Easy Learn Kriya क्रिया – Paribhasha, Bhed | Verb in Hindi in 2023

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Kriya (क्रिया) Verb in Hindi डिटेल में पढ़ाया है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Kriya (क्रिया) Verb in Hindi को अपने Exams या परीक्षा में इस्तेमाल कर सकते हैं


आप हर-पल, हर-क्षण कुछ न कुछ करते रहते हैं। यहाँ तक कि सान कसम सपने देखते हैं, खुर्राटे भरते हैं, करवटें बदलते हैं, आडे-तिरछे लेटते हैं, गहरी नींद लेते है। हर बिना किसी कर्ता के नहीं हो पाता और कर्ता जो-कुछ करता है, वह क्रिया कहलाती है।

Verb-in-Hindi

ध्यान से देखिए, ऊपर तीन चित्र बने हैं और उनके नीचे ये तीन वाक्य लिखे है:

  1. बच्चा दौड़ रहा है।
  2. लड़की नाच रही है।
  3. शिक्षक पढ़ा रहा है।

पहले वाक्य में कर्ता बच्चा है, जो दौड़ने का काम कर रहा है।
दूसरे वाक्य में कर्ता लड़की है, जो नाचने का कार्य कर रही है और तीसरे वाक्य में कर्ता शिक्षक है, जो पढ़ाने का कार्य कर रहा है।
वाक्य में कर्ता जो भी काम करता है, वह क्रिया कहलाती है।

क्रिया (Kriya) ki Paribhasha

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे – पढ़ता है, सोचता है, जाता है, खाता है आदि। सभी क्रियाएँ किसी न किसी अपने मूल रूप से बनती हैं।

सभी क्रियाओं का यह मूल-रूप धातु कहलाता है।
जैसे – आ, जा, पढ़, लिख आदि।

धातु का सामान्य रूप – धातु के आगे ‘ना’ लगा देने से धातु का सामान्य रूप बन जाता है। जैसे आ + ना= आना, खा + ना =खाना, पढ़ + ना-पढ़ना।

क्रिया के भेद (Kinds Of Verb in hindi) – Kriya ke Bhed

क्रिया के दो भेद होते है।

  1. सकर्मक
  2. अकर्मक

प्रयोग की दृष्टि से Kriya ke Bhed

  1. सामान्य क्रिया
  2. संयुक्त क्रिया
  3. नामधातु क्रिया
  4. प्रेरणार्थक क्रिया
  5. पूर्वकालिक क्रिया

सकर्मक क्रिया की परिभाषा

वह क्रिया सकर्मक कहलाती है, जिसके व्यापार का फल सीधे कर्म पर पड़ता है।
जैसे

  1. रमेश पुस्तक पढ़ता है।
  2. मोहन खाना खाता है।

पहले वाक्य में कर्ता रमेश क्या पढ़ता है? उत्तर होगा- ‘पुस्तक’।

‘पुस्तक’ कर्म है। दूसरे वाक्य में कर्ता ‘मोहन’ क्या खाता है? उत्तर होगा-‘खाना’। यहाँ ‘खाना’ कर्म है।
इस प्रकार इन दोनों वाक्यों में कर्म उपस्थित है। कर्म के उपस्थित रहने के कारण पढ़ता है’ और ‘खाता है’ क्रियाएँ सकर्मक क्रियाएँ हैं।

सकर्मक Kriya के भेद

सकर्मक Kriya के दो भेद होते है।

  1. एककर्मक क्रिया
  2. द्विकर्मक क्रिया

एककर्मक क्रिया

जिस क्रिया में केवल एक ही कर्म हो, वह एककर्मक क्रिया कहलाती है।

जैसे –

  1. मोहन पानी पीता है।
  2. सुरेश बरफी खाता है।

द्विकर्मक क्रिया

जिस क्रिया में दो कर्म हो, वह द्विकर्मक क्रिया कहलाती है।

जैसे –

  1. मोहन ने सोहन को किताब दी।
  2. मैंने सोहन को फल दिए।

पहले वाक्य में ‘सोहन’ और ‘किताब’ दो कर्म हैं तथा दूसरे वाक्य में ‘सोहन’ और ‘फल’ दो कर्म हैं।इस प्रकार दो कर्म होने के कारण ‘दी’ और ‘दिए’ द्विकर्मक क्रियाएँ हैं।

