Complete Guide on Hockey Game in Hindi | हॉकी खेल के नियम in 2022

हॉकी का इतिहास

कहते हैं, हॉकी (Hockey) ईसा से दो हज़ार वर्ष पूर्व हॉकी का खेल फारस में खेला जाता था। परन्तु यह खेल आधुनिक हॉकी से मिलता-जुलता नहीं था। कुछ समय बाद हॉकी का यह खेल कुछ परिवर्तित होकर यूनान में जा पहुंचा जहां इतना प्रचलित हुआ कि यूनान की ओलंपिक प्रतियोगिता में खेला जाने लगा। परन्तु हॉकी और जन्म के बारे में प्रश्न विवादास्पद ही बना हुआ है।

कुछ लोग कहते हैं, 500 साल पूर्व हॉकी का खेल फ्रांस में खेला जाना शुरू हुआ था। वहां कुछ गडरिये अपने खाली समय में मुड़ी हुई लकड़ी से गेंद खेलते थे। इस मुड़ी हुई लकड़ी को ‘हॉके’ कहते थे। इसी हॉके ने आज की आधुनिक हॉकी स्टिक का रूप लिया। आयरलैंड में भी यह खेल हरवे के नाम से दसवीं शताब्दी में खेला जाता था।

पर आधुनिक हॉकी का यह खेल सबसे पहले इंग्लैंड में उन्नीसवीं शताब्दी में खेला जाने लगा। सन् 1840 में ही इंग्लैंड में सर्वप्रथम हॉकी क्लब की स्थापना हुई। आरंभ में इस खेल में अग्रिम पंक्ति में आठ खिलाड़ी होते थे बाकी दो बैक और एक गोलकीपर होता था। जो टीम ज़्यादा ताकत के साथ खेलती, वह जीत जाती।

सन् 1889 में इस नियम को बदल कर फारवर्ड पंक्ति में 5 खिलाड़ी, फुल बैक 2 हाफ बैक 3 तथा 1 गोल रक्षक रखे गये। तब से यह नियम अभी तक लागू है।

भारत में यह खेल दूसरे विदेशी खेलों की तरह अंग्रेजी सेना द्वारा आया। सर्वप्रथम कलकत्ता में सन् 1905 में पहला हॉकी टूर्नामेंट हुआ। सन् 1925 तक हॉकी केवल अफसर ही खेलते थे। पर बाद में यह भारतीय सैनिकों द्वारा खेली जाने लगी। सन् 1925-26 में अखिल भारतीय हॉकी एसोसियेशन की स्थापना हुई थी। सन् 1926 में पहली भारतीय टीम न्यूजीलैंड मैच खेलने गयी थी जिसमें ध्यानचंद भी एक सदस्य थे।

तब से आज तक भारत में और विदेशों में भी हॉकी खेली जा रही है।

Hockey Rules in Hindi – हॉकी खेल के नियम

  • हॉकी टीम में दोनों ओर से कुल 11, 11 खिलाड़ी खेलते हैं। इनके अलावा 5, 5 खिलाड़ी ___दोनों ओर से सुरक्षित रहते हैं।
  • खेल की अवधि 35-35 मिनट की रहती है जिसमें 5 से 10 मिनट का मध्यावकाश रहता है। खेल के दौरान प्रत्येक टीम 2, 2 खिलाड़ी बदल सकती है। दोनों ओर एक-एक निर्णायक अर्थात् रेफरी होता है जो खेल को आरंभ करने, नियमों का पालन कराने तथा निर्णय लेने के अधिकारी होते हैं। निर्णायकों का निर्णय ही सर्वोपरि माना जाता है।
  • हॉकी का मैदान 100 गज लम्बा और 60 गज चौड़ा होना चाहिए। दोनों ओर दो गोल पोस्ट होते हैं।

हॉकी खेल की सामग्री

गेंद

Hockey की गेंद सफेद रंग की चमड़े से सिली ठोस कार्क की गेंद होती है। गेंद का वज़न 57, औंस से 55 औंस और गेंद का घेरा 81 से लेकर 97 तक होता है।

