Easy Learn Karak कारक – Paribhasha, Bhed | Verb in Hindi in 2023

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Karak (कारक) in Hindi डिटेल में पढ़ाया है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Karak (कारक) in Hindi को अपने Exams या परीक्षा में इस्तेमाल कर सकते हैं


कारक से तात्पर्य | कारक की परिभाषा – karak kise kahate hain – karak ki paribhasha

संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध क्रिया के साथ जाना जाता है, उसे कारक कहत है।

जो पद हैं संबंध बताते साथ क्रिया के
सदा वाक्य में वे पद हैं कारक कहलाते।
कर्ता कर्म करण संबोधन सम्प्रदान हैं
अपादान संबंध अधिकरण आठ कहाते।

नीचे लिखे वाक्यों को ध्यान से पढ़िए :

  1. राम ने रावण को मारा।
  2. राम ने रावण को बाण से मारा।
  3. राम ने सीता के लिए रावण को मारा।
  4. राम ने रावण को लंका में मारा।

किसी वाक्य में जिस संज्ञा या सर्वनाम के द्वारा कोई क्रिया की जाती है, वह कारक कहलाता है। अब हमें देखना है कि उपर्युक्त वाक्यों में ‘मारा’ क्रिया के साथ कौन-कौन शब्द अपना संबंध जोड़े हुए हैं। पहले वाक्य में मारा’ क्रिया से राम और रावण का संबंध है। किस ने मारा? – राम ने। किस को मारा? – रावण को।

इसी प्रकार दूसरे वाक्य में :

किसने मारा? – राम ने।
किसको मारा ?-रावण को।
किससे मारा? – बाण से।

तीसरे वाक्य में देखिए :

किसने मारा? – राम ने।
किसको मारा? – रावण को।
किस के लिए मारा? – सीता के लिए।

अब चौथे वाक्य में देखिए:

किसने मारा? – राम ने।
किसको मारा? – रावण को।
किस में मारा? – लंका में।

यह संबंध जिन कारक – चिह्नों के लगने से जुड़ता है, उन्हें कारक की विभक्तियाँ अथवा परसर्ग कहते हैं। ‘पर’ का अर्थ है ‘ पीछे’ और ‘सर्ग’ का अर्थ है ‘जुड़ना’।

उपर्युक्त वाक्यों में ने, को, से (द्वारा), के लिए, में कारक-चिह्न या विभक्तियाँ’ अथवा ‘परसर्ग’ हैं।

कारक के भेद – karak ke bhed

एक बार फिर से शुरू में दिए गए पद को पढ़िए। इसे पढ़ने पर आप समझ गए होंगे कि कारक के आठ भेद हैं।

कारकविभक्तियाँ
कर्ता‘ने’ या बिना किसी चिह्न के
कर्मको या बिना किसी चिह्न के
करणसे, के द्वारा, के साथ, के कारण
संप्रदानके लिए, को, के निमित्त
अपादानसे, (अलग होने का अर्थ)
संबंधका, की, के, रा, रे, री, ना, ने, नी
अधिकरणमें, पर, ये
संबोधनअरे, ओ, रे, हे

कर्ता कारक – Karta Karak

क्रिया को करने वाला कर्ता कहलाता है।
जैसे – राम ने सोचा; वाक्य में सोचने’ की क्रिया ‘राम ने’ की। अतएव राम कर्ता कारक है।

कभी-कभी कर्ता कारक के साथ उसका परसर्ग’ने’ जुड़ा हुआ नहीं रहता। जैसे : राम घर जाता है, सुरेश सोचता है, तुम बोलते हो। इन वाक्यों में ‘राम’, ‘सुरेश’ और ‘तुम’ कर्ता कारक हैं, जबकि इन शब्दों के साथ कोई परसर्ग जुड़ा हुआ नहीं है।

कर्म कारक – Karm Karak

जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम पद पर क्रिया के व्यापार का फल पड़े, उसे कर्म कारक कहते हैं।
जैसे – नरेश ने मोहन को मारा। इस वाक्य में ‘मोहन’ पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ रहा है। अतएव ‘मोहन’ कर्म है।

करण कारक – Karan Karak

जिस साधन से कर्ता कोई क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते हैं।
जैसे – मोहन ने डंडे से साँप को मारा। इस वाक्य में ‘मारने की क्रिया ‘डंडे’ से की गई। अतएव ‘डंडे’ करण कारक है।

संप्रदान कारक – Sampradan Karak

जिसके लिए क्रिया की जाती है, उसे संप्रदान कारक कहते हैं।
जैसे – मैं मोहन के लिए फल लाया। इस वाक्य में क्रिया ‘मोहन’ के लिए संपन्न हो रही है; अतएव यहाँ मोहन संप्रदान कारक है और ‘के लिए’ उसका परसर्ग है।

