हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Viram Chinh in Hindi डिटेल में पढ़ाया है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Hindi Vyakaran or Viram Chinh को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं।
Contents
Viram Chinh kise kahate hain?
विराम का अर्थ होता है – ठहराव। लिखते समय या बोलते समय यदि विराम ना हो तो पाठक या श्रोता को भाषा के सम्यक ज्ञान में कठिनाई होती है एक ही वाक्य के कई अर्थ निकल सकते हैं। वह भ्रमित हो सकता है। अंग्रेजी भाषा में विराम चिन्ह को Punctuation Marks in HIndi भी कहा जाता है।
Viram Chinh with Example
- जैसे –
- उसे रोको, मत जाने दो। (रोकने की बात है।)
- उसे रोको मत, जाने दो। (जाने की बात है।)
ऊपर लिखे गए दोनों वाक्यों के अर्थ में जो अंतर दिख रहा है। वह सिर्फ विराम चिन्ह के प्रयोग के कारण है। इसी प्रकार अन्य विराम चिन्हों के प्रयोग से भी भाव में अंतर आता है अतः विभिन्न विराम चिन्ह और उनके प्रयोग को अच्छी तरह समझना चाहिए। यह कुछ प्रमुख विराम चिन्ह और उनके प्रयोग की जानकारी दी गई है।
Viram Chinh ke Naam (विराम चिन्ह के प्रकार)
Viram Chinh | Types of Viram Chinh in Hindi | Types of Viram Chinh in English |
---|---|---|
1. | अल्पविराम (,) | Comma |
2. | अर्धविराम (;) | Semi Column |
3. | पूर्ण विराम (।) | full Stop |
4. | उपविराम (:) | colon |
5. | प्रश्नवाचक चिन्ह (?) | Mark of interrogation |
6. | विस्मयादिबोधक-चिन्ह (!) | (Mark of Exclamation |
7. | योजक चिन्ह (-) | Hyphen |
8. | उद्धरण-चिन्ह (“ ”) या (‘ ‘) | InverTed Commas |
9. | कोष्ठक-चिन्ह (()) | Bracket |
10. | निर्देश चिन्ह (-) | Dash |
11. | लोप-चिन्ह (……) या (Xxxx) | Mark of Ellipse |
12. | लाघव-चिन्ह (0) | Mark of Abbreviation |
13. | पुनरूती-चिन्ह (” ” “) | Mark of Repetition |
14. | त्रुटि-चिन्ह (^) | Mark of Omission |
15. | विवरण-चिन्ह (:-) | Colon Dash |
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अल्पविराम (,) – Alp Viram Chinh
अल्पविराम का अर्थ होता है – थोड़ा ठहराव थोड़ी देर के लिए रुकना। Alp Viram Chinh का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है –
- यदि वाक्य के बीच में पर परंतु किंतु लेकिन भी मगर इसलिए अतः क्योंकि जिससे वर्ण बल्कि तथा भी आदी अव्यय हो तो उनके पहले लगेगा।
- जैसे-
- बोलो, मगर धीरे से।
- वह आया, लेकिन चला गया।
- सिर्फ पढ़ो ही नहीं, वरन काम भी करो।
- यदि एक ही प्रकार के शब्द या वाक्यांश आए।
- जैसे –
- शब्दों में – राम, श्याम, मोहन और सोहन दोस्त हैं।
- वाक्यांशों में – वह यहां आता है, पड़ता है और चला जाता है
- यदि वाक्य में – यह, उसे, तब, आप, या, तो, आदि लुप्त हो तो अल्पविराम लगता है।
- जैसे –
- मैं कहता हूं, ध्यान से सुनो। (‘उसे’ – लुप्त है)
- कब वह गया, कह नहीं सकता। (‘यह’ – लुप्त है)
- अब जाना ही है चले जाओ। (‘तो’ लुप्त है)
- यदि वाक्य के आरंभ में – हां, नहीं, बस, अच्छा, सचमुच, वस्तुत:, छि आदि जैसे word से हो तो अल्पविराम लगाते हैं।
- जैसे –
- हां , मैं जानता हूं। – नहीं, यह तो गलत है।
- सचमुच, वह इतना बुद्धिमान है? – छि, यह क्या कर दिया?
नोट – अंतिम वाक्य में विस्मयादिबोधक-चिन्ह भी आ सकता है। जैसे – छि:! यह क्या कर दिया!