स्टिक

हॉकी स्टिक का वजन 12 औंस से लेकर 28 औंस तक हो सकता है। इसका बायां सिरा चपट और दूसरा सिरा गोल होता है और यह नीचे से मुड़ी होती है। हॉकी स्टिक इस तरह की बनी होनी चाहिए कि यदि दो इंच व्यास के गोल रिंग में से इसे ऊपर से लेकर नीचे तक निकाला जाए तो निकल जाए।

पैड

दोनों टीमों के गोलकीपर हॉकी के लिए इस्तेमाल होनेवाले चौड़े पैड पहनते हैं ताकि टांगों और पांवों में चोट न लगे।

ग्लब्स

दोनों टीमों के गोल कीपर ही पैड के साथ हाथों में ग्लब्स पहनते हैं ताकि हाथों में चोट नहीं लगे।

मास्क

एस्ट्रोटर्फ पर खेले जानेवाले मैचों में गोल कीपर को अपना मुंह बचाने के लिए मास्क का इस्तेमाल भी आवश्यक है।

Hockey खेल का मैदान

हॉकी के खेल का मैदान आयताकार होता है। इसकी लम्बाई 100 गज तथा चौड़ाई 60 गज होती है। लम्बी सीमा रेखा साइड लाइन और छोटी सीमा रेखा गोल लाइन होती है। गोल लाइन की मोटाई तीन इंच होती है।

इनके नियंत्रण और उसकी सहायता के लिए केन्द्र – रेखा के परे तथा प्रत्येक 25 गज की रेखा, तथा , साइड के 5 गज के समतल में दो गज की लम्बाई का । एक निशान लगाया जायेगा। मैदान के अन्दर गोल रेखा के समतल प्रत्येक साइड लाइन पर तथा इसके भीतरी किनारे से 16 गज पर 12 इंच लम्बा एक निशान लगाया जायेगा। पेनल्टी कॉर्नर हिट के लिए मैदान के अन्दर गोल स्तम्भ के पास, गोल स्तंभ से 5 गज तथा 10 गज पर गोल के दोनों किनारों पर गोल रेखा पर निशान लगाया जायेगा।

कॉर्नर हिट के हिट मैदान के भीतरी कॉर्नर फ्लैग के 5 गज पर गोल रेखाओं तथा पार्श्व (साइड) रेखाओं पर निशान लगाया जायेगा। प्रत्येक गोल केन्द्र से सात गज दूर पर सामने की ओर एक सफेद बिंदु लगाया जायेगा। व्यास 6 इंच से अधिक नहीं होगा। झंडियां केन्द्र रेखा से एक गज बाहर को रखी जायेंगी।

गोल पोस्ट

प्रत्येक गोल रेखा के केन्द्र में 4 गज़ की दूरी पर गड़े हुए दो खम्भों के बीच भूमि से 7 फुट ऊंची (अन्दर का नाप) तथा पड़ी क्रांस बार से जुड़ा एक गोल होगा। गोल पोस्ट का अगला भाग गोल रेखा के बाहर किनारे को छुएगा।

  • गोल पोस्ट क्रांस छड़ों से ऊपर नहीं निकलता हुआ होना चाहिए, न ही क्रॉस बार गोल स्तंभों से बाहर को होगी। गोल स्तंभ और क्रांस बार सामने से 2 इंच चौड़ी और 3 इंच गहरी होना चाहिए। गोल पोस्टों के पीछे अच्छी तरह से मज़बूत जाल बंधा होना चाहिए।
  • गोल पोस्टों के अन्दर 4 गज़ लम्बे तथा अधिक-से-अधिक 18 इंच ऊंचे मैदान को छूते हुए गोल बोर्ड लगाये जाएंगे। ये गोल बोर्ड, गोल लाइन के साथ 90 अंश का कोण बनाएंगे। ये बोर्ड लकड़ी के बने होने चाहिए। जाती है, तथा सूर्योदय के पश्चात् वो अदृश्य हो जाती है। ओजोन, प्राणवायु (आक्सीजन) का ही सघन रूप है। इस वायु में दहन-क्रिया की शक्ति अधिक प्रमाण में होती है। इसलिए उसे यथेष्ट मात्रा में ग्रहण किया जाए, तो हमारे दोषों का शुद्धिकरण और भी अच्छी तरह से हो जाता है।

