2 Best Essay on Samachar Patra in Hindi | समाचार-पत्र पर निबंध

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Essay on Samachar Patra in Hindi (350 Words)

Samachar Patra के प्रकार एवं प्रकाशन

प्राचीन काल से ही मनुष्य का यह स्वभाव रहा है कि वह अपने आस-पास की दुनिया से परिचित रहे। बीसवीं शताब्दी के आरंभ में मुद्रण कला के आविष्कार ने समाचार पत्रों को जन्म दिया। अब तो स्थिति यह है कि सुबह चाय के प्याले के साथ समाचार-पत्र एक आवश्यक वस्तु बन गई है। आज अखबारों की बाढ़-सी आ गई है।

प्रत्येक भाषा में इनका प्रकाशन होता है। समाचार-पत्रों का वर्गीकरण कई आधार पर किया जा सकता है; जैसे – दैनिक समाचार-पत्र, साप्ताहिक समाचार-पत्र, पाक्षिक समाचार-पत्र, खेल संबंधी समाचार-पत्र, उद्योग-व्यापार संबंधी समाचार-पत्र, सिनेमा और दूरदर्शन के समाचार-पत्र आदि।

Samachar Patra से लाभ

मुगलकाल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक समाचार भेजने के लिए घुड़सवारों या धावकों का प्रयोग किया जाता था। मुद्रण के आविष्कार और छापेखाने के कारण छपाई में सरलता आ गई। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में ‘इंडिया गजट’ नाम का अखबार छापा गया। राष्ट्रीय जागरण के काल में तो समाचार पत्रों की बाढ़-सी आ गई है।

समाचार-पत्र देश की जनता के विचारों को प्रकट करने का सबसे बड़ा माध्यम है। ये धनी और निर्धन दोनों की वाणी हैं। ये शोषित दलितों की आवाज़ हैं। ये देश के प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक नागरिक के साथी हैं। पाँच या दस रुपये के समाचार-पत्र में हमें चटपटे समाचार, नेताओं के भाषण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार, अर्थ व्यवस्था का ज्ञान, विज्ञान के आविष्कारों के साथ ही विविध उत्पादों का भी ज्ञान हो जाता है। अनेक वस्तुओं के भाव लिखे होते हैं जो व्यापारियों की सहायता करते हैं। इनसे समाज में फैली कुरीतियों को रोका जा सकता है।

निष्कर्ष

समाचार-पत्रों में निविदाएँ, व्यक्तिगत सूचनाएँ और अनेक प्रकार के विज्ञापन भी दिए जा सकते हैं। यदि समाचार-पत्र निष्पक्ष होकर जनता की सेवा करें तो ये देश और व्यक्ति के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।


Essay on Samachar Patra in Hindi (1000 Words)

प्रस्तावना

Samachar Patra की उपयोगिता इससे ही स्पष्ट होती है कि प्रातः होते ही समाचार पत्र ना आप आने पर बेचैनी बनी रहती है। पत्र को बिना पढ़े शांति नहीं मिलती है। विश्व स्तर पर घटी घटनाओं को जानने की पहली इच्छा बनी रहती है। इतना ही नहीं समाचार पत्रों को पढ़ने से मनुष्य का बौद्धिक विकास होता है और सांसारिक चरित्र की जानकारी मिलती है।

आज समाचार पत्र (Samachar Patra) सामाजिक राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक सभी को चित्रित करते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले खेलों की प्रतियोगिताओं को चित्रित करते हैं। बौद्धिक स्तर पर विद्वानों के लेख और पत्र भी प्रकाशित होते हैं। अब पत्र अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाने के सरल माध्यम बने हुए हैं। विज्ञापन के क्षेत्र में दो धूम मचा दी है।

समाचार पत्र दूरदर्शन के विज्ञापनों से प्रतिस्पर्धा करते हुए अतिरिक्त पृष्ठ जोड़कर रंगीन और आकर्षक विज्ञापन प्रस्तुत कर घिनौनापन के पर्याय बन गए हैं और बनते जा रहे हैं। इस सबके पीछे अर्थ का की चकाचौंध उनकी उपयोगिता को मटमैला कर रहा है।