अकर्मक क्रिया की परिभाषा

वे क्रियाएँ जिनके अनुसार व्यापार का फल सीधे कर्ता पर पडता है, अकर्मक क्रियाएँ कहलाती है।
जैसे –

  1. मोहन हँसता है।
  2. सीता भागती है।

पहले वाक्य में ‘हँसता है’ क्रिया का सीधा फल कर्ता ‘मोहन’ पर पड़ रहा हैं। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में ‘भागती है’ क्रिया का फल-कर्ता ‘सीता’ पर पड़ रहा है। इसीलिए उपर्युक्त दोनों क्रियाएँ ‘हँसता है’ और ‘भागती है’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।

सकता सोता’ पर पड़ रहा है। इसीलिए उपर्युक्त दोनों क्रियाएँ ‘हँसता है’ और ‘भागती है’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।

अकर्मक का पहचानने की विधि – अकर्मक को पहचानने के लिए हमें क्रिया पर सीधे दो प्रश्न करने चाहिए- क्या? अथवा किन्हें? या किसे?

यदि उत्तर कुछ नहीं आया तो समझ लीजिए क्रिया अकर्मक है। उदाहरण के लिए उपर्युक्त दोनों वाक्यो की क्रियाओं को देख सकते हैं।

  1. क्या हँसता है? – उत्तर कुछ भी नहीं मिलेगा।
  2. क्या भागता है? – उत्तर कुछ भी नहीं मिलेगा।

यदि क्या, किन्हें, किसे, किसकों आदि का उत्तर मिलता है तो निश्चित रूप में क्रिया सकर्मक होगी।

प्रयोग की दृष्टि से Kriya Ke Bhed

सामान्य क्रिया

जहाँ किसी एक क्रिया का सामान्य रूप में प्रयोग हो, वह सामान्य क्रिया कहलाती है
जैसे –

  1. वह गया
  2. मैं आया
  3. उसने कहा।

संयक्त क्रिया

जहाँ एकाधिक क्रियाओं का साथ-साथ प्रयोग किया गया हो, वहाँ संयुक्त क्रिया कहलाती है।
जैसे –

  1. वह खा चुका है।
  2. मैंने वह कहानी पढ़ ली है।

नामधातु क्रिया

संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों से बने क्रिया पद नामधातु कहलाते हैं।
जैसे – शर्माना, हथियाना, अपनाना, गर्माना, महकाना आदि

प्रेरणार्थक क्रिया

जिस क्रिया से यह पता चले कि कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को उस कार्य को करने की प्रेरणा दे रहा है, वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।
जैसे –
मैंने अपने पुत्र से पत्र लिखवाया।
यहाँ लिखवाने का कार्य ‘मैंने’ किया पर लिखा मेरे पुत्र ने।
इस प्रकार यहाँ दो कर्ता हैं- ‘मैंने’ और पुत्र।

प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं।

  1. प्रेरक-कर्ता जो प्रेरणा दे रहा है।
  2. प्रेरित-कर्ता जिसे प्रेरणा देकर कार्य कराया जा रहा हो।

पूर्वकालिक क्रिया

मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।

  1. अखबार पढ़कर मैं घूमने चला गया।
  2. मोहन ने मुझे देखकर पुकारा।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘घूमने चला गया’ और ‘पुकारा’ दोनों मुख्य क्रियाएँ है, जिनसे पहले पढ़कर’ और ‘देखकर’ क्रियाएँ हो रही हैं। ये दोनों ही पूर्वकालिक क्रियाएँ हैं।


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