एक बार जागने के बाद यदि हम फिर से सो जाएं, तो शरीर में आवश्यक स्फूर्ति नहीं रह पाती है। देर से उठने वालों में से अधिकांश लोगों की यह फरियाद रहती है कि उठने पर उनके शरीर में विल्कुल स्फूर्ति नहीं होती। इसके विपरीत आलस्य अधिक रहता है। किसी भी कार्य में मन नहीं लगता और जब किसी कार्य में मन हीं नहीं लगता, तो फिर अधिकांश समय व्यर्थ ही बरबाद हो जाता है।

प्रातःकाल में वृक्षों, पुष्पों और पत्तों से जो सुगंध फैलती है, वो हमारे मस्तिष्क को अपूर्व उल्लास से भर देती है। वास्तव में प्रातःकाल का वातावरण अत्यंत आह्लादक होता है। इस समय में उठने वालों को हृदय-रोग कदापि नहीं होता और वो दीर्घायु बनकर शतायु की सीमा छूने के भाग्यशाली बनते हैं। विश्व के सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों की जीवनी यदि हप पढ़ें, तो हमें मालूम होगा कि वो सभी बहुत सवेरे उठा करते थे।

अतः जिन्हे नीरोग और स्वस्थ रहना है, उन्हें सूर्योद्य से पूर्व ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए, क्योंकि दिन चढ़े उठने से स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। मन मलीन रहता है, सुस्ती और आलस्य घेरे रहते है; घर-बाहर, दुकान या दफ्तर, कहीं भी मन नहीं लगता।

प्रातः भ्रमण जरूरी

यदि हमें अपना भला चाहते है और संसार में सुख से पूर्ण आयु व्यतीत करनी है, तो प्रातःकाल उठने का निर्णय हमें लेना ही होगा।

हम प्रातः भ्रमण नहीं करते। शारीरिक श्रम करने की दिशा में सबसे अच्छा कदम प्रातः भ्रमण है। यूं योगासनों के व्यायाम से भी काफी लाभ होता है, किन्तु पहले सैर की आदत डालकर पीछे योगासन शुरू करना ज्यादा वैज्ञानिक और उपयोगी है।

सैर के सिलसिले में यह ध्यान रखना होगा कि सैर खुले मैदान, खेत, वन या पार्क में की जानी भूमि या हवा में अपने शरीर के किसी भी भाग से नहीं रोक सकता है। हाथ के साथ ऐसा किया जा सकता है, परन्तु गेंद को उसी समय खेल में लाना होगा। 1982 के बाद बाल को हाथ से रोकना फाउल माना जाने लगा है।

  • विरोधी खिलाड़ी को रोकने के लिए स्टिक को टांग या पैर का सहारा नहीं दिया जा सकता।
  • स्टिक के प्रयोग के बिना गेंद को किसी न रूप में, हवा में फेंकना, लुढ़काना, फेंकना निषेध विरोधी खिलाड़ी की Hockey स्टिक के साथ हुकिंग, हिटिंग या स्ट्राइकिंग आदि निषेध है।
  • खेल में हॉकी (स्टिक) का उलटा उभरा हुआ भाग प्रयोग नहीं किया जा सकता है। सामने का चपटा भाग (ब्लेड) ही खेलने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। बिना स्टिक कोई भी खिलाड़ी मैदान में नहीं उतर सकता है। जब गोल फील्ड में हो तब गोलकीपर उसे किक मार सकता है। अपने हाथ-पैर या शरीर के किसी भी भाग से गेंद को रोक सकता है।
  • यदि गेंद रेफरी से टकरा जाए, तो खेल चलता रहेगा। किसी तरह का फाउल नहीं होगा।
  • रफ या खतरनाक खेल, किसी तरह का दुर्व्यवहार या व्यर्थ समय नष्ट करने का निषेध है।

