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महानगरों का जीवन एवं समस्याएँ पर निबंध | Essay on Mahanagriya Jivan
महानगरों में बढ़ती भीड़
भारत के महानगरों में लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ महानगरों में तो साँस लेना भी दुर्लभ हो गया है। हर व्यक्ति इसभाग-दौड़ से इस तरह से परेशान है कि कभी-कभी उसे लगता है कि वह सुख-सुविधा की तलाश में प्राप्त सुविधाओं का उपभोग भी नहीं कर पा रहा है। यह स्थिति दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस समस्या का स्थायी समाधान तलाश पाना भी संभव नहीं हो रहा है। विगत कुछ दशकों से महानगरों में जनसंख्या और भी बढ़ती जा रही है। सड़कों पर इतना भीड़ होती जा रही है कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। इसके कई कारण हैं।
Mahanagriya Jivan में समस्या के कारण
इसके मूल में निरंतर बढ़ रही जनसंख्या है। प्राकृतिक संसाधन एवं भूभाग सीमित हैं। ग्रामीण भारत से लोग शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि शहर में उन्हें नौकरी मिल जाएगी या फिर भी रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे परंतु सच्चाई इसके विपरीत है। ग्रामीण शुद्ध वातावरण में रहते हैं। शहरों में आने पर धूल-धुएँ के कारण वे बीमारियों से ग्रसित होते हैं।
किसी भी शहर में सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाएँ भी सीमित होती हैं। इनमें अधिकतर सुविधाएँ उन्हें ही प्राप्त हो पाती हैं जो या तो किसी-न-किसी व्यवसाय में कुशल होते हैं या फिर विनिर्माण के कार्यों में लगे होते हैं। औद्योगिक इकाइयों की भी अपनी क्षमता होती है। उन्हें उच्च प्रशिक्षित लोगों की ज़रूरत होती है।
Mahanagriya Jivan परिणाम
मशीनीकरण के कारण मज़दूरों की आवश्यकता में भी कमी आई है। चिंताजनक बात यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले अधिकतर लोग उच्च शिक्षा प्राप्त तो होते हैं परंतु तकनीकी शिक्षा का उनमें अभाव होता है। इसके कारण शहरों में आकर उन्हें निराश होना पड़ता है। महानगरों के लोग चमक-दमकपूर्ण जीवन बिताने के अभ्यस्त हो जाते हैं। वे अपनी संपत्ति का अधिकतर भाग अपने रोज़मर्रा के खर्च में उड़ाते हैं।
शहरों में उपलब्ध सुविधाएँ महँगी होती हैं। इनका लाभ उठाना ग़रीबों के वश की बात नहीं होती। कल-कारख़ानों में मज़दूरों की बढ़ती संख्या के कारण पूँजीपतियों को सस्ते भ्रमिक तो उपलब्ध हो जाते हैं परंतु श्रमिकों की जीवन गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता रहता है।
निष्कर्ष
महानगरों में बढ़ती समस्या का समाधान करने के लिए यह आवश्यक है कि कृषि एवं स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया जाए। तकनीकी कृषि एवं सिंचाई की नवीन प्रणालियों के बारे में लोगों को जानकारी उपलब्ध कराई जाए। महानगरों के समकक्ष छोटे शहरों का भी विकास किया जाना चाहिए तथा कृषि उत्पादन का भंडारण एवं संरक्षण किया जाना चाहिए।
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