- संबोधन के बाद इस चिन्ह का प्रयोग करें।
- जैसे –
- अरे मित्र, तुम कहां गए थे?
- देशवासियों, मेरे हाथ मजबूत करें।
Note – संबोधन कारक में संज्ञा के बहुवचन रूप रहने पर भी अनुस्वार का प्रयोग ना करें।
- जैसे –
- प्यारी बहनों, देवियों और सज्जनों, हे बालकों – अशुद्ध।
- प्यारी बहनो, देवियों और सज्जनो, है बालक को – शुद्ध।
- यदि शब्दों को तीन बार दोहरा ना हो।
- जैसे –
- नहीं, नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मान सकता।
- चलो, चलो, यहां कुछ नहीं मिलेगा।
- वह दूर से, बहुत दूर से आया था।
- तिथि में अल्पविराम का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- अगस्त 15, 1947 तो हमारा देश आजाद हुआ था।
- (लेकिन – 15 अगस्त को हमारा देश आजाद हुआ।)
- पत्र में संबोधन के बाद इसका प्रयोग होता है।
- जैसे –
- प्रिय सुरेश, खुश रहो।
- किसी की उक्ति के पहले – ‘कि’ के स्थान पर अल्पविराम लगाते हैं।
- जैसे –
- सोहन ने कहा कि मैं दिल्ली जाऊंगा।
- सोहन ने कहा, मैं दिल्ली जाऊंगा।
- नाम ओहदा और पता में प्रत्येक पद के बाद इसका प्रयोग करें।
- जैसे –
- प्रो० एस० के० सिंह, अध्यापक, हिंदी विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, मेरे मित्र हैं।
- वह कंकड़बाग, पटना, बिहार, का रहने वाला है।
अर्द्ध विराम (;) – Ardh Viram Chinh
अल्पविराम से अधिक और पुर्णविराम से कम ठहराव के लिए इस चिन्ह का प्रयोग होता है इसके निम्नलिखित प्रयोग हैं।
- जहां मुख्य वाक्य और समानाधीकरण का संबंध बहुत अधिक ना हो। ऐसे वाक्यों के बीच संबंध ना होते हुए भी कुछ ना कुछ संबंध अवश्य रहता है।
- जैसे –
- नदी के किनारे टहल रहा था; मंद मंद हवा बह रही थी; हम लोग बातों में मशगूल थे कि सहसा एक चीख सुनाई पड़ी।
- यदि मुख्य वाक्य के परिणाम की व्याख्या अन्य वाक्यों से करनी हो। जैसे – बड़े ऑफिसर के आते ही ऑफिस का परिदृश्य बदल गया; बिल्कुल शांति छा गई; लोगों की जवान बंद हो गई; सभी अपने अपने काम में लग गए।
- जब वाक्य और उपवाक्य/उपवाक्यों में बहुत अधिक संबंध ना हो।
- जैसे –
- अब क्या करूं; वह रूठ कर चला गया।
- किसे समझाऊं, वह मानने वाली नहीं; सिर्फ अपने मन की करती है।
पुर्णविराम (।) – Purn Viram Chinh
पुर्णविराम का अर्थ होता है पूरा ठहराव वाक्य की समाप्ति पर इस चिन्ह का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- वह पढ़ रहा है।
- राधा नाचेगी।
- कभी-कभी किसी घटना का नाटकीय रूप या सजीव वर्णन करने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- स्टेडियम में हजारों की भीड़ अंतिम बॉल अंतिम बल्लेबाज 4 रनों की जरूरत सचिन का प्रवेश और यह रहा छक्का भारत की विजय ।
नोट – या ध्यान रखें कि वाक्य की समाप्ति सिर्फ पुर्णविराम चिन्ह (।) से ही नहीं होती वरन प्रश्नवाचक या विस्मयादिबोधक से भी होती है। उनमें सिर्फ भाव और भाव के अनुसार चिन्ह का अंतर होता है।
- जैसे –
- सीता सुंदर है। – (स्वीकार के भाव की समाप्ति)
- सीता सुंदर नहीं है। – (अस्वीकार के भाव की समाप्ति)
- सीता सुंदर है? – (प्रश्न के भाव की समाप्ति)
- सीता सुंदर है ! – (विस्मय के भाव की समाप्ति)
उपविराम (:) – Upviram Chinh
इस चिह्न का प्रयोग प्रायः पुस्तक, निबंध आदि के शीर्षक में होता है।
- जैसे –
- कश्मीर : ए ट्रेजडी ऑफ एरर्स – (पुस्तक का नाम)।
- विज्ञान : अभिशाप या वरदान – (निबंध का शीर्षक)।
प्रश्नवाचक-चिह्न (?) – Prashan Vachak Chinh
इस चिह्न का प्रयोग प्रश्न पूछने, जिज्ञासा या संदेह आदि की स्थिति में होता है।
- जैसे
- प्रश्न के रूप में
- क्या आप पढ़ते हैं?
