हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Malpractice in exam | परीक्षा में कदाचार पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं।
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Essay on Malpractice in exam | परीक्षा में कदाचार
परीक्षा में कदाचार एक गंभीर बीमारी की तरह संपूर्ण शिक्षा जगत को ग्रस लिया है। ज्यों- ज्यों वर्ग में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ती जा रही है, त्यों- त्यों परीक्षाओं में कदाचार और नकल की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। परीक्षा में कदाचार और नकल रोकना सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है।
बिहार राज्य में कदाचार मुक्त परीक्षा इतिहास की बात हो गई है। सरकार विश्वविद्यालय, परीक्षा बोर्ड एवं शिक्षक, वीक्षक और परीक्षक सब दर्शक बन गए हैं कहीं-कहीं तो नकल के सहयोगी भी। परीक्षाओं में हो रहा कदाचार शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है।
विगत वर्ष 2016 के इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणाम के बाद टॉपर घोटाला का उजागर हुआ। संपूर्ण देश हतप्रभ रह गया। रक्षक ही भक्षक थे। परीक्षाओं में अच्छे अंक दिलाने का धंधा वर्षों से चल रहा था। परीक्षा में उत्तर- परीक्षा लिखवाने और उत्तर- पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय अच्छे अंक दिलवाने का खेल वर्षों से चल रहा है। सरकारी से लेकर निजी कॉलेज एवं स्कूल इस धंधा में स्मबलित है। निजी स्कूलों में जब से स्कूल आधारित परीक्षा का प्रचलन हुआ है नकल चरम सीमा पर पहुंच गया है।
स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं की परीक्षाओं में सर्वाधिक नकल और कदाचार है। कई विश्वविद्यालयों की स्नातक कक्षाओं की परीक्षाओं में नकल शब्द छोटा पर गया है। गेस पेपर उतार देना ही परीक्षा देना है। विक्षक मात्र उत्तर पुस्तका और प्रश्न पत्र उपलब्ध कर देते हैं। परीक्षार्थियों की उपस्थिति ले लेते हैं। एक के बदले दूसरा परीक्षा दे सकता है। प्रतियोगिता परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर प्रश्न पत्र लिक होते हैं।
परीक्षा में नकल और कदाचार छात्रों के लिए आत्मघाती कदम है। नकल करके ऊंची- ऊंची डिग्री प्राप्त विद्यार्थी गुणवत्ता विहीन होता है। वह अनपढ़ के बराबर होता है। यह कारण है कि एम०ए० और एम०एस०सी० कर के विद्यार्थी बेरोजगार भटक रहे हैं। ऊंची- ऊंची डिग्री लेकर छोटी- छोटी नौकरियों के लिए दर दर की ठोकर खा रहे हैं। एम०ए० और एम०एस०सी० कर के प्राथमिक स्कूल के बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे हैं।
नकल पर नकेल मात्र सरकार और पुलिस के बल पर संभव नहीं है। पुलिस के बल पर परीक्षाओं में कदाचार कतिपय समय के लिए रोका जा सकता है, लेकिन इसकी स्थाई निदान पुलिस बल नहीं है। शराबबंदी और नोटबंदी की तरह नकल बंदी पर कठोर कानून की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम का नवीनीकरण प्रश्न पत्रों के स्वरूप में परिवर्तन आवश्यक है। प्रश्न पत्र विश्लेषणात्मक, विवरणात्मक, अनुकर्नात्मक आधार पर ऐसी होनी चाहिए कि जहां नकल की गुंजाइश नहीं हो।
नकल पर नकेल के लिए पाठ्यक्रम का नवीनीकरण आवश्यक है। नकल रोकने से पूर्व स्कूल- कॉलेजों में पढ़ाई अनिवार्य हो। शैक्षणिक माहौल के लिए शिक्षकों का स्थानांतरण का निर्धारित अवधि में अनिवार्य हो। शिक्षा व्यक्तित्व के विकास के लिए अनिवार्य है तो शिक्षा के लिए परीक्षाओं में नकल पर नकेल अनिवार्य है।
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