हेलो दोस्तों आप सब ने कभी न कभी Thomas Edison का नाम जरूर सुना होगा, जो की अमेरिकी मशहूर वैज्ञानिक थे। तो इस आर्टिकल में आप महान वैज्ञानिक Thomas Edison ki Kahani पढ़ सकेंगे। इस कहानी में आपको Thomas Edison ki Jankari मिलेगी।
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Thomas Edison ki Kahani | महान वैज्ञानिक थॉमस एडीसन की कहानी in 2021
“टाम, ज़रा होशियारी से रहना। अब तुम परदेश में अकेले रहने जा रहे हो,” मां ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा। वह टाम का सामान ठीक कर रही थी। टाम को एक दूसरे शहर में तार बाबू का काम मिल गया था और वह आज शाम को ही जा रहा था।
“तुम चिन्ता मत करो, मां, मै ठीक ही रहूंगा। और अब मैं बड़ा भी हो गया हूं,” टाम ने हंसते हुए कहा। उसने सनदूक में इतनी अधिक किताबें रख ली थी कि अब उसमें कपड़े रखने ककी जगह ही नहीं बची थी।
टाम अब भी अपने खाली समय में खूब पढ़ता था। अब उसने विज्ञान की गहरी जानकारी प्राप्त कर ली थी। वह नित्य नये से नये प्रयोग करता रहता था उसका दिमाग बहुत तेज़ था। तरह-तरह के विचार उसके मन में उठते थे। वह अपने सभी प्रश्नों का हल पहले विज्ञान की पुस्तकों में खोजता था और फिर प्रयोग करने में जुट जाता था।
लगभग पांच साल तक वह कई शहरों में घूमता रहा और तार बाबू का काम करके पैसे कमाता रहा। लेकिन उसने जो कुछ कमाया, सब अपने प्रयोगों के लिए साज-सामान और विज्ञान की पुस्तकें खरीदने में खर्च कर डाला।
अंत में टॉम न्यूयोर्क पंहुचा। अब वह बाईस साल का युवक था। लेकिन उसकी जेब में दो रुपये भी नहीं थे।
वह अपने एक मित्र के यहां पहुंचा। उसका मित्र एक कम्पनी में काम करता था। यह कम्पनी व्यापारियों को सोने के भावों की सूचना देती थी। सोने के भाव दिन में कई बार घटते-बढ़ते रहते थे। इसलिए व्यापारी चाहते थे कि उन्हें हर क्षण ताज़े भाव की सूचना मिलती रहे। यह सूचना उन्हें तार से ही जाती थी।
जब टाम अपने मित्र से मिलने के लिए उस कम्पनी में पहुंचा तो वहां बड़ी भाग-दौड़ मची हुई थी। तार की बड़ी मशीन टूट गई थी। लेकिन वहां कोई ऐसा आदमी नहीं था जो उसे ठीक कर पाता।
टाम भी उत्सुकतावश मशीन को देखने लगा। देखते ही वह समझ गया कि इसमें क्या गड़बड़ी हैं। अपना कोट उतारकर वह काम में जुट गया। कुछ ही देर में मशीन फिर से चल पड़ी।
सब लोगों ने राहत की सांस ली। कम्पनी का मालिक इतना खुश हुआ कि उसने टाम को अच्छी तनख्वाह पर अपने यहां नौकर रख लिया। सारी मशीनों की देखभाल का काम टाम के ज़िम्में था।
दिन में टाम कम्पनी की मशीनों की देखभाल करता था और रात में घर पर काम करता था। आजकल वह एक नई तार मशीन बनाने में लगा हुआ था। वह ऐसी मशीन बनाना चाहता था जो दूसरी सभी मशीनों से अच्छी हो।
बोलने वाली मशीन – Thomas Edison ki Kahani
अब पोर्ट हेरोन का तार बाबू टाम न्यूयार्क के एक प्रसिद्ध आविष्कारक टामस एल्वा एडिसन के रूप में जाना जाता था। लोग एडिसन का आदर करते थे। एडिसन ने अपनी पहली प्रयोगशाला नेवार्क, न्यूजर्सी (अमरीका) में स्थापित की। यहाँ कई व्यक्ति काम करते थे। इनमें मेरी स्टिलवेल नामक एक लड़की भी थी। कुछ दिनों बाद एडिसन ने इससे विवाह कर लिया।
मेरी का स्वभाव बहुत अच्छा था। वह एडिसन के आराम का ध्यान रखती थी। एडिसन दिन-रात अपने काम में लगे रहते थे। रात को वे काफी देर से घर लौटते थे। वे हमेशा नये आविष्कारों के बारे में सोचतें रहते थे।
