3 Best Essay on Indian Farmer in Hindi | भारतीय किसान पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Indian Farmer Essay in Hindi पर 3 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

10 Lines Essay on Indian Farmer in Hindi

  1. हमारा भारतदेश कृषि (Farmers) वरिष्ठ देश है, किसान हमारे देश का एक महत्वपूर्ण नागरिक है।
  2. किसान फल सब्जियों अनाज का उत्पादन करता है वह कपास का भी उत्पादन करता है
  3. वह सुबह से शाम तक कठिन परिश्रम करता है किसान दूसरों को भोजन प्रदान करता है किंतु खुद मुफलिसी (गरीबी) में जीता है।
  4. किसान अपने खेत को जोतता है, बीज बोता है, सिंचाई करता है, खरपतवार हटाता है, जब फसल पक कर तैयार हो जाता है तो उसकी कटाई भी करता है।
  5. किसान कच्चे मकानों में रहता है किसान का भोजन बड़ा साधारण होता है
  6. किसान कभी बेकार नहीं बैठता।
  7. फसल किसान का जीवन है वह फसल के साथ ही सोता जागता है।
  8. अगर उसकी फसल प्राकृतिक प्रकोप के कारण नष्ट हो गई तो उसका जीना दूभर हो जाता है।
  9. हमारे देश में अधिकतर किसान अशिक्षित हैं।
  10. Farmer का जीवन दुख में है फिर भी वह अपने जीवन एवं भाग्य से संतुष्ट है।

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किसान पर निबंध (500 Words)

समस्याएँ

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यहाँ का किसान कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा जैसी स्थितियों में जीवन बिताने के लिए वह विवश है। अन्नदाता कहे जाने वाले किसान का जीवन प्रकृति-प्रकोप के कारण संकट से ग्रस्त रहता है। आचार्य विनोबा भावे ने लिखा था कि किसान और विद्वान किसी देश की प्रगति के आधार होते हैं परंतु सरकारें उनकी उपेक्षा करती हैं क्योंकि ऐसे करने से उनका राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध होता है।

पिछले कुछ वर्षों से भारत में किसानों (Indian Farmer) की समस्याएँ बढ़ी हैं। उन्हें फ़सलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। बैंकों से लिए गए ऋण से खेती करने और फिर फ़सल के नष्ट होने के कारण वे निराश होते हैं। यही कारण है कि आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हुई है। भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा जारी रिकॉर्ड के अनुसार देश में किसानों की आत्महत्या के मामले किसी भी अन्य व्यवसाय से अधिक हैं। स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत समस्याएँ, सरकारी नीतियों में बढ़ती असमानता, खराब सिंचाई सुविधाएँ भी इस समस्या के मूल में हैं।

ग्लोबल वार्मिग ने देश के अधिकांश हिस्सों में सूखा और बाढ़ जैसी मौसम की स्थिति पैदा की है। ऐसी स्थितियों में फसलों को नुकसान पहुँचता है और किसानों के पास खाने के लिए कुछ नहीं बचता। जब फ़सल की पर्याप्त उपज नहीं हो पाती तो किसान अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने पर विवश हो जाता है। बैंकों में बिचौलियों के होने एवं जटिल कागजी प्रक्रिया के कारण उन्हें साहूकारों से भी बैंकों से कई गुना अधिक ब्याज पर ऋण लेना
पड़ता है और जब ये किसान ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं तो आत्महत्या कर लेते हैं।

समाधान

एक कारण यह है कि ज़्यादातर किसान अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति होते हैं। उन्हें परिवार की माँगों और ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए लगातार दबाव का सामना करना पड़ता है और उसे पूरा करने में सफल न होने के कारण तनाव में होते हैं जिनके कारण वे बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। भारतीय किसानों की समस्याएँ इतनी भयावह हैं कि इनका समाधान बहुत सूझ-बूझ से किया जाना जरूरी है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया जाना चाहिए।

