1 Best Essay on Religion and Politics on Society | समाज पर धर्म एवं राजनीति का प्रभाव पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Religion and Politics on Society | समाज पर धर्म एवं राजनीति का प्रभाव पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

क्या आप खुद से अच्छा निबंध लिखना चाहते है या अच्छा निबंध पढ़ना चाहते है तो – Essay Writing in Hindi


समाज पर धर्म एवं राजनीति का प्रभाव पर निबंध | Essay on Religion and Politics on Society

समाज और धर्म की परिभाषा

समाज एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग लगभग सभी लोग करते हैं परंतु बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो इसके अर्थ पर विचार करते है। वस्तुतः समाज उस व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक साथ रहते एवं कार्य करते हैं तथा एक-दूसरे की सहायता करते हैं। ध्यातव्य है कि समाज व्यक्तियों का होता है। पशुओं का झुंड तो हो सकता है परंतु समाज नहीं होता। इससे स्पष्ट है कि समाज की अपनी गरिमा होती है।

यह स्थायी एवं अमूर्त होता है। इसी तरह धर्म की भी अपनी गरिमा है। शास्त्रों में ‘सर्वजन सुखाय’ की भावना को ही धर्म का आधार माना गया है। कर्मकांड को धर्म से जोड़ना उचित नहीं होगा। महाभारत में यह उल्लेखित है कि

आहारनिद्रा भयमैथुनं च सामान्यमेतद् पशुभिर्नाराणाम्।
धर्मोहितेषामधिको विशेषो धर्मेणहीना पशुभिः समानः।।

“अर्थात आहार ग्रहण करना, शयन करना , संतान को जन्म देना एवं डरना चारों लक्षण मनुष्य एवं पशु में समान होते हैं। धर्म ही इनमें विशेष है। धर्म से हीन व्यक्ति पशु के समान होता है।” इससे स्पष्ट है कि धर्म का संबंध कर्मकांड नहीं बल्कि सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय से है।

समाज पर धार्मिक राजनीतिक प्रभाव

प्राचीन काल से ही हमारे देश की सामाजिक व्यवस्था बहुत जटिल है। हज़ारों वर्ष बीत जाने पर भी सामाजिक एवं वैचारिक समानता स्थापित नहीं हो सकी। चिंता की बात तो यह है कि शिक्षित लोग जिन पर इस समस्या को समाप्त करने की ज़िम्मेदारी है वे अपने निजी स्वार्थो के लिए और भी फिरकापरस्त हो गए हैं।

परिणाम

ऐसे लोग धर्म एवं जाति के नाम पर समाज को बाँटते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ वोट बैंक समझकर बयानबाजी करती हैं। उनके ऐसा करने से अल्पसंख्यकों में निराशा और कुंठा भर जाती है। बढ़ते असंतोष के कारण सांप्रदायिक दंगे या फिर वर्ग संघर्ष होते हैं। ऐसी स्थिति में सामान्य जनमानस को अपूर्णयीय क्षति होती है। धर्म के ठेकेदारों एवं राजनेताओं द्वारा की गई कुत्सित राजनीति के परिणामस्वरूप समाज के नैतिक मानदंड कमज़ोर होते हैं।

निष्कर्ष

यह कहा जा सकता है कि समाज को प्रगतिशील बनाए रखने के लिए हमें सदैव धार्मिक रूढ़ियों एवं राजनीतिक छल-प्रपंच से इसे दूर रखना होगा। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक है कि हम एक आदर्श समाज एवं उन्नत राष्ट्र का निर्माण कर सकें।


यह Essay on Religion and Politics on Society | समाज पर धर्म एवं राजनीति का प्रभाव पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

1 thought on “1 Best Essay on Religion and Politics on Society | समाज पर धर्म एवं राजनीति का प्रभाव पर निबंध”

Leave a Comment