3 Best Essay on Deepawali Par Nibandh in Hindi | दीपावली पर निबंध

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Essay on Deepawali in Hindi (300 Words) | दीपावली पर निबंध

दीपावली का अर्थ है – दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दशहरा समाप्त होते ही दीपावली के आगमन की प्रतीक्षा प्रारंभ हो जाती है।
प्रत्येक त्योहार को मनाए जाने के कुछ-न-कुछ कारण अवश्य होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम, चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में नगरवासियों ने घी के दीये जलाए थे। तब से हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को यह त्योहार मनाया जाता है।

दीपावली का त्योहार अपने साथ कई त्योहार लाता है। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन नए बरतन खरीदे जाते हैं। चतुर्दशी को नरक चौदस मनाई जाती है। अमावस्या को दीपावली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। फिर भैया दूज मनाई जाती है।

दीपावली की तैयारियाँ कई दिनो पहले ही आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने-अपने घरों की सफ़ाई शुरू कर देते हैं। घरों में लिपाई-पुताई होने लगती है। बाज़ार सजने लगते हैं। पटाखे, दीयों, मोमबत्तियों, लाइटें आदि की दुकानों पर चहल-पहल शुरू हो जाती है। दीपावली के दिन शाम के समय लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है। तरह-तरह के पकवान तैयार किए जाते हैं। चारों तरफ दीपक तथा बल्ब का प्रकाश दिखाई देता है। बच्चे और बड़े सभी पटाखे, फुलझड़ियाँ आदि जलाते हैं। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों, मित्रों तथा आसपास रहने वालों को खील । मिठाईयाँ, उपहार आदि देते हैं।

दीपावली का त्योहार हमें पवित्रता व उचित ढंग से मनाना चाहिए। पटाखे जलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। पटाखे का प्रयोग न करने से वातावरण प्रदूषित नहीं होगा। यह पर्व हमें अंधकार पर तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।


दीपावली पर निबंध | Deepawali Par Nibandh (500 Words)

मेरा प्रिय त्योहार (दीपावली) ) Deepawali हिंदुओं का सबसे आकर्षक और सुंदर ऐसा त्योहार है जो सारे भारत में समान आनंद-उल्लास के साथ मनाया जाता है। दीवाली के साथ जैन धर्म और सिख धर्म से भी संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ जुड़ी होने के साथ इन धर्मों के लोग भी पूरे उत्साह-उल्लास से यह दीपों का प्रकाश-पर्व मनाते हैं। अमावस्या की घोर अँधेरी रात में दीपमालाओं से जगमग, मोमबत्तियों से झिलमिलाते और रंगीन बल्बों से लक-दक भवनों, राह-घाटों, सरकारी संस्थानों, गरीबी आर म यम वर्ग के छोटे-छोटे मकानों-सभी में इन्द्रधनुषी प्रकाश जगमगाता है। अँधेरी अमावस्या बहुरंगी प्रकाश से रोशनी की रात’ में बदल जाती है।

यह आकर्षक और प्यारा त्योहार कार्तिक की अमावस्या को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान रामलका-विजय कर और अपने भयानक शत्र रावण का वध करके सीता-सहित अयोध्या लौटे थे। अयोध्या-वासियो ने सहस्रों घी के दीपक जलाकर और उत्साह-आनंद के समारोह करके विजेता राम का स्वागत-सत्कार किया था। मा हर वर्ष रावण-वध और राम-विजय की स्मति में यह पवित्र त्योहार भारत की हर जाति और वर्ग के लोग मनाते आ रहे हैं।

यह भी प्रसिद्ध है कि धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ की समाप्ति इसी दिन हुई थी तथा आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानद सरस्वती का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी को भी इसी दिन महानिवाण प्राप्त हुआ था। इसीलिए समस्त जैन-समाज बड़ी आस्था के साथ इस पवित्र त्योहार को मनाता है। सिक्खों के छट गुरु को इसी दिन कारागार से मुक्ति मिली थी। इसी की स्मृति में आज भी अमृतसर का स्वर्णमंदिर प्रकाश से जगमगाया जाता है।

इस त्योहार से कुछ दिन पूर्व वर्षा ऋतु समाप्त हो चुकी होती है; अतः लोग Deepawali से कुछ पहले से ही अपने मकानों और दुकानों की सफाई कराना आरंभ कर देते हैं। घरों और दुकानों को सजाते और उन पर रंग-रोगन कराते हैं, बाजारों में भारी भीड़ होती है। दुकानदार कीमतों में कुछ छूट भी देते हैं। ताकि ग्राहक और अधिक उत्साहित होकर सामान खरीदें।

