1 Best Chidiyaghar ki Sair Par Nibandh | चिड़िया घर की सैर पर निबंध

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Chidiyaghar ki Sair Par Nibandh | चिड़िया घर की सैर पर निबंध

प्रस्तावना

अर्धवार्षिक परीक्षा समाप्त हो गई थी। अब पूरे एक सप्ताह की छुट्टी थी। हम सब भाई-बहनों ने मिलकर चिड़िया घर घूमने का विचार बनाया। माता जी और पिता जी भी साथ चलने को तैयार हो गए। माँ ने कहा सभी लोग नाश्ता करके तैयार हो जाओ तब तक मैं दोपहर के भोजन के लिए कुछ बना लेती हूँ। हम सब साढ़े आठ बजे तक तैयार हो गए और ऑटो लेकर चिड़ियाघर पहुँच गए। पिता जी ने सबका टिकट खरीदा और हम अंदर आ गए।

चिड़िया घर का दृश्य

दिल्ली का चिड़ियाघर बहुत बड़े से भू-भाग में स्थित है। जानवरों को उनके स्वाभाविक स्थान जैसा लगे इसके लिए इसे एक जंगल का रूप दिया गया है। हमने बाईं ओर से चलना शुरू किया। सबसे पहले जल-पक्षियों का स्थान था। यहाँ भारतीय और विदेशी बहुत से पक्षी थे। सफेद, भूरे और स्लेटी रंग के पक्षियों से तालाब भरा हुआ था। कुछ तो किनारे पर थे और कुछ पानी में मछलियों और कीड़े-मकोड़ों को खोज रहे थे।

अगले बाड़े में एक ओर सियार दुबके हुए थे और दूसरी ओर लाल आँखों वाले भेड़िए गुस्से से चक्कर लगा रहे थे। इनसे आगे स्नेहिल, सरल हिरन उछल-कूद करते दिखाई दे रहे थे। कुछ तो अँगले तक आकर दर्शकों के हाथ से घास भी खा रहे थे। बंदरों के बाड़े के पास जाकर पता चला कि उनकी कई प्रजातियाँ हैं। गिब्बन, चिंपांजी और बनमानुष को तो हमने पहली बार देखा।

निष्कर्ष

छोटे भाई ने एक ओर लगी भीड़ की ओर इशारा किया। वहाँ जाकर देखा दरियाई घोड़ा अपने बच्चे के साथ पानी से बाहर निकल आया था। आगे चारों ओर खाई से घिरा बाड़ा भालुओं का था। पिता जी ने बताया कि भालू पेड़ पर चढ़ जाते हैं। कुछ कदम चलकर देखा शुतुरमुर्ग टहल रहे थे। फिर हमने जिराफ़ और जेब्रा को भी देखा। तभी शेरों की गर्जना सुनाई पड़ी। बाड़ों में शेर भोजन कर रहे थे।

उनके पास मांस के टुकड़े पड़े थे और बहुत दुर्गंध आ रही थी। धूप बढ़ने लगी थी। हम सबने पेड़ के नीचे आसन जमाया। वहीं भोजन करके थोड़ा विश्राम किया। घर लौटते समय कंगारू को उछलते और उसके पेट की थैली में से झाँकते उसके बच्चे को भी देखा। पशु-पक्षियों को देखकर दैनिक क्रियाकलापों से मन हट गया था। घर लौटते समय हम सभी प्रसन्न थे।


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