हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Vigyan Vardan ya Abhishap in Hindi | विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर 2 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं।
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विज्ञान का बढ़ता प्रभाव
विज्ञान का अर्थ
विज्ञान की उन्नति से प्राप्त संसाधनों को देखते हुए यदि इसे मशीनों का युग कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आदिमानव का गुफा से बाहर निकलकर नगरों का निर्माण करना, वस्त्र पहनना और भोजन पकाकर खाना सभ्यता के विकास के चरण हैं। इसी के साथ विज्ञान ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया।
लाभ
आज मनुष्य मशीनों और वैज्ञानिक आविष्कारों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। यातायात के साधनों के सुलभ होने से घंटों की दूरी मिनटों में पूरी की जा सकती है। मोटर, मेट्रो, रेलगाड़ी वायुयान जैसे यातायात के साधनों ने यात्रा में होने वाली असुविधाओं और कठिनाइयों को कम कर दिया है। धरती ही नहीं आकाश और पाताल के रहस्य भी अब खुलते जा रहे हैं। बड़े-बड़े पुल और फ्लाईओवर यातायात को सुव्यवस्थित कर रहे हैं।
हानि
सभी जगह सड़कों और रेलों की पटरियों का जाल-सा बिछ गया है। विज्ञान के आविष्कारों से सारी दुनिया एक बटन में सिमट कर रह गई है। सुबह ब्रश करने से रात को सोने तक के सभी कार्य कपड़े धोना, इस्त्री करना, खाना बनाना, बर्तन धोना, केवल एक बटन दबाने से संपन्न हो जाते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में हुई अनूठी औषधियों और मशीनों के आविष्कार ने मृतप्राय व्यक्ति के शरीर में भी जान फूंकने का कार्य किया है। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा शरीर के अंगों को मनचाहा आकार दिया जा सकता है। टूटे और कटे अंगों के स्थान पर नए अंग लगाए जा रहे हैं। विज्ञान के आविष्कारों के कारण ही हदय और मस्तिष्क की शल्यचिकित्सा संभव हुई है।
निष्कर्ष
टेलिफ़ोन, टेलिविज़न, मोबाइल फ़ोन और टेबलेट ने देशों को एक-दूसरे के बहुत करीब ला दिया है यह कहना उचित होगा कि विज्ञान में संसार को एक छोटे से डिब्बे में बंद कर दिया है। परंतु ये सभी आविष्कार तभी उपयोगी हैं, जब मनुष्य इनका सही प्रयोग करे। विज्ञान की शक्ति का दुरुपयोग सारी मानवजाति के विनाश का कारण बन सकता है। हमें इसका सदुपयोग मानव जाति के कल्याण के लिए करना चाहिए।
Vigyan Vardan ya Abhishap | विज्ञान वरदान है या अभिशाप
आज का युग विज्ञान का युग है। हम अपने चारों ओर विज्ञान की बनी वस्तुएँ देखते हैं। साइकिल बस, वायुयान, राकेट आदि सब विज्ञान के चमत्कार ही तो हैं। कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती हैं। ज्योंही हमारी आवश्यकताएँ बढती हैं, त्योंही आविष्कार हमारी सहायता करता है।
हर वस्तु के उजले और मैले पक्ष होते हैं। यह हो सकता है कि किसी वस्तु के लाभ उससे पैदा होने वाली हानियों के मुकाबले बहुत कम हों; पर वे होते अवश्य हैं। विज्ञान के संबंध में भी यह बात लागू होती है।
विज्ञान ने हमारे समय की बचत की है। समय और दूरी को पराजित करने वाला दूरभाष हमारे पास है। समाचार-पत्र हमें संसार भर के समाचार देते हैं। दरदर्शन पर तो हम दर देशों में घटित घटनाए अपना आखा से देख सकते हैं। तार और बेतार भी संदेश भेजने के उत्तम साधन हैं।
बिजली का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। बटन दबाते ही कमरे में प्रकाश फैल जाता है। कमरा गर्म करना हो या ठण्डा, बिजली का ही प्रयोग होता है। बिजली रसोई में हमारी दासी की तरह सदा तत्पर रहती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अदभूत उन्नति की है। एक्सरे की मदद से देह के आन्तरिक भागों का चित्र खींचा जा सकता है। संक्रामक रोगों से अल्प समय में मुक्ति पाई जा सकती है। केंसर जैसे कुछ गिने चुने रोगों को छोड़कर शेष सब असाध्य रोगों का उपचार आज संभव हो गया है। प्लास्टिक सर्जरी से सौन्दर्य में वृद्धि की जा सकती है।
मनोरंजन के अनेक साधन विज्ञान ने ही प्रदान किए हैं। छविगृह में हम चलते-फिरते दृश्य देख सकते हैं। रेडियो, दूरदर्शन, वीडियो आदि मनोरंजन के दूसरे साधन हैं।
विज्ञान के कारण उद्योग और कृषि के क्षेत्र में अपार उन्नति हुई है। यंत्रों की सहायता से अधिक से अधिक उत्पादन होने लगा है। कारखानों में प्रतिदिन बहुत अधिक माल तैयार होता है। देश अब स्वावलम्बी बनते जा रहे हैं।
‘जहाँ विज्ञान से अनेक लाभ हैं, वहाँ यह अभिशाप बन कर भी हमारे सामने आया है। आज विज्ञान द्वारा प्रदत्त अनेक सुविधाओं के कारण मानव आलसी हो गया है। विज्ञान ने महीनों का काम दिनों में और दिनों का काम कळ घंटों में करना संभव कर दिया है, पर इससे एक ओर जहाँ बेरोजगारी बढ़ी है, वहाँ मजदूरों का स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा है। अधिक कल-कारखानों के कारण वातावरण प्रदूषित हो गया हैं। भयंकर शस्त्रों के कारण तबाही होने लगी हैं। आज मानव त्राहि-त्राहि कर उठा है।
वास्तव में देखा जाए तो विज्ञान हानिकारक नहीं है। यदि विज्ञान का सदुपयोग किया जाए तो यह लाभदायक है अन्यथा यह हानिकारक भी हो सकता है। हम विज्ञान का दास नहीं, प्रत्यत इसका स्वामी बन कर इसका सदुपयोग करना चाहिए।
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