1 Best Essay in hindi on pollution | प्रदूषण के कारण एवं निवारण

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प्रदूषण के कारण एवं निवारण –  (Cause and Solution of Pollution)

प्रदूषण का अर्थ एवं प्रकार

प्रदूषण का अर्थ है-गंदगी। आज का वातावरण एवं वायुमंडल बहुत तेजी से प्रदूषित हो रहा है। हर व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में यह स्थिति और भी भयानक होती जा रही है। कल-कारखानों से निकलने वाले धुएँ के कारण हवा विषाक्त होती जा रही है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों में तो यह समस्या और भी जटिल है।

प्रदूषण चार प्रकार के हैं – Pradushan ke Prakar

  1. ध्वनि प्रदूषण
  2. जल प्रदूषण
  3. वायु प्रदूषण
  4. मृदा प्रदूषण

प्रदूषण के कारण Pradushan ki Samasya

ध्वनि प्रदूषण गाँवों की अपेक्षा शहरों में अधिक है। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, शादी-विवाह, जागरण, कारखानों में चलती भारी भरकम मशीनों का शोर एवं लाउडस्पीकर के कारण अशांति रहती है। परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थी अपनी पढाई नहीं कर सकते। वृद्ध व बीमार अपने घरों में चैन से रह नहीं सकते।

जल प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। भारी धातुएँ जल स्रोतों को प्रदूषित कर रही हैं। मिल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट नदियों में लगातार आता रहता है। कई बार तो इस जल का शोधन भी नहीं होता। परिणामतः नदियों व नालों के किनारे रहने वाले त्वचा रोग से ग्रसित होते हैं। पीलिया एवं टॉयफाइड जैसी बीमारियाँ होती हैं। पेट सम्बन्धी कई ऐसी बीमारियाँ हैं जो जल प्रदूषण के कारण ही होती हैं।

वायु प्रदुषण के कारण भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। ईंट के भट्टी से निकलने वाला क्लोरो-फ्लोरो कार्बन वनस्पतियों के विनाश का कारण बन रहा है। गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ वायुमंडल में ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ा रहा है।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि प्रतिवर्ष घरों में जलाई जाने वाली अगरबत्ती व धूपबत्ती के कारण भी स्वास की समस्या से ग्रस्त होने के कारण हजारों लोगों की मृत्यु होती है। ऊन, चूड़ी व रासायनिक उर्वरक बनाने वाली कंपनियों से भी वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।

भारत की बढ़ती आबादी के भरण-पोषण के लिए यह आवश्यक है कि अन्न का अधिक उत्पादन किया जाए। इस प्रयास को सफल बनाने के लिए कृषि क्षेत्रों में कीटनाशकों व अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है एवं कीटनाशकों व उर्वरकों का विपरीत प्रभाव पड़ता है।

समाधान के उपाय

प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने के लिए न्यायालय द्वारा निर्देशित ध्वनि निरोधक सुझावों का सख्ती से अनुपालन किया जाना चाहिए। गाड़ियों व कारखानों के मालिकों को जागरूक होना चाहिए। शोधन के बाद ही अवशिष्टों को जल स्रोतों में छोड़ा जाना चाहिए। वायु में आक्सीजन एवं कार्बन-डाईआक्साइड का संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए।

मृदा प्रदूषण की समस्या दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि मिट्टी की जाँच करवाकर आवश्यकता के अनुसार ही रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए।


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