हॉकी (Hockey) के नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में दंड

यदि फाउल शूटिंग सर्किल से बाहर हुआ है तो काफी का आवश्यकता से | अधिक सेवन करते हैं और | जागरण करक आंखों और मस्तिष्क को थका डालते हैं, शरीर के समस्त अवयवों को शिथिल कर डालते हैं। गहरी निद्रा स्वास्थ्य-वर्धक है। निद्रा के बिना कोई भी जीव-जंतु या पशु-पक्षी जीवित नहीं रह सकता।

प्राचीनकाल में तानाशाह शासक कई बार अपराधियों को जागते रहने की सजा दिया करते थे। अर्थात् उन्हें सोने नहीं दिया जाता था। परिणाम-स्वरूप निरंतर जागने से उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता था। फिर या तो वो पागल हो जाते थे या फिर मर जाते थे। यह मृत्यु बड़ी दयनीय होती थी।

हमारे लिए अब क्या इतना जान लेना काफी नहीं है कि हमारे शरीर के लिए निद्रा का कितना महत्त्व है।

सामान्यतः मनुष्य को प्रतिदिन सात-आठ घंटे की निद्रा लेनी चाहिए। इससे अधिक सोना भी उतना हानिकारक है, जितना कि न सोना।

सोने से पहले शरीर को स्वच्छ करके प्राकृतिक कियाओं से निपट जाना चाहिए, ताकि मल-मूत्र आदि के लिए सोते से न जागना पड़े। एक बार सोने के बाद बीच-बीच में जागना उचित नहीं हैं।

सर्दी और गर्मी के मौसम में सोने का भी अपनी एक व्यवस्था है। सोते समय भी शरीर को उचित वातावरण मिलना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में खुले आकाश के नीचे सोया जा सकता है, जबकि शीतकाल में 75 डिग्री तापमान वाले शयनकक्ष में सोने की व्यवस्था करनी चाहिए। .

संध्या के समय हल्का भोजन लेना चाहिए, तथा ज्ञान-तंतुओं को उत्तेजित करने वाले प्रसंगों, दृश्यों और विचारों का परित्याग कर निद्रा का आयोजन करना उत्तम है।

निद्रा से पूर्व मालिश की प्रक्रिया कर, स्नान करने से भी गहरी निद्रा आती है। जिन लोगों को निद्रा देर से आती है, उन्हें शवासन की स्थिति को पहुंचना चाहिए, क्योंकि शवासन की स्थिति में निद्रा सहज ही आ जाती है।

चूंकि रात्रि के प्रथम चार घंटे गहरी निद्रा आती है, अतः उस समय निद्राधीन व्यक्ति की निद्रा में किसी भी प्रकार का विघ्न नहीं पड़ना चाहिए।

अपेक्षा विरोधी खिलाड़ी या गोल-रेखा के करीब हो जबकि अपने अर्द्धक्षेत्र में न हो या कम-से-कम दो विरोधी खिलाड़ी अपनी गोल रेखा के पास के पास न हों।

  • इस नियम के अनुसार खिलाड़ी मैंदान की सीमा में ही माना जाएगा। भले ही वह साइड में हो, साइड लाइन से बाहर हो या गोल-रेखा के पीछे हो।
  • कोई भी खिलाड़ी अपने अर्द्ध में कभी भी ऑफ साइड नहीं हो सकता है।

इन स्थितियों में रक्षक टीम को फ्री हिट दी जाएगी।

Hockey खेल में फ्री हिट

  • फ्री हिट प्रायः फाउल करने के स्थान से ही ली जाती है। यदि आक्रामक खिलाड़ी द्वारा उल्लघन वृत्त के अन्दर होता है तो वृत्त के किसी भी बिंदु से फ्री हिट ली जा सकती है।
  • फ्री हिट लेते समय गेंद भूमि पर स्थिर रहेगी। इसमें गेंद पर किसी भी प्रकार का प्रहार प्रयोग में लाया जा सकता है, परन्तु गेंद घुटने से ऊपर नहीं उछलनी चाहिए। इसमें स्कूप स्ट्रोक नहीं लगाया जा सकता है।
  • यदि फ्री हिट 16 गज के अन्दर मिली हो तो रक्षक टीम के खिलाड़ी द्वारा घटनावाले स्थान के सामानान्तर किसी भी स्थान से फ्री हिट लगाई जा सकती है।
  • फ्री हिट लेते समय विरोधी टीम का खिलाड़ी गेंद से, गज़ के घेरे में नहीं होगा। पर अपनी टीम का खिलाड़ी 5 गज़ दूर होना ज़रूरी नहीं है।
  • फ्री हिट लेते समय यदि फ्री हिट लगानेवाला खिलाड़ी चूक जाए तो दुवारा फ्री हिट लगा सकता है। फ्री हिट लेते समय फ्री हिट लगानेवाला खिलाड़ी गेंद को उस समय तक नहीं छुएगा जब तक किसी दूसरे खिलाड़ी ने गेंद को छू न लिया जो हो। या खेल न लिया हो।

