हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Hindi Bhasha or Lipi डिटेल में पढ़ाया है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Hindi Bhasha or Lipi को अपने Exams या परीक्षा में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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भाषा – Bhasha (Language)
नीचे चार चित्र दिए गए हैं एक में दो लड़कियाँ आपस में बात-चीत कर रही हैं; दूसरे में एक व्यक्ति किसी के साथ टेलीफोन पर बात कर रहा है; तीसरे चित्र में एक स्त्री किसी को पत्र लिख रही है और चौथे चित्र में एक लडका और एक लड़की टीवी पर समाचार सुन रहे हैं। इन चित्रों में सभी व्यक्ति किसी-न-किसी माध्यम से किसी के सामने अपने भाव अथवा विचार प्रकट कर रहे हैं, अपनी बात कह रहे हैं।
हम देखते हैं कि हर जगह भाव या विचार प्रकट करने का साधन भाषा है जो कहीं सामने बैठे व्यक्ति के साथ बातचीत में प्रयक्त हो रही हैं, कहीं टेलीफोन पर उसी के द्वारा बातचीत हो रही है, तथा कहीं उसी के द्वारा पत्र में अपनी बात कही जा रही है तो कहीं उसी के द्वारा हम टीवी पर समाचार सुन रहे हैं।
इस प्रकार Bhasha की परिभाषा दी जा सकती है :
बोलकर या लिखकर भाव या विचार दूसरों तक पहुँचाने और दूसरों के भाव या विचार पढकर या सुनकर ग्रहण करने के माध्यम को भाषा कहते हैं।
भाषा (Bhasha) के दो रूप होते है।
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
मौखिक भाषा : भाषा के जिस रूप का प्रयोग सामान्य बातचीत में, भाषण अथवा संवाद में बोलकर किया जाता है, वह भाषा का मौखिक रूप कहलाता है।
लिखित भाषा : भाषा के जिस रूप का प्रयोग लिखकर किया जाता है, उसे लिाखत भाषा कहते हैं।
लिपि (lipi) किसे कहते है।
भाषा की ध्वनियों को जिन लेखन-चिहनों के द्वारा लिखा जाता है, उन्हें उस भाषा की लिपि कहते हैं।
- हिंदी भाषा की लिपि क्या कहलाती है?
- हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि कहलाती है
राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश और बिहार में सरकारी कामकाज की मुख्य भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी ही है। ये सभी राज्य हिंदी-क्षेत्र कहलाते हैं। हिंदी-क्षेत्रों में हिंदी एक ओर जहाँ पारस्परिक बोलचाल, आपसी व्यवहार-व्यापार और काम-काज की भाषा है, वहीं शिक्षा के माध्यम के रूप में भी उसका व्यवहार किया जाता है। कुछ हिंदी भाषी राज्यों और क्षेत्रों में शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाएँ चलती हैं तथा उनके साथ-साथ किसी दूसरे राज्य की भाषा के अध्ययन-अध्यापन की भी व्यवस्था है।
बोली, उपभाषा और भाषा
भाषा के उस स्थानीय रूप को बोली कहते हैं, जिसे किसी सीमित और छोटे क्षेत्र के लोग बोलते हों। बोली हर चार-छह किलोमीटर पर हलकी-सी बदलती रहती है। उपभाषा एक बड़े क्षेत्र में बोलचाल के प्रयोग में लाया जाने वाला भाषा का वह रूप है, जिसमें साहित्य-रचना भी होती है। जब कुछ महान कवि और लेखक किसी उपभाषा में किसी महान ग्रंथ की रचना कर देते हैं तो वह उपभाषा भाषा का पद प्राप्त कर लेती है।
हिंदी की उपभाषाएँ और बोलियाँ
अवधी, ब्रज, मैथिली, भोजपुरी, हरियाणवी, राजस्थानी, पहाडी आदि हिंदी की बोलियाँ और उपभाषाएँ हैं। हिंदी की इन बोलियों को विशेष रूप से निम्नलिखित भागों में बाँटा जाता है:
- पश्चिमी हिंदी : इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बोलियाँ और उपभाषाएँ आती हैं।
ब्रज, खड़ी बोली, बाँगरु (हरियाणवी), बुंदेली और कन्नौजी। सूरदास ब्रजभाषा के और मैथिलीशरण गुप्त, प्रसाद, पंत, निराला और महादेवी वर्मा खड़ी बोली के महान कवि माने जाते हैं। खड़ी बोली दिल्ली, मेरठ और सहारनपुर के आस-पास बोली जाती है। ब्रज मथुरा-आगरा के आस-पास बोली जाने वाली भाषा है।
- पूर्वी हिंदी : इसके अन्तर्गत अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं। तुलसीदास का महान ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ अवधी भाषा में ही रचा गया है।
- राजस्थानी : राजस्थान में बोली जाने वाली निम्नलिखित चार बोलियाँ इसके अन्तर्गत आती हैं
(i) मेवाती (ii) मारवाड़ी (iii) हाडोती (iv) मेवाड़ी।
- बिहारी : बिहार में बोली जाने वाली निम्नलिखित बोलियाँ इसके अन्तर्गत आती हैं.
(i) मैथिली (ii) मगही (iii) भोजपुरी। महाकवि विद्यापति मैथिली के बहत ही लोकप्रिय कवि हैं।
- पहाडी : इसके अन्तर्गत मंडियाली (हिमाचली), गढ़वाली तथा कुमाऊँनी बोलियाँ आती हैं।
Bhasha Aur Vyakaran
हर ज्ञान के विधिवत् अध्ययन के अपने कुछ नियम-सिद्धांत होते हैं। भाषा का अध्ययन जिन नियम-सिंद्धातों के आधार पर किया जाता है, उनका बोध कराने वाली रचना को व्याकरण कहते हैं।
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