अपादान कारक – Apadan Karak

जिस पद से क्रिया की पृथकता सूचित हो, उसे अपादान कारक कहते हैं।
जैसे –

  • हिमालय से गंगा निकलती है।
  • पेड़ से पत्ते झड़ते हैं

उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाओं का पृथक होना क्रमशः ‘हिमालय‘ से और ‘पेड़‘ से पाया जाता है। अतएव ‘हिमालय‘ और ‘पेड़‘ अपादान कारक हैं।

संबंध कारक – Sambandh Karak

क्रिया के अतिरिक्त अन्य पदों से संबंध बताने वाला पद संबध कारक कहलाता है।
जैसे

  • रमेश के पिता जी वहाँ बैठे हैं।
  • ताजमहल की मीनारें बड़ी सुंदर हैं’ इस वाक्य में ‘रमेश के’ और ‘ताजमहल की’ संबंध कारक हैं।

अधिकरण कारक – Adhikaran Karak

जो पद क्रिया के स्थान अथवा आधार को प्रकट करते हैं, वे अधिकरण कारक होते हैं।
जैसे –
आकाश पर इद्रधनुष चमक रहा है।

यहाँ ‘आकाश पर’ अधिकरण कारक है। इसी प्रकार निम्नलिखित वाक्यों को देखिए:

  1. हिमालय पर बर्फ जमी है।
  2. लंका समुद्र में बसी हुई थी।
  3. वह व्यक्ति पेड़ के ऊपर बैठा है।

उपुर्यक्त वाक्यों में क्रमशः ‘हिमालय’ ‘समुद्र’ और ‘पेड़’ अधिकरण कारक हैं।

संबोधन कारक – Sambodhan Karak

जिस शब्द का संबोधन की तरह प्रयोग किया जाए, उसे संबोधन कारक कहते हैं।

जैसे – हे भाई! कुमित्र की संगति बहुत बुरी होती है।
यहाँ ‘हे भाई’! संबोधन कारक है।

करण और अपादान कारक का अन्तर

दोनों कारकों का चिह्न ‘से’ है; किन्तु करण का चिहन ‘से’ साथ अथवा द्वारा के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जबकि अपादान के चिह्न ‘से’ पृथकता सूचित करता है।

कुछ संज्ञा शब्दों की विभक्तियों के रूप – karak vibhakti

‘लड़का’ शब्द के रूप

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तालड़का, लड़के नेलड़कों ने
कर्म लड़के कोलड़कों को
करणलड़के से (द्वारा)लड़कों से (द्वारा)
सम्प्रदान लड़के के लिएलड़कों के लिए
अपादानलड़के सेलड़कों से
संबंधलड़के का, के, कीलड़कों का, के, की
अधिकरणलड़कों में, परलड़के में, पर
संबोधनहे लड़को!हे लड़के!

‘लड़की’ शब्द के रूप

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तालड़की, लड़की नेलड़कियों ने
कर्मलड़कीलड़कियों को
करणलड़की के द्वारालड़कियों से (द्वारा)
सम्प्रदानलड़की के लिएलड़कियों के लिए
अपादानलड़की सेलड़कियों से
संबंधलड़की का, के, कीलड़कियों का, के, की
अधिकरणलड़की में, परलड़कियों में, पर
संबोधनहे लड़की!हे लड़कियों!

‘गुरु’ शब्द के रूप

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तागुरु, गुरु ने गुरुओं ने
कर्मगुरु कोगुरुओं को
करणगुरु से द्वारागुरुओं से (द्वारा)
सम्प्रदानगुरु के लिएगुरुओं के लिए
अपादानगुरु सेगुरुओं से
संबंधगुरु का, के, कीगुरुओं का, के, की
अधिकरणगुरु में, परगुरुओं में, पर
संबोधनहे गुरु!हे गुरुओ!

‘डाकू’ शब्द के रूप

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताडाकू, डाकू नेडाकुओं ने
कर्मडाकू कोडाकुओं को
करणडाकू से (द्वारा)डाकुओं से (द्वारा)
सम्प्रदानडाकू के लिएडाकुओं के लिए
अपादानडाकू सेडाकुओं से
संबंधडाकू का, के, कीडाकुओं का, के, की
अधिकरणडाकू मेंपर डाकुओं में, पर
संबोधनहे डाकू!हे डाकुओं!

‘गौ’ शब्द के रूप

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तागौ, गौ नेगौएँ गौओं ने
कर्मगौ कोगौओं को
करणगौ से (द्वारा) गौओं से (द्वारा)
सम्प्रदानगौ के लिएगौओं के लिए
अपादानगौ सेगौओं से
संबंधगौ का, के, कीगौओं का, के, की
अधिकरणगौ में, परगौओं में, पर
संबोधनहे गौ!हे गौओ!

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