इस नियम का उल्लंघन करने पर निम्न दंड की व्यवस्था है –

  • शूटिंग सर्किल के बाहर विरोधी टीम को भी एक फ्री हिट दी जाएगी।

शूटिंग सर्किल के अन्दर

  • आक्रामक टीम के विरूद्ध विरोधी को 16 गज की फ्री हिट दी जाएगी। ०
  • आक्रामक टीक को रक्षक टीम के विरूद्ध पेनल्टी कॉर्नर या पेनल्टी स्ट्रोक दिया जाएगा।

पुश इन

  • जब गेंद साइड लाइन से पूरी तरह बाहर निकल जाए तो जिस स्थान से उसने लाइन पार की हो उसी स्थान पर पुश या हिट द्वारा गेंद को पुनः खेल में लाया जाता है। गेंद के साइड लाइन से बाहर निकलने से पहले जिस टीम के खिलाड़ी ने उसे अन्त में हुआ हो उसकी विरोधी टीम का कोई भी खिलाड़ी पुश-इन लेगा।
  • जब पुश-इन लिया जा रहा हो तो किसी भी टीम का कोई भी खिलाड़ी 3 गज़ के घेरे में नहीं होना चाहिए, यदि ऐसा हुआ तो रेफरी दुबारा पुश-इन करवाएगा।
  • पुश-इन करने वाला खिलाड़ी, गेंद को स्वयं तब तक नहीं छुएगा, जब कोई अन्य खिलाड़ी गेंद को छू न ले या खेल न ले।

इस नियम का पालन न होने पर निम्न पेनल्टी होगा –

  • पुश-इन लेनेवाले खिलाड़ी द्वारा नियम उल्लंघन करने पर विरोधी टीम को पुश-इन दिया जाता है।
  • किसी अन्य खिलाड़ी द्वारा नियम का उल्लंघन होने पर पुश-इन दुबारा ली जाएगी। पर बार-बार उल्लंघन होने पर विरोधी टीम को फ्री हिट दी जाएगी।

गेंद का पीछे जाना

  • यदि आक्रामक टीम के खिलाड़ी द्वारा गेंद गोल-रेखा के पास चली जाए और गोल न हो या रेफरी द्वारा यह माना जाये कि गेंद गोल रेखा से 25 गज या अधिक दूर से रक्षक टीम के किसी खिलाड़ी द्वारा अनजाने में गोल-रेखा के पार हो जाए तो रक्षक टीम का खिलाड़ी उस स्थान से 16 गज़ की फ्री हिट लगाएगा।
  • यदि रक्षक टीम के किसी खिलाड़ी द्वारा अनजाने में ही गोल-रेखा से 25 गज़ की दूरी से बाहर निकाल दी जाती है तो विरोधी टीम का पेनल्टी कॉर्नर दिया जाता है।
  • यदि रक्षक टीम जान-बूझकर गेंद को मैदान के किसी भाग से गोल रेखा से बाहर निकाल देता है और इस स्थिति में गोल न हुआ तो विरोधी टीम को पेनल्टी कॉर्नर दिया जाता है।
  • यदि रेफरी के मतानुसार रक्षक टीम के खिलाड़ी ने अपनी 25 गज़ की रेखा के अन्दर जान-बूझकर फाउल किया हो तो विरोधी टीम को पेनल्टी कॉर्नर दिया जाएगा।
  • आक्रामक टीम को गोल-रेखा या साइड-रेखा के किनारेवाले फ्लेग पोस्ट से 5 गज़ के वृत्त में से फ्री हिट दी जाएगी।
  • पेनल्टी कॉर्नर लगाते समय यदि पुश करने से पहले ही रक्षक टीम के खिलाड़ी दौड़ पड़ें तो रेफरी दुबारा पुश करने को कहेगा। कॉर्नर हिट के समय दोनों टीमों के खिलाड़ी कहीं भी खड़े हो सकते हैं।

