बैल का दूध | Akbar Birbal ki Kahani | Bail Ka Dhoodh

बैल का दूध – Bail Ka Dhoodh | Akbar Birbal ki Kahani

एक समय वादशाह ने बीरबल से कहा-मुझे वैल का दूध लादो ? बीरबल ने कहा-लाने का प्रयत्न करूंगा। इसमें कम से कम चार छः दिन अवश्य लगेंगे। बादशाह बोले-चार छ: दिन के बजाए आठ दिन क्यों न लग जाए लेकिन दूध मिलना चाहिए। क्योंकि प्रसिद्धि वैद्य ने मुझे एक दवा दी है जो बैल के दूध के साथ प्रयोग होगी।

बीरबल समझकर आए और अपनी लड़की से सारा हाल कह गए। साथ ही यह भी बतलाया कल आधी रात का बादशाह पहल के ठीक नीचे वाले घाट पर कपड़े पीटना । कारण पूछने पर बताना जब तक कि बादशाह न पूछे। सिवाय और भी सब कुछ बता दिया ।

अगले दिन वीरवल की लड़की ने अर्द्ध रात्रि में घर के फटे-पुराने कपड़ों को लेकर बादशाह के शयनगृह के ठीक पांस वाले घाट में लाकर उन कपड़ो को पानी में भिंगो कर पत्थर पर पीटना शुरू किया । फट-फट शब्द से बादशाह की निद्रा भंग हो गई। उन्हें बड़ा क्रोध आया। पहरे वाले सिपाही को बुलाकर उस शोर करनेवाले को पकड़ लाने का हुक्म दिया । आज्ञा पाकर सिपाही घाट के पास पहुंचा तो देखता है क्या कि अठारह-उन्नीस वर्ष की एक युवती कपड़े, धो रही है।

सिपाही उस युवती से ऐसा करने का कारण पूछा-और बादशाह के सामने उपस्थित होने के लिए कहा । परन्तु युवती ने सिपाही की बात को अनसुनी कर दी और पूर्ववत ही अपने कार्य में व्यस्त रही। सिपाही इस अवज्ञा से झुंझला उठा और बोला अर्द्ध रात्रि में उत्पात मचाकर बादशाह की नींद हराम की और उनके आज्ञा को भंग कर रही हो, यह उचित नहीं । भलाई तो इसी में है कि हमारे साथ बादशाह के सामने चलो।

लड़की तो यह चाहती ही थी सिपाही के साथ हो ली। थोड़ी देर के बाद वह बादशाह के सम्मुख खड़ी हुई। बादशाह आधी रात को इस परम सुन्दरी को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। फिर अपनी भाव मुद्रा छिपाकर नाराजगी प्रकट करते हुए बोले-इतनी रात को कपड़ा धोने की क्या वजह है ? तुम कौन हो ? कहां रहती हो ? बादशाह की जवान क्रोध से कांप रहा था । उसका शरीर रक्तवर्ण हो चला।

युवती ने घबराहटपूर्ण स्वर में उत्तर दिया-आलीजहां ! मैं लाचार होकर इतनी दूर से आई हूं। इतना कहते-कहते बादशाह के तमतमाए हुए चेहरे को देखकर युवती का धैर्य जाता रहा और लड़खड़ाती हुई जवान में आगे और भी कुछ कहना चाहती थी। किन्तु बादशाह ने उसे ढाढसपूर्ण शब्दों में विश्वास दिलाया कि सच बतला देने से तुम दण्ड मुक्त हो जाओगी।

यह सुन युवती ने कहना आरम्भ किया कि आज प्रात:काल मेरे पिताजी को लड़का पैदा हुआ है । दिन भर मैं वहीं कामों में उलझी रही अब जरा सा विश्राम लेने का अवकाश मिला भी था तो ख्याल आया कि कल साफ कपड़ों की आवश्यकता पड़ेगी। परन्तु कुआं घर में न होने की वजह से कपड़ा यहां ले आई हूं इन्हें कल काम में लाऊंगी।

युवती की उत्तर सुनकर बादशाह और भी आश्चर्य में हुए और बोले-तुम क्या कहती हो? क्या पुरुष को कभी पुत्र उत्पन्न होते हैं ? युवती ने उपयुक्त अवसर जानकर कहा-जब बैल का दूध मिलना सम्भव है तो पुरुष को बच्चा होना क्यों न सम्भव है।

अब बादशाह को अपनी बात का स्मरण हो आया और वे युवती से बोले-क्या तुम बीरबल की पुत्री हो ?

युवती चुप रही-‘मौन सम्मति लक्षणम् ।’ बादशाह समझ गए कि वह बीरबल की बुद्धिमानी है । किन्तु प्रकट में बोले-तुम्हें ऐसा कहते की सम्मति किसने दी।

युवती बोली-श्रीमान् ! पिताजी की आज्ञा से ही ऐसा किया है । बादशाह बहुत खुश हुए और उसे बहुत-सा धन देकर पालकी पर बैठाकर रात को ही उसके घर भिजवा दिया।

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