गाँव में नया अनाज और नया गुड़ आ जाता है; इसीलिए किसानों के घरों में भी उत्साह-आनंद का वातावरण रहता है। लोग अपने-अपने घरों में तो दीपक जलाते ही हैं, अपने घर के दीपक दूसरे के घरों में भी रखकर आते हैं। यह एक प्रतीक है- अपनी खशियों में दूसरों को भी भागीदार बनाना। कुँओं, पर चौराहों पर, गलियों में और सार्वजनिक स्थानों पर भी दीपक जलाए जाते हैं। लोग अपने मित्रों, पड़ोसियों और संबधियों में मिठाइयाँ तथा उपहार बाँटते हैं। इस प्रकार परस्पर प्रेम-एकता बढ़ाने और मन-मुटाव समाप्त करने का यह एक शुभ अवसर माना जाता हैं।

रात के समय घरों, दुकानों और कल-कारखानों में लक्ष्मी-पूजन होता है। बच्चे खूब पटाखे छोड़ते हैं। सारी रात धूम-धड़ाका होता रहता है।

इस रात कुछ बच्चों की असावधानी के कारण वस्त्रों तथा मकानों में आग लग जाती है। बच्चों को सावधानी से आतिशबाजी का प्रयोग करना चाहिए। हमारा कर्त्तव्य है कि हम इस दिन महापुरुषों के जीवन से शिक्षा लेकर अपने जीवन को सुधारें। इस रात हमें निर्धनों एव अपाहिजों की सहायता करनी चाहिए।


दीपावली पर निबंध हिंदी में (350 Words)

दीपावली का अर्थ एवं महत्त्व

‘दीपावली’ शब्द दो शब्दों के योग से बना है-‘दीप’ एवं अवली’। इसका अर्थ है-दीपों की पंक्ति। हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन यह पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार का सामाजिक एवं पौराणिक महत्व है। भारत के सभी राज्यों में दीपावली का त्योहार बहुत अनूठे ढंग से मनाया जाता है। एक दिन पहले ही घरों की पुताई, रंग-रोगन का कार्य पूरा कर लिया जाता है।

मनाए जाने का तरीका

सभी लोग पर एवं दवार की सफ़ाई करते हैं। पुराने सामानों एवं वस्त्रादि को या नो बेच देते हैं या फिर दान कर देते हैं। धनतेरस के दिन हर घर के लोग कोई-न-कोई बर्तन, चाँदी या सोने के सिक्के, मोटरगाड़ी आदि खरीदने का कार्य करते हैं। इस अवसर पर बड़े मॉल एवं एजेंसियों में समानों की ख़रीददारी करते हैं। बाजारों की सजावट तो देखते ही बनती है। रंग-बिरंगे प्रकाश वाली लड़ियाँ सभी दुकानों को प्रकाशित करती रहती हैं। खिलौने, खील, बताशे, मिठाइयाँ एवं उपहारों से दुकानें सजी रहती हैं। हर एक की कोशिश रहती है कि वह दीपावली से एक दिन पहले तक ख़रीददारी की सारी प्रक्रिया पूरी कर ले।

पौराणिक महत्त्व

त्योहार पर हर घर में विभिन्न तरह के पकवान एवं व्यंजन बनाए जाते हैं। सारा वातावरण सुगंधित होता है। शाम होते ही लोग घर, दरवाज़ों, मुंडेरों पर घी या तेल के दीपक भी जलाते हैं। लाइट्स एवं मोमबत्तियों के प्रकाश में चारों तरफ का वातावरण स्वर्गिक दृश्य उपस्थित करता है। दीपावली पर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की जाती है एवं प्रसाद बाँटा जाता है। बच्चे अपने द्वारा बनाए गए घरौंदे के पास ही दीपावली मनाते हैं।

Deepawali मनाए जाने का पौराणिक कारण भी है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान राम लंका के रावण का वध करके सीता जी के साथ अयोध्या पधारे थे। इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाए थे। तभी से लोग इस पर्व को मनाते हैं।

उपसंहार

किसी भी त्योहार को आदर्श पूर्ण ढंग से मनाना चाहिए। इस अवसर पर शाकाहारी ग्रहण करना चाहिए। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं और मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। पटाखों का सीमित प्रयोग करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण की समस्या न उत्पन्न हो। सारांश यह है कि Deepawali का त्योहार रचनात्मक एवं सृजनात्मक होना चाहिए। इसे किसी भी रूप में विस्फोटक नहीं होने देना चाहिए।


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2 thoughts on “3 Best Essay on Deepawali Par Nibandh in Hindi | दीपावली पर निबंध”

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