1 Best शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध | Essay on Shiksha ka uddeshya

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शिक्षा के उद्देश्य – Shiksha ke Uddeshy

शिक्षा की परिभाषा – Shiksha ka Arth | Shiksha ki Paribhasha

शिक्षा अमूर्त एवं व्यापक शब्द है। इसके साधन मूर्त हो सकते हैं। वस्तुत: शिक्षा उसे कहते हैं जिसके द्वारा व्यक्ति का संपूर्ण विकास होता है। जिस तरह पौधों का विकास जल, मृदा, धूप, वायु आदि के कारण होता है उसी तरह किसी भी बालक का संपूर्ण विकास भी शिक्षा द्वारा ही संभव है। कहा गया है कि ज्ञान मनुष्य का तीसरा नेत्र है। इसके माध्यम से वह भविष्य की समस्याओं व समाधान को समझकर कार्य करता एवं सफलता प्राप्त करता है।

उद्देश्य एवं स्वरूप शिक्षा का प्रभाव

शिक्षा का उद्देश्य सर्वांगीण विकास होना चाहिए। इसी को परिभाषित करते हुए महात्मा गांधी ने कहा- “शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक के शरीर, मन एवं आत्मा में अंतर्निहित सर्वोत्तम अंश का संपूर्ण प्रकटीकरण है।” इस तरह हम समझ सकते हैं कि शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य हैं। इससे व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का विकास होता है। शिक्षित व्यक्ति का प्रभाव उसके आसपास रहने वाले सभी लोगों पर किसी-न-किसी रूप में पड़ता है। हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि, “शिक्षा बीज है और सफलता उसका फल।” उनके इस कथन का एकमात्र आशय है कि शिक्षा ही सफलता का आधार है।

शिक्षा किसी के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास में सहायक होती है। यही कारण है कि शिक्षा का प्रभाव हर क्षेत्र पर पड़ता है। कई बार ऐसा होता है जब लोग धन को शिक्षा से अधिक महत्त्व देने लगते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि देश की स्थिति उस चाकू के समान हो जाती है जिसमें फल नहीं होता जिसके कारण वह उपयोग करने वाले के हाथ को ही लहूलुहान कर देती है। विद्यार्थी जीवन में प्राप्त की शिक्षा ही उसका सफल मार्गदर्शन करती है।

विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनात् धर्म: ततः सुखम्।।

निष्कर्ष

अर्थात विद्या से विनय की प्राप्ति होती है, विनयी होने से पात्रता (सद्गुणों को धारण/ग्रहण करने की शक्ति) बढ़ती है। पात्रता एवं योग्यता से प्राप्त धन से सुख की प्राप्ति होती है। सारांश यह है कि शिक्षा ही सभी सुखों का मूल है।


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