1 Best Essay on Sadak Durghatna in Hindi | वह भयंकर सड़क दुर्घटना पर निबंध

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Sadak Durghatna in Hindi | वह भयंकर सड़क दुर्घटना

वह भयंकर दुर्घटना सावन का महीना था। रिमझिम फुहारें गिर रही थीं। मैं अपने माता-पिता के साथ हरिद्वार जा रहा था। हम अभी पद्रह-बीस किलोमीटर ही दिल्ली से बाहर आए थे कि सहसा पिता जी ने कार रोक दी। मैंने खिड़की से झाँक कर देखा तो आँखें फैल कर रह गई। सामने का दश्य बडा भंयकर था। पिता जी ने गाडी सडक से उतार कर एक ओर खड़ा-कर दी और हम सबको गाड़ी में ही बैठे रहने का निर्देश देकर स्वंय सामने के दुर्घटना-स्थल की ओर बढ़ गए। पिता जी के निर्देशों की थोड़ी उपेक्षा करते हुए मैं भी चुपके से गाड़ी से उतरकर सामने की ओर देखने से अपने को न रोक सका।

सामने एक ट्रक सड़क के किनारे खड़े एक पेड़ से इस प्रकार टकरा गया था कि पेड़ ट्रक के भीतर आधा घुस गया था। ऐसा लगता था कि इंजन के बीच में ही वह विशालकाय पेड़ उग गया था। ट्रक के एक ओर का अगला पहिया निकलकर बहुत दूर गिरा पड़ा था और एक मारुति कार टूटी-फूटी कचूमर बनी सड़क के दूसरी ओर नीचे लुढ़की पड़ी थी।

मैंने पास ही खड़े एक आदमी से पूछा, “अंकल, यह ट्रक कैसे इस पेड़ में फंस गया है। उसने मेरी ओर मुड़कर कहा, ‘बच्चे, बड़ी भयंकर दुर्घटना हुई है। ट्रक का ड्राइवर अपने पर काबू नहीं रख सका तो उसने पहले उस मारुति कार को टक्कर मारी और फिर इस पेड़ से आकर टकरा गया। पेड़ मजबूत था-शीशम का है, इसीलिए वह गिरा नहीं, बल्कि ट्रक के इंजन को फाड़कर भीतर तक चला गया।

मैं उनसे और भी बहुत-कुछ पूछना चाहता था, पर वह और अधिक जानने के लिए दूर खड़े लोगों की तरफ बढ़ गए। मैंने देखा कि मेरे पिता जी भी वहीं कार के पास खड़े लोगों से बतिया रहे थे। सामने कार का एक दरवाजा टूटकर चकनाचूर हुआ पड़ा था। इधर कुछ खून गिरा पड़ा था। ऐसा लगता था जैसे कुछ ही देर पहले यहाँ दो हाथियों में परस्पर कोई भयंकर लड़ाई हुई हो।

कुछ ही देर में पिता जी वापस लौट आए। गाड़ी में बैठते हुए उन्होंने दुख के साथ कहा, “बड़ी भयंकर दुर्घटना है। मारुति कार में कुछ लोग हरिद्वार से वापस लौट रहे थे और यह ट्रक मेरठ जा रहा था। ट्रक-ड्राइवर शायद पिए हुए था अशवा कहीं और देख रहा था। मारुति ने उससे बचने के लिए अपने को सड़क से भी नीचे उतार लिया था, पर दुर्भाग्य से ट्रक ने उसे जोर से टक्कर दे मारी।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टक्कर लगते ही बहुत भयंकर धमाका हुआ और कार म सवार सारे परिवार की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई। मृत लोगों को बड़ी कठिनाई से कार से खींच-खीचकर किसी पकार बाहर निकाला गया। लगभग एक घंटे बाद पुलिस घटना स्थल पर पहँची और शवों को मेरठ अस्पताल में भेजा गया। टक-डाइवर की भी घटना स्थल पर ही पेड़ और इंजन के बीच फंस जाने से मत्य हो गई।

का दखने से पहले पिता जी तेज़ी से हरिद्वार की ओर जा रहे थे, पर अब हमारी कार की गति वह नहीं ।। अबापता जी बड़े संयम के साथ गाड़ी चला रहे थे और स्वंय ही कह रहे थे, “आदमी को गाड़ी बहुत देख-भाल कर चलानी चाहिए; क्योंकि अपनी जान तो अमूल्य है ही, दूसरों की जान भी बहुत कीमती है।


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