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आधुनिक भारत की समस्याएँ – Aadhunik Bharat ki Samasya
आधुनिक भारत प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर है। यह विश्व के सबसे अधिक प्रगतिशील आर्थिक स्थिति वाले देशों के समकक्ष पहुँचने वाला है। सभी देश भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रशंसा कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस देश में कई ऐसी समस्याएँ भी हैं जिनका त्वरित समाधान अनिवार्य हो गया है।
इस देश में जनसंख्या वृद्धि का ग्राफ इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि सीमित संसाधनों पर बहुत अधिक दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में पोषण, चिकित्सा के साथ-साथ रोज़गार की समस्या भी बढ़ती जा रही है। प्रगति को ध्यान में रखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नई-नई योजनाएँ क्रियान्वित कर रही हैं परंतु यह सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। करोड़ों की संपत्ति खर्च होने पर कार्य अपूर्ण होता है।
इससे लोगों की समस्याएँ पूर्ववत बनी रहती हैं। कुछ क्षेत्रों की स्थिति इतनी विकराल हो गई है कि जिन बच्चों को स्कूल जाना चाहिए उन्हें घर का बोझ उठाना पड़ता है। किसी कारखाने में अथवा रेहड़ी-पटरी पर काम करना पड़ता है। गरीबी में जीवन बिताने वाले ये बच्चे विकास में सहायक नहीं अपितु भारत की समस्या में वृद्धि का कारण बनते हैं। हमारी सरकारों को इस दिशा में कार्य करना चाहिए।
भारतीय संविधान में ‘शिक्षा का अधिकार’ नाम के खंड में यह उल्लेख है कि बिना किसी के साथ भेदभाव किए उन्हें प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। इसी के मददेनजर भारत सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान की शुरुआत की परंतु यह भी सफल नहीं है। इसका बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
उचित वातावरण एवं समय के अनुसार अच्छा परिवेश न मिलने के कारण ये बच्चे आगे चलकर अपनी अपेक्षाएँ पूरी नहीं कर पाते। ग़ौरतलब है कि भारत में भ्रष्टाचार की समस्या इतनी बढ़ती जा रही है कि निवेशकों को आकर्षित कर पाना काफी मुश्किल होता जा रहा है। निवेश में अभाव के कारण रोज़गार के नए अवसर नहीं सृजित हो पा रहे हैं।
आतंकवाद एवं नक्सलवाद का दंश तो भारत पिछले कई दशकों से भुगत रहा है। हमारी अपार संपत्ति प्रतिवर्ष इसी समस्या के समाधान में खर्च होती है, परंतु इसका कोई अन्य विकल्प भी नहीं है। कश्मीर समस्या का तो अंत ही नहीं दिख रहा है। शिक्षा के साथ चिकित्सा की समस्या भी बहुत विकट है।
उपरोक्त समस्याएँ भारत सरकार की नीतियों द्वारा सुलझाई जा सकती है परंतु हमारे देश के लोगों को शिक्षा समानता एवं सामाजिक मूल्यों को महत्त्व देना होगा। जनभागीदारी के द्वारा ही आधुनिक भारत की समस्याओं का समाधान कर पाना संभव है।
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