सरकारी प्रयास

उर्वरको एवं कीटनाशकों की कीमतों में कमी की जानी चाहिए। तकनाकी कृषि करने के लिए आर्थिक सहयोग देने से पहले तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। फसल बीमा योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाने वाली धनराशि में बढ़ोतरी करनी चाहिए। पूरे भारतवर्ष में सिंचाई तकनीकी की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि सभी खेतों को पानी मिल सके। फ़सलों के भंडारण एवं वितरण की सर्वोत्तम एवं सुचारु व्यवस्था होनी चाहिए। किसानों की समस्याएँ गंभीर अवश्य हैं परंतु आत्महत्या इस समस्या का समाधान नहीं है।

निष्कर्ष

भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों की मदद कर रही है। इसका परिणाम भी दिखाई देने लगा है। राहतकोश से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का प्रावधान किया जाता है परंतु यह एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान ऋण माफ़ी नहीं हो सकती। इसका दूरगामी परिणाम और भी घातक होता है और महँगाई बढ़ती है। किसानों के कल्याण के लिए उत्पादकता के साथ-साथ उनके जीवन- गुणवत्ता में सुधार एवं वृद्धि के लिए प्रयास करने होंगे।


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Indian Farmer Essay in Hindi (800 Words)

प्रस्तावना

जिस देश भारत को कृषि-प्रधान देश कहा जाता है उसी देश के कृषकों की दुर्दशा की कहानी कहना हास्यास्पद सी लगती है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री चरण सिंह चौधरी ने कहा था कि देश की प्रगति का रास्ता गाँवों से होकर जाता है अर्थात् कृषक और मजदरों की मेहनत पर देश की उन्नति निर्भर है। आश्यर्च है कि देश की प्रगति में अपनी अहं भूमिका रखने वाला स्वयं विपन्न है। मजदूर दूसरों के लिए महल खड़े करता है हर प्रकार की आपदाएँ सहन करता है वही स्वयं फुटपाथ पर सोता है। यही बिडम्बना है भारत के कृषक की।

किसान अन्न पैदा करता है और उसकी मेहनत का उसे समचित मूल्य नहीं मिल पाता है। वही अन्न व्यापारी के हाथ में आने पर विज्ञापन करके सारे खर्च जोड़कर कृषक से अधिक मनाफा कमाता है। एक आश्चर्य है उसके सीधेपन का या उसकी कहीं सीधी पहुँच न होने के कारण हर प्रशासकीय अधिकारी उसका शोषण करता है। कृषक की तुलना में दूसरे लोग देखते-ही-देखते धनी हो जाते हैं और सम्मानित जीवन जीते हैं तो दूसरी ओर दिन-रात मेहनत करने वाले किसान के लिए सम्मान तो दूर उसे सामाजिक स्तर से हेय समझा जाता है। यह उसकी दुर्दशा की व्यथा कथा है।

धीर-गम्भीर और सहिष्णु कृषक

इस धरती पर कृषक ही ऐसा है जो सभी प्रकार की आपदाओं को सहन करने की सामर्थ्य रखता है। उसका सहिष्णुता ऐसी है कि बड़ी-बड़ी आपदाओं को सहन करते हुए अपने कार्य में जुटा रहता है। इस दया के पात्र पर किसी को दया नहीं आती है। तपतपाती धूप और कड़कड़ाती ठण्ड और वर्षा के वेग में सर्प आदि की चिन्ता किए बिना दिन-रात परिश्रम करके लहलहाती फसल को देख प्रसन्न होता है। कल्पनाओं के सागर में डूब जाता है। इस बार फसल आन पर ठण्ड से बचने के लिए रजाई, कपड़े, जूते ले लूँगा इस बार ठण्ड में सिकुड़ना नहीं पड़ेगा। प्रभु से प्राथना करता है। करते हुए उसे भी स्मरण कर लेता है।

उस विधाता को भी उस पर दया नहीं आती है। उसे ही अपना सर्वप्रिय बताता है और उस पर ही कहर बरसाता है। प्रकृति की मार पड़ती है कभी अधिक वर्षा, कभी सूखा तो कभी कोहरा। सम्पूर्ण लहलहाता फसल नष्ट हो जाती। लम्बे समय की मेहनत और सारी कल्पना धरी की धरी रह जाती है। इतने पर भी सब सहन कर आगामी वर्ष की प्रतीक्षा में फिर जुट जाता है। गम्भीर बना किसान विधाता को भी कोई दोष न देकर अपने भाग्य को ही कोस कर रह जाता है। इस तरह गम्भीर, धैर्य सहिष्णु होने की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है।

