए मँहगाई मुँह बाए खड़ी हो जाती है तो व्यक्ति का मुँह भी खुला का खुला रह जाता है। यहाँ तक प्याज के साथ भी रोटी नसीब नहीं हो पाती है। दूसरी ओर बढ़ती हुई मंहगाई धनी लोगों के लिए वरदान सिद्ध हो जाती है। सर्वथा निम्न आय का ही व्यक्ति प्रताड़ित होता है कि भूखे पेट भी सोने को विवश हो जाता है।

भूख से बिलबिलाते बच्चों को देख कर व्यक्ति विवश कुपथ पर चल पड़ता है या आत्महत्या भी कर लेता है। भूख से तड़प कर मृत्यु को स्वीकार न कर पाने पर उसे कुपथ ही श्रेयस्कर प्रतीत होने लगता है। आसमान को छूती हुई वस्तुओं की कीमतों को देखते हुए प्रतिदिन की आय से जीवन की एक भी आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर पा रहा है।

मँहगाई के जिम्मेदार कौन?
Who is responsible for Mehangai

आश्चर्य है कि भारत ऐसा अकेला विकसित देश है जहाँ वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतें घट रही हैं। इसके लिए सरकार और बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ जिम्मेदार हैं। अनेक पूंजीपति सत्ताधीशों से सम्बन्ध रखते हैं। पूंजीपतियों की जमाखोरी पर सत्ताधीश मौन रहते हैं। कालाबाजारियों, जमाखोरों के खिलाफ उचित कार्यवाही करने पर चुप्पी साध लेते हैं।

इस प्रकार सत्ताधीशों की ढुलमुल इच्छाशक्ति का लाभ पर्याप्त उठाते हैं। जिस वस्तु की मांग बढ़ती है उसका अभाव करना इन जमाखोरों के लिए सामान्य कार्य है। परिणाम में सामान्य जनता पर प्रभाव पड़ता है। भ्रष्टाचार भी मुख्य कारण है। सरकार राशन दुकानों की व्यवस्था करती है किन्तु वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। इसके आतारक्त बिचौलिए का होना है। उत्पादन करने वाले कृषक आदि को उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता है किन्तु बाजार में आत-जात और उपभोक्ता तक पहुँचते-पहुँचते अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

इसके अतिरिक्त समाज में ऐसे सोच के व्यक्तियों की संख्या अधिक है या उनके सोच में इतना परिवर्तन आ गया है कि सामान्य जीवन जीना उसे गंवारा नहीं है। अपेक्षा से अधिक सुख-सुविधा वाले संसाधन चाहिए। इसके लिए प्रचार-तन्त्र के माध्यम से बिचौलियों ने मनुष्य के सोच को बदला है। ऐसे संसाधनों के अभाव में उसकी परेशानी बढ़ती है और उत्पादक कम्पनी लाभ उठाती है।

मंहगाई और बढ़ती जनसंख्या – Inflation and Increasing Population

बढती हुई निरन्तर जनसंख्या ही महंगाई का मुख्य कारण है। जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है, उससे कहीं अधिक महंगाई। वस्तु का अभाव और मांग अधिक तो अर्थशास्त्र के अनुसार मंहगाई बढ़ती है। जीवन के लिए आवश्यक जा का उत्पादन कम होना, कृषि योग्य भूमि का कम होना और जनसंख्या का बढ़ना Mehangai का मुख्य कारण है। इसी का लाभ जमाखोर, कालाबाजारी करने वाले उठाते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या (population) के साथ-साथ मनुष्य का जीवन बदलता है। अपनी आय का बहुत बड़ा हिस्सा अनावश्यक वस्तुओं के भण्डार में खर्च करता है। अनावश्यक वस्तुओं को ही आवश्यक समझने के कारण बाजारों पर निभर्र रहने लगा है। इस तरह मनुष्य के जीवन में अभाव ही अभाव रहता है। उपभोक्ता की इस विवशता का लाभ व्यापारी वर्ग अर्थात् उत्पादक मनमर्जी लाभ उठाता है और वस्तुओं की कीमत बढ़ाता है। सुरसा का तरह मुँह बाए खड़ी महंगाई सबसे अधिक निम्न वर्ग को प्रभावित करती है।

निम्न वर्ग का व्यक्ति साहूकार से धन लकर उसक चुगल में फंसता ही चला जाता है, उससे मुक्त न हो पाने पर यवावर्ग लटपाट-चोरी, हत्या या आत्महत्या जैसे जघनकृत्य और दुष्कार्य करने लगता है। इस तरह देश का तन्त्र सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ता है। जो समय युवा वर्ग के लिए शिक्षा के लिए होता है वह व्यर्थ के कार्यों में चला जाता है। इस तरह महंगाई निम्न-वर्ग के लिए महामारी के रूप में आती है और अपना कहर निरन्तर बरपाती है।

Mehangai ख़तम करने के उपाय

यह देश का दुर्भाग्य है कि देश को स्वतन्त्र हुए आधी सदी हो गई किन्तु निम्न वर्ग की दशा और दिशा में पूर्ण रूपेण सुधार नहीं हो सका। बढ़ती हुई महंगाई स्वयं जनता के जागरूक होने से और सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति होने पर ही इसे शीघ्र नियन्त्रित किया जा सकता है।

कालाबाजारियों और जमाखोरों के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही कर सार्वजनिक राशन की वितरण प्रणाली को मजबूत करना भ्रष्टाचार की निगरानी करते रहना चाहिए, जिससे वितरण प्रणाली भ्रष्टाचार से मुक्त रहे। गान्धी के उस विचार पर भी विचार कर गाँवों को समृद्ध करने का उपाय करना उचित हो सकता है। महात्मा गान्धी जी ने कहा था कि आर्थिक विकास की ऐसी तरकीबें ईजाद की जाएं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आर्थिक दशा सुधारी जा सके।

यदि ऐसा हो गया तो गाँव आत्मनिर्भर भी हो जाएंगे और राष्ट्र के विकास में बड़े पैमाने पर योगदान भी देंगे। महंगाई के दुष्परिणामों के बारे में पूंजीपति और सत्ताधीश सुपरिचित हैं, किन्तु ऐसा लगता है कि सत्ताधीश, पूँजीपतियों की इच्छा के विरुद्ध कुछ भी करने में असमर्थ पाते हों। राज्य सरकारें अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दें। कालाबाजारी को रोकें। जिस तरह गरीबी जीवन के लिए अभिशाप है तो उसी तरह मंहगाई गरीब को अपंग बनाने में सहायक है।

उपसंहार

जनता को बाजार के चकाचौंध से दूर रहकर जीवन के लिए अनावश्यक वस्तुओं के भण्डार-संचय की प्रवृत्ति को छोड़कर आवश्यक वस्तुओं तक सीमित रहना सीखना चाहिए। सामाजिक लोगों को चाहिए कि जनता में जागरूकता पैदा करे और जनता के द्वारा पैदा की गई वस्तुओं और उपभोक्ता तक पहुँचाने की व्यवस्था में बिचौलिए की भूमिका नकारें। सरकार अपने वितरण प्रणाली तन्त्र को मजबूत करे।

तो दोस्तों आपको यह Essay on Mehangai (Inflation) Par Nibandh in hindi पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।


जीवनी पढ़ें अंग्रेजी भाषा में – Bollywoodbiofacts

1 thought on “1 Best Essay on Mehangai (Inflation) in Hindi | महंगाई पर निबंध”

Leave a Comment