1 Best Essay on Swachh Bharat in Hindi | स्वच्छ भारत पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Swachh Bharat in Hindi पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

Essay on Swachh Bharat in Hindi (400 Words)

स्वच्छता का अर्थ

स्वच्छता एक व्यापक शब्द है। इसका अर्थ स्वयं के साथ उस जगह की भी साफ़-सफ़ाई रखना है जहाँ हम रहते हैं अथवा कार्य करते हैं। संस्कृत में कहा गया है- ‘अलझेंद्र दरिद्रयम्’ अर्थात गंदगी से दरिद्रता फैलती है।

आवश्यकता एवं महत्त्व

स्वच्छता की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि इसके अभाव में उत्तम स्वास्थ्य की कल्पना नहीं की जा सकती। सामान्य दिनों में भी चारों तरफ़ गंदगी दिखाई देना उचित नहीं है। सार्वजनिक स्थानों पर साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना चाहिए। रेलवे स्टेशनों, बस-अड्डों, लिफ्ट आदि में भी गुटखे की पन्नियाँ, खाद्य पदार्थ बिखरे रहते हैं। इससे तरह-तरह की बीमारियाँ फैलती हैं। सभी के घरों में प्रतिदिन कुछ-न-कुछ कूड़ा अवश्य होता है। लोग उसे कूड़ेदान तक पहुँचाते भी नहीं, दूसरों के भरोसे छोड़ देते हैं।

हमें चाहिए कि सूखा एवं आसानी से नष्ट होने वाला कूड़ा तथा पुनर्चक्रित किया जाने वाला कूड़ा अलग-अलग रखें। नियमित रूप से इसे कूड़ाघरों तक पहुँचाना चाहिए। हमें अपने अंदर यह सोच विकसित करनी होगी कि प्रतिदिन हमारे घरों से कूड़ा ले जाने वाला सफाईवाला है। हमें उसे कूड़ावाला नहीं कहना चाहिए। कूड़ावाला उसे कहा जाना चाहिए जिसके कारण यह उत्पन्न होता है। इस संदर्भ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच बहुत ही उत्तम थी। उनका मानना था कि गंदगी करने वाले को उसकी सफ़ाई स्वयं करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि सफाई करने का कार्य हम दूसरों पर छोड़ देते हैं। इससे कार्य में गुणवत्ता नहीं होती। 

सरकार का प्रयास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता को देश के समक्ष अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) के रूप में प्रस्तुत किया। महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती 2 अक्टूबर 2014 को इसकी शुरुआत करते हुए यह आह्वान किया गया कि हम सभी जहाँ भी हैं स्वच्छता रखें एवं इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करें। भारत के कई राज्यों में इस दिशा में व्यापक प्रयास एवं कार्य भी हो रहे हैं।

हमारा सहयोग

हमें यह ध्यान रखना होगा कि भारत के स्वस्थ होने का अर्थ है यहाँ के लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव। यह बदलाव तभी संभव है जब लोग शैक्षिक व आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे। समृद्ध एवं स्वस्थ युवा भारत में ही कंपनियाँ पूँजी निवेश करने के लिए तैयार होंगी। इसके लिए हमें परिश्रम एवं प्रयास करते हुए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना होगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ये पंक्तियाँ स्मरणीय हैं

छोटे मन से कोई बड़ा काम नहीं होता,
टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता। 

केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयास तभी सफल होंगे जब हमारी सहभागिता होगी। अतः ‘एक कदम स्वच्छता की ओर’ हमारा लक्ष्य होना चाहिए।


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