भारतीय किसान साहूकारों के यहाँ धरोहर

भारतीय किसान (Indian Farmer) मेहनत करना जानता है, छल-कपट से दूर है, सरल है, ईमानदार है। आधुनिक प्रगति में मात्र किसान ही विश्वसनीय और ईमानदार रह गया है। अभी वह अशिक्षित है, उसका सम्पर्ण जीवन साहुकारों के यहाँ गिरवी रखा रहता है। प्रेमचन्द्र ने अपनी रचनाओं में किसानों को प्रमुखता से स्थान दिया है। उनकी दुर्दशा के बारे में कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त जी ने कहा है

पहले पहला खाता देखो दिए गए थे बीस
होकर के दो बार सवाए, हुए सवा इकत्तीस।

प्रेमचन्द्र के अनुसार सहायता के लिए साहूकार की शरण में गया किसान आजीवन स्वयं और आगे की पीढ़ियाँ मुक्त नहीं हो पाईं। इस कारण किसान जहाँ था आज भी वहीं है। वह अशिक्षित होने के कारण सम्पूर्ण जीवन को खेती में झौंक देता है। इसके कारण उसके बच्चे भी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। विवाह आदि उत्सवों में कर्ज लेकर खर्च करता है। फिर कृषक अपने व्यवसाय के लिए बीज, खाद, तथा अन्य उपकरणों के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है और अपनी कमाई का उचित मूल्य भी दूसरे निर्धारित करते हैं। इस प्रकार वह सर्वथा परिमुखापेक्षी है।

आधुनिक कृषक में नयापन

आधुनिक कृषक में परिवर्तन आया है। वह खेती के साथ और भी व्यवसाय करने लगा है। पहले कृषक वर्ष में चार महीने से अधिक खाली रहता था कोई काम न होने पर फसल की प्रतीक्षा करता था। आज सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर उन्नत बीज का उपयोग करता है। साहूकारों की शोषण प्रवृत्ति से मुक्त है। नई-नई तकनीक का भी सहारा लेने लगा है। कृषक शिक्षित भी होने लगा है। वह दूसरे क्षेत्रों में भी पैर पसारने लगा है। वह पूर्णतः कृषि पर निर्भर नहीं है। जो कृषक शिक्षित हुए हैं।

सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं, वे सम्पन्न हैं परन्तु आज भी ऐसे बहुत कृषक हैं जो योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं, वे आज भी शोषण के शिकार हैं। इतना परिवर्तन होते हुए कृषक परम्पराओं का पुजारी है, ईश्वर के प्रति आस्थावान है। उच्च आदर्श मूल्यों का वह आज भी पालन करता है। यह कहा जाए कि सम्पूर्ण भारतीयता कृषकों में ही शेष रह गई है तो अतिशयोक्ति न होगी। दूसरे लोग आधुनिकता की दौड़ में सम्पूर्ण आदर्श-मूल्य खा चुके हैं या भूल चुके हैं वहाँ भारतीय कृषक ही ऐसा है जो भारतीयता का पालन करते हए दिखाई देता है।

उपसंहार

मानवता, उदारता. सहिष्णुता का पुजारी कृषक का ही यथार्थ में देश की समृद्धि में सहयोग है। वह राष्ट्रीयता का पुजारी है। अभावों में रहकर धैर्य का परिचय देता है। सरकार को उसके प्रति सदैव सहानुभूति-पूर्वक विचार करना चाहिए। उसके स्तर को उन्नत बनाने का प्रयास करना चाहिए। उसकी समृद्धि में देश की समृद्धि है। किसान को भी चाहिए कि जागरूक रहे। सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठाए।


तो दोस्तों आपको यह Indian Farmer Essay in Hindi पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

3 thoughts on “3 Best Essay on Indian Farmer in Hindi | भारतीय किसान पर निबंध”

  1. Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?

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