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Patra Lekhan in Hindi | हिंदी पत्र लेखन | Hindi Letter Writing
हेल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Letter writing in Hindi डिटेल में पढ़ाया है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Letter writing in Hindi को अपने Exams या परीक्षा में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पत्र-लेखन – Hindi Letter Writing | Patra Lekhan in hindi
पत्र का महत्त्व
As keys do open chests,
So letters open breasts.
उक्त अँगरेजी विद्वान् के कथन का आशय यह है कि जिस प्रकार कुंजियाँ बक्स खोलती हैं, उसी प्रकार पत्र (letters) हृदय के विभिन्न पटलों को खोलते हैं। मनुष्य की भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति पत्राचार से भी होती है। निश्छल भावों और विचारों का आदान-प्रदान पत्रों द्वारा ही सम्भव है।
पत्रलेखन दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसके द्वारा दो हदयों का सम्बन्ध दृढ़ होता है। अतः, पत्राचार ही एक ऐसा साधन है, जो दूरस्थ व्यक्तियों को भावना की एक संगमभूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्र-इस प्रकार के हजारों सम्बन्धों की नींव यह सुदढ़ करता है। व्यावहारिक जीवन में यह वह सेतु है, जिससे मानवीय सम्बन्धों की परस्परता सिद्ध होती है। अतएव पत्राचार का बड़ा महत्त्व है।
पत्र-लेखन एक कला है
आधुनिक युग में पत्रलेखन को ‘कला’ की संज्ञा दी गयी है। पत्रों में आज कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हो रही हैं। साहित्य में भी इनका उपयोग होने लगा है। जिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौन्दर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजन आवश्यक है।
एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तित्व (personality) भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः, पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। लेकिन, इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यावसायिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक तथा साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है।
पत्र mainly दो प्रकार के होते है।
- औपचारिक पत्र
- अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र – Apcharik Patra | Formal Letter writing in Hindi
जो पत्र क्रेता-विक्रेता के बीच व्यापार हेतु या सरकारी-गैरसरकारी संगठनों के प्रधानों को विभिन्न विषयों हेतु लिखे जाते हैं, औपचारिक पत्र कहलाते हैं। इसके अन्तर्गत आवेदन-पत्र, शिकायती पत्र, माँग-आदेश-पत्र आदि आते हैं।
औपचारिक पत्र के प्रकार – Aupcharik Patra Ke Prakar |
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प्रार्थना पत्र |
आवेदन पत्र |
शिकायती पत्र |
सम्पादकीय पत्र |
कार्यालयी पत्र |
व्यवसायिक पत्र |
प्रार्थना पत्र लिखने का तरीका – Prathna Patra | Hindi Letter Format | Format of Formal Letter in Hindi
how to write formal letter in Hindi?
आवेदन पत्र – Aavedan Patra | Hindi Application Format
बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड, दिल्ली के सचिव को लिपिक-पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
सेवा में
सचिव
बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड
दिल्ली
विषय : लिपिक-पद भर्ती हेतु
महोदय
हिंदी के ‘नवभारत टाइम्स’ में प्रकाशित विज्ञापन क्र. 392 के अनुसार मैं लिपिक-पद के लिए आवेदन करता हूँ। मेरा परिचय, शैक्षणिक योग्यताएँ तथा अन्य परिचय इस प्रकार है
नाम : सर्वेश कुमार
पिता का नाम : बलवंत राय
जन्म-तिथि : 15.7.1986
पता : 54, सत्य निकेतन, मोतीबाग, नई दिल्ली।
शैक्षणिक योग्यता : कक्षा विद्यालय वि.वि./बोर्ड उत्तीर्ण वर्ष
कक्षा | दशम | बारह |
विद्यालय | अ.ब.स. नैनीताल | अ.ब.स. नैनीताल |
वि.वि./बोर्ड | क.ख.ग. बोर्ड | क.ख.ग. बोर्ड |
उत्तीर्ण वर्ष | मई, 2021 | मई, 2021 |
प्राप्तांक | 465/600 | 500/600 |
विषय | हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक, संस्कृत | हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, |
टंकण : हिंदी टंकण : 40 शब्द प्रति मिनट
अंग्रेज़ी टंकण : 60 शब्द प्रति मिनट
अनुभव : दो वर्ष।
संप्रति : हिल्टन टायर लि., गुड़गाँव में कार्यरत।
आशा है, आप साक्षात्कार का अवसर अवश्य देंगे ताकि मैं अपनी क्षमताओं का परिचय दे सकूँ।
धन्यवाद !
