हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Discipline in Hindi (Anushashan Par Nibandh) पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं।
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अनुशासन पर निबंध | Discipline Essay in Hindi
अनुशासन का अर्थ है ‘नियम पालन’। इसे अंग्रेजी में ‘Discipline’ कहते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता होती है। अनुशासन जीवन में उन्नति का आधार है। अनुशासन की सबसे अधिक आवश्यकता विद्यालयों एवं सेना में होती है, किन्तु बिना अनुशासन के जीवन के हर क्षेत्र में ही गडबड़ हो जाती है। उन्नति के स्थान पर अवनति होती है; मान की जगह अपमान होता है।
सड़क का नियम है कि सब बाएँ हाथ चलें और सड़क के चौराहे पर खड़े सिपाही या बत्तियों के संकेत को | देखकर आगे बढ़ें। ऐसा न करने से दुर्घटनाएँ होती हैं। कार के साथ ट्रक टकरा जाता हैं, बस के साथ कार की टक्कर हो जाती है; कई जानें चली जाती हैं; धन की हानि भी होती है।
परिवार का नियम है कि सब परिवार के मुखिया की आज्ञा को मानें । मुखिया को भी कोई निर्णय लेने से पूर्व घर के सदस्यों के साथ परामर्श कर लेना चाहिए। जब किसी बात का निश्चय हो जाए तो उसे कानून समझ कर उस नियम का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने पर परिवार को अपार हानि होती है।
गली का नियम है कि सब लोग गली की सफाई रखें। कोई गन्दगी न फेंके। दूसरों की शान्ति बनाए रखने के लिए किसी प्रकार का शोर न करें। अन्यथा गली में अनर्थ हो जाएगा। पड़ोसियों के प्रतिदिन झगड़े होंगे। शान्ति भंग | होगी और जीवन कष्टमय बन जाएगा।
विद्यालय का अनुशासन अपना महत्त्व रखता है। किसी भी विद्यालय का अनुशासन देखना हो तो वहाँ की सफाई और शान्ति से अन्दाज़ा लगा सकते हैं। जिस विद्यालय में छात्र इधर-उधर कागज़ या गन्दगी फेंकते हैं या आपस में लड़ते-झगड़ते हैं, वहाँ पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पातीं। समय पर स्कूल में आना और स्कूल की पोशाक में आना ये अनुशासनप्रियता के लक्षण हैं।
सेना में यदि अनुशासन न हो तो आए दिन युद्ध हों; देश परतंत्र हो जाए। इसलिए सेना में अनुशासन का अधिक ध्यान रखा जाएगा।
देश की उन्नति का आधार अनुशासन माना जाता है। जिस देश के नागरिक अधिक अनुशासनप्रिय होंगे वह देश अति शीघ्र उन्नति के शिखर पर पहुँच जाएगा।
अनुशासन की शिक्षा बचपन से ही दी जानी चाहिए। घर तथा विद्यालयों में इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिस परिवार में अनुशासन के नियमों का पालन नहीं होता, उस परिवार के बच्चे उद्दण्ड, जिद्दी और शरारती होते हैं। वे सबके साथ झगड़ा करते हैं। ऐसे बच्चों को जल्दी ही ठीक मार्ग पर लाना चाहिए।
अनशासन प्रेम का विषय है, क्रोध का नहीं। बच्चे और बड़े अपने-आप नियमों का पालन करें। ज़ोर-ज़बरदस्ती या डर का यहाँ कोई काम नहीं। जो खुद नियमों का पालन नहीं करता वह दूसरों पर अपना दबाव नहीं डाल सकता। नियम-पालन करने वाला ही अच्छा नेता एवं प्रशासक बन सकता है।
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