- आप क्या पढ़ते हैं ?
- जिज्ञासा, उत्सुकता या संदेह की स्थिति में –
- आप महेशजी के पुत्र हैं?
- गीता अच्छी लड़की है, है न?
- व्यंग्य के रूप में
- सिपाही—(चोर से) तू साधु है, है न? चोरी तुमने नहीं, मैंने की है?
- यदि लेखक को शुद्ध-अशुद्ध का संदेह हो।
- जैसे—
- दिनकर की पहली कविता का नाम रश्मिरथि (?) था।
- 1857 ई. के सिपाही-विद्रोह का नायक मंगल पाण्डेय (?) था।
नोट — ऐसे वाक्य जिनमें प्रश्न और उत्तर एक ही वाक्य में छिपे हों, तो वहाँ इस चिह्न का प्रयोग न करें।
- जैसे –
- वह क्या पढ़ता है, मैं नहीं जानता।
- तुम कहाँ रहते हो, उसे पता है।
विस्मयादिबोधक-चिह्न (!)
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
- हर्ष, विषाद, घृणा, करुणा, आश्चर्य, भय, शोक आदि तीव्र भावों को व्यक्त करने में।
- जैसे
- वाह! अच्छा किया! – (हर्ष)
- आह! वह मर गया! – (शोक)
- बाप रे! कितना भयानक शेर! – (आश्चर्य एवं भय)
- छी! ऐसा नीच काम! – (घृणा)
- देवी, देवता, ईश्वर आदि के संबोधन में।
- जैसे –
- हे ईश्वर! उसका कल्याण करो। देवी! मुझे शक्ति दो।
- अपने से छोटों के प्रति शुभकामना या सद्भावना प्रकट करने में।
- जैसे
- तुम्हारा कल्याण हो!
- चिरंजीवी भव! मुबारक हो!
- पुत्रवती भव!
योजक-चिह्न (-) – Yojak Chink
Yojak Chinh किसे कहते है
Yojak Chinh का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। हिन्दी और अँगरेजी के शब्दों में इसका प्रयोग होता है। जब दो शब्दों को जोड़ना हो, तब इस चिह्न का प्रयोग करें।
नोट – इस चिह्न के प्रयोग की चर्चा ‘वर्तनी : नियम एवं त्रुटि-शोधन’ अध्याय में की गई है।
उद्धरण-चिह्न (“ ”) या (‘ ‘) – Udharan Chinh
Udharan Chinh का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है।
- जब किसी लेखक या पुस्तक की उक्ति को ज्यों-का-त्यों उद्धृत करना हो।
- जैसे –
- मैं तुम्हें देवता नहीं, मानव देखना चाहती हूँ’– महादेवी वर्मा।
- जैसे –
- किसी महत्त्वपूर्ण सूक्ति या किसी महान् व्यक्ति के कथन में।
- जैसे
- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’—सुभाषचन्द्र बोस।
- जैसे
- पुस्तक का नाम, किसी व्यक्ति का उपनाम, गद्य या पद्य के शीर्षक आदि लिखते समय इस चिह्न का प्रयोग करें।
- जैसे’-
- रामचरितमानस’ एक धार्मिक पुस्तक ही नहीं, महाकाव्य भी है। ‘दिनकर’ राष्ट्रकवि थे।
- ‘पंचपरमेश्वर’ कहानी को संक्षेप में लिखें।
- जैसे’-
कोष्ठक-चिह्न (()) – Kosht Chinh
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है –
- वाक्य में प्रयुक्त किसी पद या संपूर्ण वाक्य को स्पष्ट करने के लिए।
- जैसे
- जनकनंदिनी (सीता) को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी।
- रावण (दुराचारी) के कारण लंका का सर्वनाश हो गया।
- मैं मांस नहीं खाता हूँ। (निषेधात्मक वाक्य)
- जैसे
- नाटकीय संवादों में इसका प्रयोग होता है।
- जैसे –
- सिपाही—(डंडा पटकते हुए) क्या तुमने चोरी नहीं की?