पेनल्टी कॉर्नर

  • जब रेफरी का मत हो कि रक्षात्मक खिलाड़ी न जान-बूझकर गेंद गोल पोस्ट के अतिरिक्त गोल-रेखा में डाल दी है, तो यदि गोल न हुआ हो तो, विरोधी टीम को पेनल्टी कॉर्नर दिया जाता है।
  • पेनल्टी कॉर्नर लगाते समय एक खिलाड़ी गेंद को गोल-रेखा पर लगे शूटिंग सर्किल के निशान से पुश करेगा तो इधर डी के किनारे पर खड़ा खिलाड़ी हॉकी से ही खेलेगा और तीसरा खिलाड़ी गेंद को हिट मारेगा। पेनल्टी कॉर्नर का गोल तब ही माना जाएगा। यदि गेंद गोल के फटे से ऊपर न जाए या अन्दर कट न हो। गेंद गोल-रेखा पार कर चुकी हो।

पेनल्टी स्ट्रोक

आक्रामक टीम को उस समय पेनल्टी स्ट्रोक दिया जाता है जब रक्षक टीम का खिलाड़ी वृत्त के अन्दर जान-बूझकर गलती करे। कार्नर हिट के समय दोनों टीमों के खिलाड़ी जिस स्थान पर चाहें खड़े हो सकते हैं। नए नियमों के अनुसार यदि शूटिंग सर्किल में आक्रमण रोकने वाली टीम कोई फाउल करती है चाहे वह जान-बूझकर हो या अनजाने में तब पेनल्टी स्ट्रोक दिया जाएगा।

  • पेनल्टी स्ट्रोक आक्रामक टीम के किसी खिलाड़ी द्वारा गोल-रेखा के सामने 7 गज़ की दूरी से मारा जाता है व रक्षक टीम के गोल कीपर द्वारा इसे रोका जाता है। गोलकीपर द्वारा सभी नियमों का यथावत् पालन किया जाएगा।
  • पेनल्टी स्ट्रोक लगाते समय दोनों टीमों के सभी खिलाड़ी नज़दीक की 25 गज़ की सीमा रेखा के बाहर रहेंगे।
  • स्ट्रोक लेते समय रेफरी की सीटी बजते ही आक्रामक खिलाड़ी गेंद के नज़दीक खड़ा हो जाता है, सीटी के बजने के बाद और स्ट्रोक लेते समय एक कदम आगे बढ़ सकता है।
  • वह गेंद को केवल एक ही बार छू सकता है। इसके बाद वह न तो गेंद की ओर जाएगा और न ही गेंद-रक्षक की ओर। रेफरी की सीटी बजते ही पेनल्टी स्ट्रोक मारा जाएगा।
  • गोल-रक्षक गोल-रेखा पर ही खड़ा रहेगा, वह उस समय तक अपने स्थान से नहीं हिलेगा जब तक कि गेंद को हिट नहीं कर दिया जाए।
  • कंधों से ऊंची गेंद को गोल-रक्षक स्टिक के किसी भी भाग से नहीं छू सकता। गोल-रक्षक के साथ दुर्घटना होने की स्थिति में गोल-रक्षक का स्थान लेने वाले खिलाड़ी को सभी अधिकार होंगे पर वह पैड, ग्लब्स नहीं पहन सकता।
  • पेनल्टी लगाते समय गेंद किसी भी ऊंचाई तक जा सकती है।
  • यदि पेनल्टी स्ट्रोक लगाते समय, स्ट्रोक लगाने वाले खिलाड़ी की किसी क्रिया से गोल-रक्षक हरकत में आ जाए तो पेनल्टी स्ट्रोक फिर लिया जाएगा।

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