1 Best Essay on Science and Curiosity in Hindi | विज्ञानं और जिज्ञासा पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Science and Curiosity in Hindi | विज्ञानं और जिज्ञासा पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

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Essay on Science and Curiosity in Hindi | विज्ञानं और जिज्ञासा

टेलीविज़न पर रंगीन चित्र कैसे दिखाई देते हैं? धरती से हजार मील दूर अन्तरिक्ष में घूमता हुआ प्लेटफार्म कैसे बन सकेगा? राकेट-यानों द्वारा चन्द्रलोक कैसे पहुंचा जा सकता है? धूप-बैटरी किसे कहते हैं? ‘ट्रांसिस्टर’ कैसे काम करता है?

यदि इस तरह के सवाल कभी आपके मन में आते है तो आप में वैज्ञानिक की सी जिज्ञासा मौजूद है। वैज्ञानिक दुनिया के सबसे अधिक जिज्ञासा लोग होते हैं वे सदा अपने चारों ओर दीखने वाले जगत के बारे के तरह-तरह के सवाल पूछते रहते हैं। पर वे सवाल पूछकर ही नहीं रह जाते । इनके जवाब हासिल करने के लिए वे अध्ययन और प्रयोग भी करते हैं।

तो यदि आप सवाल पूछते रहते है और आपको अपने चारों ओर की दुनिया में ही रही घटनाओं के बारे में जिज्ञासा है, तो आप भी उतने अंश मे वैज्ञानिक हैं। और आपने पुस्तक को खोल लिया है : इसी से आपकी वैज्ञानिक वृति का पता चल जाता है, क्योंकि आप अपने सवालों का जवाब जानना चाहते है।

आप मोटर, पनडुब्बी , विमान, भू-उपग्रह, अन्तरिक्ष यान (स्पेस-शिप), परमाणु-शक्ति टेलीविज़न तथा उन दूसरी अद्भूत वस्तुओं के बारे में जानना चाहते हैं जो वैज्ञानिकों ने बनाई हैं या वे बना रहे हैं।

हमारे आजकल के आविष्कारों के जन्म की कहानी सुनकर आप चकित रह जाएंगें। कारण यह है कि वैज्ञानिकों के विषय में कभी-कभी हम ऐसी धारण बना लेते हैं, मानो वे कोई रहस्यमय लोग है जो विचित्र प्रकार की प्रयोगशालाओं में अकेले ही, जादू की छड़ी घुमाकर चमत्कार कर डालते हैं। यह कहानी पढ़ने पर हमें पता चलेगा कि जिन खोंजो के आधार पर हमारे आधुनिक आविष्कार हो सके हैं।

हर बड़े आविष्कार या खोज का कही बीज या आरम्भबिंदु होता हैं किसी आदमी के मन में एक बात आई, और उसने परीक्षण तथ प्रयोग किए। इस तरह एक विचार या मूल विचार पैदा हुआ। दूसरे आदमी ने इस मूल विचार को उठाया, इस पर आगे कार्य किया, इसमें हेर-फेर किया, और दूसरे लोगों को सौंप दिया। कभी-कभी इस सारे प्रक्रम में सेकड़ों वर्ष लगे।

उदाहरण के लिए, बिजली के कुछ प्रभावों की खोज पच्चीस सौ वर्ष पहले हुई थी। भाप का पहला इंजन दो हजार वर्ष से भी पहले बनाया गया था। कैमरे के बुनियादी सिद्धांतो का लगभग आठ सौ वर्ष पहले पता लग चुका था।

किसान के सिद्धान्तों और हेलिकॉप्टर के एक खाके (डिजायन) का सुझाव तथ पेराशूट या आकाश से उतरने की छतरी का आविष्कार चार सौ वर्ष से भी पहले सामने आ चुका था। फिर भी इन विचारों को ठोस कियात्मक आविष्कारों का रूप देने में सैकड़ो वर्ष लग गए।

इन आविष्कारों के विकास में सैकड़ो वर्ष लगने के बहुत-से कारण हैं। इनमें से एक बड़ा और महत्वपूर्ण कारण यह है कि पिछली शताब्दियों मे लोगों को एक-दूसरे से मिलने-जुलने और में वैज्ञानिक उन्नति की कुछ अधिक आशा नहीं हो सकती थी।

जरा सोचिए कि बिजली या वनि (शब्द) के बारे में बिना कुछ जाने टेलीफोन के आविष्कार अलेग्जेण्डर ग्राहम बेल को ये सिद्धांत स्वयं नहीं खोजने पड़े । उससे पहले के दूसरे लोग पहले ही इनकी खेज कर चुके थे। उन्होंने पुस्तकों में अपनी खोजों का विवरण दे दिया था जिन्हें बेल पढ़ सकता था।

आप समझ सकते हैं कि वैज्ञानिक कार्यकर्ताओं के लिए अपने से पहले की खोजो को जानना कितना महत्वपूर्ण है। एक इतालवी ने बिजली की ऐसी बैटरी बनाई जिससे बिजली की धारा (करेंट) का प्रवाह पैदा होता था। एक फ्रांसीसी ने चुंबक ओर बिजली के आपसी संबंध का पता लगाया।

एक जर्मन ने विद्युत प्रतिरोध (इलेक्ट्रिक रेजिस्टेंस) के सिद्धांत खोज निकाले। और इन सब खोजों का लाभ उठाकर एक अमेरिकन ने टेलीफोन का आविष्कार कर लिया।

पर यह ऐसा अकेला ही उदाहरण नहीं है आज का एक भी आविष्कार ऐसा नहीं जो सारा किसी अकेले व्यक्ति के प्रयत्नों से हो गया हो। ऐसी सब सफलताओं में अनेक राष्ट्रों और युगों के उन अनेक नर-नारियों का योग है जिन्होंने मूल खोज की नींव रखी।

लोग आविष्कारों के साथ व्यक्तियों का नाम जोड़ दिया करते हैं । वे कहा करते है कि वाट ने भाप का इंजन निकाला, एडिसन ने बिजली का लटू बनाया, राइट बन्धुओं ने विमान का आविष्कार किया। यह सच है कि इन मेधावियों के आश्चर्यजनक कार्यो के लिए इनकी जितनी प्रशंसा की जाए, थोड़ी है ; पर यह भी सच है कि इनमें से कोई भी अकेला वह कार्य नहीं कर सकता था।

उनसे पहलेवाले दूसरे लोगो ने कुछ मूल विचार उनहें सौपे थे, जिन्हें लेकर ही वे अपने अदभुत आविष्कार कर सकें।


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