लोक की दशा और दिशा बदलने में सक्षम

समाचार पत्र (Samachar Patra) लोकतंत्र की शक्ति है। समाचार पत्रों पर अभी भी विश्वास है। समाचार पत्र प्रत्येक क्षेत्र में हलचल मचाने की ताकत रखते हैं। संपादकों की लेखनी में या विविधता है कि सामान्य को असामान्य बना देना उसके लिए सामान्य बात है। समाचार पत्र क्रांति के पर्याय हैं ,पत्रों के इस रूप के कारण राजनीतिक दिग्गज नतमस्तक होते हुए दिखाई देते हैं।

राई को पहाड़ और पहाड़ को राय बनाने में शायद अलौकिक सत्ता ने भी इन्हीं से सीखा हो। थोड़ी देर के लिए ही सही ऐसा कर देते हैं। यह स्वयं अनुशासित हैं किंतु इस पर दूसरों का अनुशासन मान्य नहीं है। अनेक तर्क प्रस्तुत कर अपनी बात 100 बार दोहरा कर मान्य कर देते हैं। यह लोग और लोकतंत्र को नई दिशा दे कर नई दिशा का निर्माण कर सकते हैं। चुनाव काल में इनका बहुत योगदान होता है।

अपनी लेखनी के चमत्कार से किसी के पास को तूल दे सकते हैं हवा का रुख बदल सकते हैं। इसलिए राजनेताओं के पूज्य बने रहते हैं। समाचार पत्रों के इस महत्व को देखते हुए व्यवहार में कुशल गिरगिट को भी पीछे छोड़ने में समर्थ राजनीतिज्ञों ने लेखनी की नारी को समझने का सफल प्रयास कर उस लेखनी को भोथरा भी करते रहे हैं। जैसे जॉर्ज पंचम की नाक लेख में लेखक के अनुसार मूर्ति पर जिंदा नाक लगाने को समाचार पत्र को इस प्रकार प्रस्तुत किया की मूर्ति में जिंदा नाक लगा दी गई है यानी कि जिंदा जैसी।

अत: समाचार पत्रों में चलने वाली लेखनी, यथार्थ का चित्रण करने वाली लेखनी धीरे-धीरे भोथरी होती जा रही है और विश्वास भी कम होता जा रहा है।

समाचारों की विविधता

समाचारों में विविधता है। पाठक अपनी रूचि के अनुसार पृष्ठ लगता है और उसे पड़ता है रख देता है। समाचारों के अनुसार पृष्ठ अनुसार समाचार होते हैं। आकर्षक और संवेनिये समाचारों को मुख्य पृष्ठ पर छापा जाता है। उसके बाद राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, प्रांतीय, क्षेत्रीय समाचार। खेल समाचार लेख, पत्र, एक धार्मिक कोना और एक छोटा सा कोना महापुरुषों की सूक्तियों का होता है।

इसके अतिरिक्त प्रत्येक समाचार के बीच सटा हुआ अपना अलग ही जलवा बिखेर ता हुआ विज्ञापन। अब कोई भी पृष्ठ या कहो कि कोई भी महत्वपूर्ण समाचार विज्ञापन के बिना नहीं होता। फिर भी ना जाने क्यों समाचार पत्रों को अपने परंपरा से चले आ रहे हैं नाम को बदलना क्यों नहीं अच्छा लगता है। उचित तो है कि समाचार पत्र का नाम बदलकर विज्ञापन – पत्र में रूपांतरित करना उचित प्रतीत होता है।

विज्ञापन प्रचलन उसे अच्छी होती हुई कमाई को देखकर समाचार पत्रों की भी भीड़ है। दैनिक समाचार पत्र, सांध्य पत्र, सप्ताहिक पत्र, पाक्षिक पत्र, मासिक पत्र आदि। इन समाचार पत्रों में प्राया विज्ञापन की अधिक होते हैं। इन सब का अपना-अपना महत्व है, किंतु दैनिक समाचार पत्र अपने विशेष प्रभुत्व को बनाए हुए हैं। पाठकों को प्रत्येक हलचल को को जानने की जिज्ञासा बनी रहती है।