कुछ दिनों बाद उन्होंने मेनलोपार्क नामक स्थान में एक बहुत बड़ी प्रयोगशाला की स्थापना की। पास ही अपने लिए एक अच्छा-सा मकान भी बनवा लिया। अब उनके तीन बच्चे थे-एक लड़की और दो लड़के। एडिसन अपने बच्चों को बहुत प्यार करते थे।
आजकल एडिसन अपने एक बड़े महत्वपूर्ण आविष्कार पर काम कर रहे थे। वे एक ऐसी मशीन बनाने की कोशिश कर रहे थे जो मनुष्य की आवाज़ में बोल सके। कई दिनों की मेहनत के बाद अन्त में उन्हें सफलता मिली। लेकिन उनके साथियों को विश्वास नहीं हो रहा था कि मशीन बोल भी सकती है।
एडिसन ने सबके सामने उसकी परीक्षा की। उन्होंने मशीन के बेलन पर बहुत पतले टिन का पत्तर चढ़ाया। फिर वे जोर-जोर से बच्चों के एक गीत की कुछ पंक्तिया बोलते गए और मशीन का हत्था घुमाते गए। उन्होंने कहा, “इस तरह में इसमें अपनी आवाज़ भर रहा हूं। अब यह मेंरी आवाज़ को दोहराएगी।”
जब एडिसन ने दुबारा हत्था घुमाया तो मशीन ठीक उनकी आवाज़ में बोलने लगी। उनके साथी दंग रह गए। यह एक बहुत बड़ा आविष्कार था। एडिसन ने उसका नाम ‘फोनोग्राफ’ रखा। आगे चलकर उन्होंने इसमें और अधिक सुधार किया। ग्रामोफोन इसी मशीन का आधुनिक रूप हैं।
इस आविष्कार से एडिसन का नाम चारों ओर फैल गया। कुछ समय बाद लोगों ने सुना कि एडिसन ने अपनी प्रयोगशाला बंद कर दी और मकान भी बेच दिया।
आजकल एडिसन बहुत उदास रहते थे। उनकी पत्नी मैरी की मृत्यु हो गई थी। वे उसे बहुत चाहते थे। उसके बिना उनका जीवन सूना हो गया था।
चलते – फिरते चित्र – Thomas Edison ki Kahani
कई दिन इसी तरह बीत गए। एडिसन अपने एक मित्र के यहाँ ठहरे हुए थे। एक दिन मीना मीलर नामक एक युवती से उनकी भेंट हुई। धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया और एक दिन एडिसन ने मीना से विवाह कर लिया। मीना के प्रेम में वे अपना दुःख भूल गए और फिर से अपने काम में जुट गए।
एडिसन ने वेस्ट आटेंज नामक स्थान में एक नई प्रयोगशाला की स्थापना की। यह उनकी पहली प्रयोगशाला से दस गुना बड़ी थी। शेष जीवन भी एडिसन ने यहीं काम किया। यहीं उन्होंने कई नये महान आविष्कार किए।
इसी बीच एडिसन ने यूरोप की यात्रा भी की। वहां वे बडे-बडे वैज्ञानकों और आविष्कारों से मिले। कई देशों में उनका सम्मान हुआ। अब उनकी गिनती संसार के एक महान वैज्ञानिक के रूप में होती थी।
यात्रा के दिनों में भी एडिसन अपने नये आविष्कारों के बारे में सोचते रहें। उन्होंने फोटोग्राफी के विज्ञान के बारे में खूब पढ़ा। इस विषय की सारी पुस्तकें और लेख उन्होंने पढ़ डाले। वे एक ऐसी मशीन बनाना चाहते थे जिसकी सहायता से चित्र पर्दे पर चलते-फिरते नज़र आएं।
ऐसी मशीन बनाना आसान नहीं था। लेकिन एडिसन को अपने-आप पर पूरा भरोसा था। वे किसी भी क्षेत्र में खोज करने से पहले उसकी गहरी जानकारी प्राप्त कर लेते थे। इसके बाद वे मन लगाकर उस काम में जुट जाते थे और घोर परिश्रम करते थे। उनकी सफलता का यही रहस्य था।
कई दिनों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने ऐसी मशीन तैयार कर ली। उन्होंने इसका नाम ‘किनोटोस्कोप’ रखा यह संसार का सबसे पहला सिनेमा प्रोजक्टर था। फिर उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में ही एक फिल्म स्टूडियों बना लिया और कई फिल्में भी बनाई।
एडिसन ने कल्पना भी नहीं की थी कि कभी संसार में फिल्मों का इतना प्रचार हो जाएगा और ये मनोरजन और शिक्षा का इतना बड़ा साधन बन जाएंगी।
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