हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Eid in Hindi पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं।
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Essay on Eid in Hindi (350 Words)
भूमिका
जिस प्रकार हिंदुओं की ‘होली’, ईसाइयों का ‘क्रिस्मस’ और आटिल उराँवो का ‘सरहुल’, ख़ुशियों का सैलाब जन-जन के तन-मन को सरा कर जाता है, उसी प्रकार ‘ईद’ मुस्लिम भाइयों के लिए मौज-मस्ती और भाईचारे की सौगात लाती है।
धार्मिक मान्यता
इसे ‘ईद-उल-फितर’ (eid ul adha) भी कहते हैं। पैगम्बर मोहम्मद इस्लाम धर्म के प्रवर्तक और पथप्रदर्शक थे। इन्होंने अपने अनुयायियों के लिए कुछ कठोर नियम बनाए थे, जिनमें नमाज (प्रार्थना) पढना रोजा (उपवास) रखना, जकात (दान, खैरात) निकालना, हज (मक्का-मदीना की यात्रा) करना आदि प्रमुख हैं।
रमजान का महीना
इस्लामिक महीनों में ‘रमज़ान’ का महीना सबसे पावन और कल्याणकारी माना जाता है, क्योंकि इसी महीने में मोहम्मद साहब को खुदा (ईश्वर) द्वारा पाक (पवित्र) ग्रन्थ ‘कुरान’ की प्राप्ति हुई थी। इस खुशी के अवसर पर पूरे महीने भर, सूर्योदय से सूर्यास्त तक सभी लोग रोजा रखते हैं और शाम में निश्चित समय पर सगे-संबंधियों और मेहमानों के साथ मिलकर रोजा खोलते (उपवास तोड़ते) हैं। इसे ‘इफ्तार’ कहते हैं। ‘जकात’ निकालने का भी एक नियम है। प्रत्येक व्यक्ति को साल भर की कुल आमदनी का ढाई प्रतिशत भाग जकात के रूप में निकालना होता है, जिसे ज़रूरतमंद ग़रीबों में बाँटा जाता है।
आयोजन
‘रमज़ान’ महीने के अंतिम दिन ‘रोजा रखना’ समाप्त हो जाता है और ‘ईद का चाँद’ देखने के बाद अगले दिन ‘ईद’ पर्व मनाया जाता है। बच्चे बूढ़े और जवान, सभी नए-नए परिधानों में सज-सँवर कर तैयार हो जाते हैं। सभी लोग निकट के किसी ‘ईदगाह’ में इकट्ठा होते हैं और एक साथ ईद की नमाज अदा करते हैं। इबादत के बाद, क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या अमीर, क्या गरीब, सभी एक-दूसरे को गले लगाते हैं और ईद की मुबारकबाद-ईद मुबारक ! ईद मुबारक ! पेश करते हैं।
उपसंहार
घर वापस आने के बाद सभी एक-दूसरे को ईदी (Eid के मौके पर बड़े द्वारा छोटे को दिया गया उपहार) पेश करते हैं, सेंवई खिलाते हैं और इत्र लगाते हैं। सभी के चेहरे पर खुशी और मुसकान की छटा देखते ही बनता है। लगता ही नहीं है कि उनके जीवन में कभी कोई दःख-विषाद रहा हो, जन्नत की सारी ख़ुशियाँ उनके दामन में समा जाती हैं। वास्तव में, यह पर्व हँसी-खुशी और उल्लास का पर्व है; छोटे-बड़ का दीवार खत्म करने का पर्व है; दुश्मनी को दोस्ती में बदलने का पर्व है। सभा संप्रदाय के लोगों को इस पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
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