जो दैनिक समाचार पत्रों में होती है। अन्य पत्र-पत्रिकाओं की सूचनाएं प्राय: पुरानी हो जाती है। हर समाचार पत्र की घटना से संबंधित विवेचना प्राय: अलग-अलग होती है। अतः पाठक एक साथ ही कई समाचार पत्रों को खरीदता है।

समाचार पत्रों के विविध लाभ

समाचार पत्रों ने प्रत्येक क्षेत्र में अपना प्रभुत्व जमा लिया है। इसके बिना काम नहीं चलता है। घर बैठे ही सभी जानकारियां प्राप्त करने में समर्थ है व्यापार के क्षेत्र में इसने कमाल दिखाया है। अनाज से लेकर सोने चांदी के भाव प्रतिदिन देखता है, और व्यापारी व्यापार को बढ़ाता है। शेयर मार्केट के प्रति रुचि उत्पन्न करता है।

सरकारी नीतियों से परिचित होता है और उसका उपयोग पाठक कर सकता है। व्यस्तता के कारण थोड़ी देर में अपने समाधान पा लेता है। अब तो समाचार पत्रों के माध्यम से विवाह आदि भी होने लगे हैं, सहज में अपनी रूचि के अनुसार वर्ग और वधु को ढूंढा जा सकता है। नौकरी के विज्ञापन भी समाचार पत्रों में होते हैं। इतना ही नहीं समाचार पत्र जन समुदाय को सावधान भी करते हैं।

विज्ञापनों के झूठे आकर्षण से ठगे जाते हैं कभी कभी इनके चकाचौंध से चौंध्याकर, विश्वास कर संपूर्ण जीवन की संचित पूंजी गंवा बैठते हैं। अतः समाचार पत्र केवल सूचना देने के वाहक है, और घटी घटनाओं को चित्रित कर सावधान भी करते हैं, निर्णय मनुष्य के विवेक पर छोड़ देते हैं। इतना ही नहीं अब समाचार पत्र साहित्य के प्रति नई रुचि उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं। इनमें कविताएं, कहानी लेख, चुटकुले, कवि सम्मेलन आदि भी छपते हैं। पाठकों में रुचि जागृत करते हैं। नित्य बिगड़ते बनते जीवन मूल्यों से परिचित कराते हैं।

पाठकों को नई परिस्थितियों में जीने के लिए प्रेरित करते हैं। उनसे जूझने की मानसिकता को उद्वेलित करते हैं। इस तरह एक में ही सब समाया हुआ दिखता है, फिर भी लगता है कि कुछ और शेष रह गया है। अतः एक के स्थान पर और समाचार पत्र पढ़ने का मन बना रहता है यही कारण है कि प्रातः पत्र की प्रतीक्षा में पाठक बेचैन बना रहता है।

उपसंहार

Samachar Patra के प्रभुत्व को देखते हुए हैं कि समाचार पत्रों की सूचनाएं का जनमानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इनमें जन भावनाओं को मोड़ देने की शक्ति है। अतः अर्थ दोहन का कारण ना बने और उसके प्रति विश्वसनीयता बनी रहे। यह विचार करते हुए अश्लील विज्ञापन को समाज के सम्मुख ना परोसा जाए तो समाचार पत्र राष्ट्र को सुसंस्कृत रूप देकर राष्ट्र को मजबूत बनाने में सशक्त भूमिका प्रस्तुत कर सकते हैं।

पत्रों की प्रासंगिकता सदैव विश्वसनीयता के आधार पर बनी रहे यह अनिवार्य है। Samachar Patra पत्रों के बढ़ते हुए प्रभुत्व को कोई भी नहीं नकार सकता है। इतने पर भी समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से जो परोसा जा रहा है इससे समाज में विकृतियां पनप रही है, इस पर गंभीरता से विचार करना उचित है।


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