आवेदक
सवेश
54, सत्य निकेतन
मोतीबाग नई दिल्ली
दिनांक : 14-3-2011
संलग्न :
1. दसवीं का प्रमाण-पत्र
2. बारहवीं का प्रमाण-पत्र
3. अनुभव प्रमाण-पत्र
4. चरित्र प्रमाण-पत्र
5. टंकण-गति का प्रमाण-पत्र
शिकायती पत्र – Hindi Patra Lekhan | Application in Hindi
शिकायती पत्र उदहारण – Patra Lekhan Format | Hindi Letter Writing Format
आपके नगर की प्रसिद्ध डेयरी में दूध तथा दूध से निर्मित पदार्थों में मिलावट की जाती है। नगर के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही के लिए अनुरोध कीजिए।
अविनाश सिन्हा
112, गोपालगंज नगर
बरेली
दिनांक 13.7.2021
सेवा में
स्वास्थ्य अधिकारी
पटना महानगर
बरेली
विषय : डेयरी के दूध में मिलावट
महोदय
निवेदन है कि मैं गोपालगंज नगर का निवासी हूँ। हमारे यहाँ अनेक दूध की डेयरियाँ हैं। कुछ दिनों से यह देखने में आ रहा है कि ये डेयरी वाले लोभ-लालच में आकर दूध में मिलावट करने लगे हैं। मिलावट का यह धंधा इतना खुलेआम चल रहा है कि राह-चलते लोग भी इसे देखकर हैरान और परेशान हैं। यहाँ न केवल दूध में मिलावट की जाती है बल्कि खोये, पनीर और अन्य दूध से बनने वाली वस्तुओं में भी मिलावट की जाती है।
जागरूक नागरिक होने के नाते मैंने आपसे शिकायत करने का फर्ज निभा दिया है। आगे कार्यवाही करने का दायित्व आपका है। आशा है, आप शीघ्र कार्यवाही करेंगे।
भवदीय
अविनाश सिन्हा
संपादकीय-पत्र – Letter Writing in Hindi | Hindi Letter Format
अनौपचारिक पत्र – Informal Letter writing in Hindi
जो पत्र समाचारों के आदान-प्रदान के लिए अपने मित्रों या संबंधियों को लिखे जाते हैं, अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं। इस पत्र में व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक समस्याओं या घटनाओं का उल्लेख करता है।
अनौपचारिक (व्यक्तिगत) पत्र के प्रकार |
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बधाई पत्र |
धन्यवाद पत्र |
शुभकामना पत्र |
निमंत्रण पत्र |
सम्वेदना पत्र |
अन्य विविध पत्र |
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अच्छे पत्र की विशेषताएँ – Advantages of Good letter writing in Hindi
एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ हैं
- सरल भाषाशैली
- विचारों की सुस्पष्टता
- संक्षेप और सम्पूर्णता
- प्रभावान्विति
- बाहरी सजावट
सरल भाषाशैली – पत्र की भाषा साधारणतः सरल और बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। ये उपयुक्त, सटीक, सरल और मधुर हों। सारी बात सीधे-सादे ढंग से स्पष्ट और प्रत्यक्ष लिखनी चाहिए। बातों को घुमा-फिराकर लिखना उचित नहीं।
विचारों की सुस्पष्टता – पत्र में लेखक के विचार सुस्पष्ट और सुलझे होने चाहिए। कहीं भी पाण्डित्य-प्रदर्शन की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। बनावटीपन नहीं होना चाहिए। दिमाग पर बल देनेवाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।
संक्षिप्त और सम्पूर्णता – पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। वह अपने में सम्पूर्ण और संक्षिप्त हो। उसमें अतिशयोक्ति, वाग्जाल और विस्तृत विवरण के लिए स्थान नहीं है। इसके अतिरिक्त, पत्र में एक ही बात को बार-बार दुहराना एक दोष है। पत्र में मुख्य बातें आरम्भ में लिखी जानी चाहिए।
सारी बातें एक क्रम में लिखनी चाहिए। इसमें कोई भी आवश्यक तथ्य छटने न पाय। पत्र अपने में सम्पूर्ण हो, अधूरा नहीं। पत्रलेखन का सारा आशय पाठक के दिमाग पर पूरी तरह बैठ जाना चाहिए। पाठक को किसी प्रकार की उलझन में छोड़ना ठीक नहीं।