- चोर—(हाथ जोड़कर) नहीं, माई-बाप ! मैंने चोरी नहीं की।
- जैसे –
- क्रमसंख्या को घेरने में इसका प्रयोग होता है।
- जैसे –
- वर्ण के दो भेद हैं—(क) स्वर वर्ण और (ख) व्यंजन वर्ण ।
- जैसे –
निदेश-चिह्न (-) Nidesh Viram Chinh
इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
- किसी बात पर बल देने के लिए।
- जैसे –
- राम के दो पुत्र थे—लव और कुश।
- नेहरू ने कहा—आराम हराम है।
- जैसे –
- लेखक, पुस्तक और उद्धरण के नाम के पहले।
- जैसे –
- पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय — कबीर।
- जैसे –
- किसी वाक्य के बीच जब कोई स्वतंत्र वाक्य या वाक्यांश आ जाए, तब उसके दोनों ओर इस चिह्न का प्रयोग होता है।
- जैसे —
- यह घड़ी-जहाँ तक मेरा अनुमान है—चार साल पुरानी होगी।
- जैसे —
- किसी संवाद में, वक्ता के कथन के पहले।
- जैसे –
- डॉक्टर—तुम्हें क्या हुआ है?
- रोगी—जी, शरीर में बहुत दर्द है।
- जैसे –
लोप-चिह्न (……) या (Xxxx) – Lop Chinh
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है1. यदि वाक्य के अंतर्गत किसी अवांछित शब्द या शब्दों को छोड़कर लिखना हो।
- जैसे
- महेश ने सुरेश को ____ कहकर गाली दी।
- रिक्त स्थानों की पूर्ति करनेवाले प्रश्नों में।
- जैसे –
- भारत की राजधानी ____ है।
- जैसे –
- गद्य या पद्य की कोई पंक्ति छोड़ दी गई हो।
- जैसे
- ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।
- जैसे
लाघव-चिह्न (0) – Laghav Chinh
जब किसी शब्द को पूरा न लिखकर संक्षेप में लिखना हो, तब इस चिह्न का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- राम कुमार प्रसाद = राम कु. प्र.
- डॉक्टर सिंह = डॉ. सिंह
- माध्यमिक विद्यालय, पटना = मा. वि., पटना
- हस्ताक्षर = ह.
- तिथि = ति.
- जिला = जि.
शैक्षणिक उपाधियों एवं पदों के लिखने में प्रायः इस चिह्न का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- आई. ए., बी. ए., एम. ए., एस. डी. ओ., डी. एम., एम. एल. ए. आदि।
पुनरुक्तिसूचक-चिह्न (” ” “)
लिखते समय शब्द या शब्दों की पुनरुक्ति से बचने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- श्रीमती शीला उराँव, राँची
- ” ” ” रीता सिंह, ” ” “
- ” ” ” सुधा सिन्हा ” ” “
- वह आजकल हिन्दी सीख रहा है।
- सोहन ” ” ” ” ” “
- मैं ” अँगरेजी ” ” हूँ।
त्रुटि-चिह्न (^)
लिखते समय यदि कोई शब्द या वाक्य छूट जाए, तो उस छूटे हुए शब्द या वाक्य को ऊपर लिखकर, नीचे इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
- जैसे खाना
- मैं दूध-रोटी ^ पसंद करता हूँ।
विवरण-चिह्न (:-)
किसी वस्तु या विषय का सविस्तार वर्णन करने में इस चिह्न का प्रयोग होता है।
- जैसे –
- विश्व में कई ऐसे देश हैं जिनके पास आणविक हथियार हैं।
- जैसे –
- रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, हिन्दुस्तान, पाकिस्तान आदि।
- विश्व में कई ऐसे देश हैं जिनके पास आणविक हथियार हैं।
नोट – उपर्युक्त वाक्य में विवरण-चिह्न के बदले निर्देश चिह्न (-) भी दे सकते हैं।
तो दोस्तों आपको यह Punctuation Marks in Hindi पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।