प्रभावान्विति – पत्र का पूरा असर पढ़नेवाले पर पड़ना चाहिए। आरम्भ और अन्त में नम्रता और सौहार्द के भाव होने चाहिए।
बाहरी सजावट – पत्र की बाहरी सजावट से हमारा तात्पर्य यह है कि
- उसका कागज सम्भवतः अच्छा-से-अच्छा होना चाहिए;
- लिखावट सुन्दर, साफ और पुष्ट हो
- विरामादि चिह्नों का प्रयोग यथास्थान किया जाय
- शीर्षक, तिथि, अभिवादन, अनुच्छेद और अन्त अपने-अपने स्थान पर क्रमानुसार होने चाहिए
- पत्र की पंक्तियाँ सटाकर न लिखी जायँ और
- विषय-वस्तु के अनुपात से पत्र का कागज लम्बा-चौड़ा होना चाहिए।
पत्र के प्रकार – Letter Types | Patra ke prakar
- व्यक्तिगत पत्र (Personal letter)- चाचा, दादा, नाना, पिता आदि संबंधियों तथा मित्रों को लिखे जाने वाले पत्र इसमें आते हैं। इन्हें औपचारिक पत्र भी कहते हैं।
- व्यावसायिक पत्र (Business letter)-दुकानदार, वकील, डाक्टर, बैंक आदि को लिखे पत्र व्यापारिक या व्यावसायिक पत्र कहलाते हैं। इनमें औपचारिकता (Formality) संक्षिप्तता और स्पष्टता होती है।
- सरकारी पत्र (Official letter)- सरकारी अधिकारियों को लिखे पत्र सरकारी पत्र कहलाते हैं। इनमें संयमित और नियंत्रित भाषा होती है। ये भी औपचारिक पत्र होते हैं।
- सार्वजनिक पत्र (Public letter)-किसी व्यक्ति विशेष, सरकारी अधिकारी तथा समाचार-पत्र के संपादक को लिखे जानेवाले पत्र इसके अन्तर्गत आते हैं। इनमें प्रायः नागरिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है।
पत्र के अंग – Patra ke Aang
- पत्र-लेखन के स्थान का उल्लेख तथा पत्र-लेखक का पता
- पत्र-लेखन की तिथि।
- पत्र पाने वाले को प्रशस्ति अभिवादन।
- समाचार/सामगी
- पत्र की समाप्ति पर लेखक का नाम।
- पाने वाले का नाम व पता।
- भेजने वाले का पता
पत्र लिखने में मुश्किल नहीं हो, इसके लिए निचे एक टेबल है। इसके हेल्प से आप पत्र में सम्बोधन, अभिवादन आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते है।
लिखनेवाला (प्रेषक) | पानेवाला (प्राप्तिकर्ता) | संबोधन | अभिवादन | स्व-संबोधन |
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पुत्र | पिता | पूज्य/पूज्यवर पिताजी | सादर प्रणाम/ चरण स्पर्श | आपका प्यारा |
पिता | पुत्र | प्रिय/चि. | शुभाशिष | तुम्हारा शुभाकांक्षी |
पुत्र | माता | पूजनीया/पूज्या माताजी | सादर प्रणाम/ चरण स्पर्श | आपका लाड़ला |
माता | पुत्र | प्रिय/चि. | शुभाशिष | शुभाकांक्षिणी |
मित्र | मित्र | प्रिय मित्र | नमस्ते | तुम्हारा मित्र |
गुरु | शिष्य | आयुष्मान् भव | शुभाशिष | तुम्हारा शुभाकांक्षी |
शिष्य | गुरु | गुरुवर | सादर प्रणाम | आपका आज्ञाकारी |
छोटा भाई | बड़ा भाई | आदरणीय भैया | सादर प्रणाम | आपका अनुज |
बड़ा भाई | छोटा भाई | प्रिय | खुश रहो | तुम्हारा अग्रज |
छोटी बहन | बड़ी बहन | आदरणीया दीदी | प्रणाम | आपकी दुलारी/ अनुजा |
बड़ी बहन | छोटी बहन | प्रिया | खुश रहो | तुम्हारी दीदी/अग्रजा |
अपरिचित (मर्द) | अपरिचित (मर्द) | नमस्ते | ||
अपरिचित (स्त्री) | अपरिचित (स्त्री) | नमस्ते | आपकी एक सखी | |
अपरिचित (मर्द) | अपरिचित (स्त्री) | नमस्ते | आपका एक भाई | |
अपरिचित (स्त्री) | अपरिचित (मर्द) | भाईजी | नमस्ते | आपकी एक बहन |
ग्राहक/विक्रेता | ग्राहक/विक्रेता | महाशय | नमस्ते | आपका विश्वासी |
प्रार्थी | अधिकारी | महाशय | आपका विश्वासी |
Hindi Letter Writing Examples
तो दोस्तों आपको यह Letter writing in Hindi पर यह article कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।
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